(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-2, विषय; सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)
संदर्भ
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई केंद्रीय क्षेत्रक योजना ‘स्वामित्व’ ग्रामीण क्षेत्र के लिये महत्त्वपूर्ण है। इसके तहत एक ‘एकीकृत संपत्ति सत्यापन समाधान’ प्रदान किया जाएगा।
आवश्यकता
- एक शहरी उद्यमी अनुषांगिक संपत्ति गिरवी रखकर ऋण प्राप्त कर सकता है लेकिन ग्रामीण भारत के लिये छोटे-छोटे संपत्ति दस्तावेज ऐसे ऋणों को अव्यवहार्य बनाते हैं।
- गाँव के मानचित्र 50 वर्ष से अधिक पुराने हैं, इस कारण अनौपचारिक संपत्ति के स्वामित्व से संबंधित विवाद को सामान्य माना जाता है और यही भारत की कानूनी प्रणाली को जटिल बनाते हैं, जिस कारण लगभग 70 प्रतिशत मामले लंबित हैं।
- एक अद्यतन ज़ायदाद और संपत्ति रजिस्टर के अभाव में, ग्राम पंचायतें करों का आकलन एवं संग्रह करने तथा नागरिक अवसंरचना में निवेश करने में असमर्थ होती हैं।
- इसके अतिरिक्त, तेज़ी से बढ़ता शहरीकरण अपने आस-पास के गाँवों को ठीक से ‘आत्मसात’ करने में भी असमर्थ है, क्योंकि शहरी स्थानीय निकायों के नियम ग्रामीण बस्तियों पर लागू नहीं होते हैं।
स्वामित्व योजना
- केंद्र सरकार की स्वामित्व (Survey of Villages and Mapping with Improvised Technology in Village Areas-SVAMITVA) योजना उक्त मुद्दों की मूल समस्या के समाधान के लिये ‘डिज़ाइन’ की गई है।
- 24 अप्रैल, 2020 को पंचायती राज मंत्रालय को इस योजना का नोडल मंत्रालय बनाया गया है। इसे राज्य सरकारों के सहयोग से निष्पादित किया जाना है।
- स्वामित्व योजना का उद्देश्य गाँव के क्षेत्रों का सर्वेक्षण करना और घर के मालिकों को उनके अधिकारों के रिकॉर्ड (Record of Rights-RoR) के रूप में एक संपत्ति कार्ड प्रदान करना है।
- एक अनुमान के अनुसार, भारत में एक ग्रामीण परिवार के पास कुल संपत्ति का लगभग 80 प्रतिशत भाग भूमि और अचल संपत्ति के रूप में है।
- संपत्ति के द्वारा ऋणों की उपलब्धता में व्यापक प्रभाव उत्पन्न करने की संभावना है, क्योंकि भारत के आधे से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित हैं।
- चूँकि ‘भूमि’ राज्य सूची का विषय है, इसलिये प्रत्येक राज्य ‘भूमि के सर्वेक्षण और मानचित्रण’ की प्रक्रिया स्वयं के कानूनों द्वारा ही संचालित करता है। अतः इस योजना के विभिन्न चरणों में राज्यों को अपने कानूनी ढाँचे में परिवर्तन करने की आवश्यकता होगी।
- छह राज्यों, यथा महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में एक ‘स्वामित्व पायलट परियोजना’ शुरू की गई है और अब तक 700,000 से अधिक संपत्ति कार्ड वितरित किये जा चुके हैं। मार्च 2025 तक सभी भारतीय गाँवों को इस योजना के अंतर्गत कवर करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग
- स्वामित्व योजना के तहत डाटा एकत्रण तथा विश्लेषण करने के लिये आधुनिक तकनीक और सर्वेक्षण विधियों का प्रयोग किया जा रहा है। पेशेवर ‘सर्वेक्षण-ग्रेड ड्रोन’ का प्रयोग क्षेत्र की तस्वीर लेने के लिये और एक डिजिटल ‘एलिवेशन मॉडल’ के द्वारा क्षेत्र का एक 3D मानचित्र बनाया जा रहा है।
- चित्रों की ‘जियो-टैगिंग’, ‘कंटीन्यूअस ऑपरेटिंग रेफरेंस सिस्टम’ (CORS) नेटवर्क द्वारा प्रदान किये गए संदर्भ बिंदुओं का प्रयोग करके की जाती है।
- देश भर में ‘भारतीय सर्वेक्षण संस्थान’ द्वारा स्थापित किये जा रहे 550 से अधिक स्टेशनों के माध्यम से, सी.ओ.आर.एस. वास्तविक डाटा अधिग्रहण की अनुमति देता है और एक उपयोगी भू-स्थिति समाधान (Geo-Positioning Solution) प्रदान करता है।
उद्यमों के लिये सहायक
- डिजिटल मानचित्र और वास्तविक स्थानिक डाटा उपलब्ध होने से कई उद्योगों में नवाचार उत्प्रेरित होने की संभावना है। साथ ही, यह उद्यमियों के लिये नए अवसर प्रदान करेगा।
- ‘राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति, 2021’ के मसौदे के अनुसार, भारतीय सर्वेक्षण संस्थान तथा अन्य संगठनों द्वारा सार्वजनिक निधि का प्रयोग करके उपलब्ध कराए गए डाटा को ‘पब्लिक गुड’ माना जाएगा। अतः यह व्यवसायों, नागरिकों, गैर-सरकारी संगठनों, शिक्षाविदों और अनुसंधान संगठनों द्वारा उपयोग के लिये उपलब्ध होगा।
- सी.ओ.आर.एस. नेटवर्क ‘सेंटीमीटर-स्तर’ की स्थिति की सटीकता प्रदान करता है। इस प्रकार भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) उद्योग, जो विभिन्न सेवाओं को प्रदान करने के लिये स्थानिक जानकारी प्रदान करता है, को प्रोत्साहन मिलेगा।
- इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स अनुप्रयोगों के अतिरिक्त. कृषि, बैंकिंग और वित्त, ऑटोमेटेड मोबिलिटी, नगर नियोजन, जल संसाधन तथा आपदा प्रबंधन में भी दिलचस्प अनुप्रयोग चिह्नित किये गए हैं।
- स्वामित्व योजना में निजी ड्रोन ऑपरेटरों और अन्य सहायक सेवाओं का भी प्रयोग किया जा रहा है। यह ड्रोन-पायलटों के लिये प्रशिक्षण स्कूलों के विकास, अनुबंध दस्तावेजों की क्षतिपूर्ति, खरीद के इरादे की घोषणा और डाटा-गुणवत्ता मानकों की घोषणा के माध्यम से ‘ड्रोन इकोसिस्टम’ को बढ़ावा देगा।
भावी राह
- भारत ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड रखने और अपडेट करने के संबंध में एक मूलभूत परिवर्तन की राह पर अग्रसर है, लेकिन अभी कई चुनौतियों से निपटने की ज़रूरत है क्योंकि इस योजना को देश भर में क्रियान्वित किया जा रहा है।
- राज्यों के भू-राजस्व कानूनों या पंचायती राज अधिनियमों में संशोधन से योजना के तहत प्रदान किये जाने वाले संपत्ति कार्ड के लिये एक ठोस कानूनी आधार प्रदान करने की आवश्यकता है।
- ग्राम पंचायतों को मज़बूत करने की आवश्यकता होगी, ताकि संपत्ति कार्ड के आँकड़ों के आधार पर संपत्ति कर के संग्रहण को संस्थागत बनाया जा सके।
- निरंतर आधार पर, राज्यों को नागरिकों के लिये एक उत्तरदायी और आसानी से सुलभ शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता होगी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति लेनदेन को ठीक से दर्ज़ करने और संपत्ति कार्ड के डाटाबेस से जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मानचित्र सक्रिय है।
- वित्तीय संस्थानों को स्वामित्व के प्रमाण के रूप में एक संपत्ति कार्ड प्रदान किया जाएगा। इस प्रकार, ग्रामीण ऋण बाज़ार के विकास में सहायता करेगा।
निष्कर्ष
- केंद्र की स्वामित्व योजना के सफल कार्यान्वयन और संपत्ति कार्ड के संस्थानीकरण से अनेक उद्यमियों की संभावनाओं में सुधार हो सकता है।
- इस योजना से भारत के रियल एस्टेट और ऋण बाज़ारों को मौलिक रूप से बदलने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में सहायता मिलेगी।