स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती इस वर्ष 23 फरवरी को मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार, महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है।
यह दिवस उनके जन्मदिवस को सम्मान देने और उनके द्वारा भारतीय समाज में किए गए सुधारों को स्मरण करने के लिए मनाया जाता है।
स्वामी दयानंद सरस्वती का जीवन परिचय:
जन्म: 12 फरवरी 1824
जन्मस्थान: टंकारा, गुजरात
मूल नाम: मूलशंकर
निधन: 30 अक्टूबर 1883
संस्थापक: आर्य समाज (1875)
महत्वपूर्ण योगदान:
आर्य समाज की स्थापना (1875): हिंदू समाज में सुधार लाने और वैदिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए आर्य समाज की स्थापना की।
“वेदों की ओर लौटो” (Back to Vedas) का संदेश: उन्होंने समाज को वेदों के मूल ज्ञान और आदर्शों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
सामाजिक कुरीतियों का विरोध: बाल विवाह, सती प्रथा, जातिवाद और मूर्ति पूजा जैसी प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाई।
स्त्री शिक्षा और समानता: महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने और समाज में समानता स्थापित करने का प्रयास किया।
शिक्षा में योगदान: उन्होंने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित किया, जिसमें वैदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समावेश था। उनके विचारों से प्रेरित होकर डीएवी (DAV) स्कूल और कॉलेजों की स्थापना की गई।
स्वराज का विचार: उन्होंने स्वराज (स्व-शासन) की अवधारणा को बढ़ावा दिया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम में भी प्रेरणा मिली।
मुख्य ग्रंथ और साहित्य:
सत्यार्थ प्रकाश: यह उनका प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें उन्होंने सत्य धर्म, वेदों का ज्ञान और समाज सुधार पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।
ऋग्वेदादि भाष्यभूमिका: इसमें वेदों की व्याख्या और वेदांत पर उनके विचार हैं।