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सिडनी संवाद (Sydney Dialogue)

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश)

संदर्भ 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘सिडनी-डायलॉग’ के उद्घाटन में मुख्य व्याख्यान दिया। इस दौरान उन्होंने भारत की प्रौद्योगिकी के क्रमिक और त्वरित विकास विषय पर चर्चा की।

सिडनी संवाद

  • सिडनी संवाद दुनिया भर में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर डिजिटल डोमेन (कार्यक्षेत्र) के परिणामों पर चर्चा करने के लिये साइबर और महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का एक वार्षिक शिखर सम्मेलन है।
  • यह ऑस्ट्रेलियाई सामरिक नीति संस्थान की एक पहल है, जो राजनीतिक, व्यावसायिक और सरकारी नेतृत्व को एक मंच पर साथ लाती है। इसका आयोजन 17 से 19 नवंबर, 2021 तक किया गया।

भारत की चिंता और प्रयास

  • भारत ने सिडनी डायलॉग में इस बात पर ज़ोर दिया कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को क्रिप्टोकरेंसी पर साथ काम करने और यह सुनिश्चित करने कि आवश्यकता है कि क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों तक न पहुँच पाए, जो युवाओं को पथ भ्रष्ट कर सकता है।
  • साथ ही, भारत ने प्रौद्योगिकी और डाटा के खतरों का भी उल्लेख किया जिसे ‘हथियारों के नए रूपों’ में बदल दिया गया है। वाई2के (Y2K) समस्या के निदान और को-विन प्लेटफॉर्म को पूरी दुनिया के लिये उपलब्ध कराने में भारत के योगदान की भी चर्चा की गई।
  • लचीली और डिजिटल संप्रभुता के लिये भारत हार्डवेयर पर ध्यान दे रहा है। भारत सेमी-कंडक्टर का मुख्य निर्माता बनने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • इलेक्ट्रॉनिकी और दूरसंचार में भारत का उत्पादन प्रेरक योजनाओं से जुड़ा है। भारत में अपना केंद्र (Hub) बनाने के लिये ये क्षेत्र पहले से ही स्थानीय और वैश्विक कंपनियों व संस्थाओं को आकर्षित कर रहे हैं।

पाँच डिजिटल परिवर्तनों की चर्चा

संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने भारत में होने वाले पाँच परिवर्तनों की भी चर्चा की, जो इस प्रकार हैं :

  • पहला, विश्व की सबसे विस्तृत जन सूचना अवसंरचना भारत में बनाई जा रही है। एक अरब 30 करोड़ से अधिक भारतीयों के पास विशिष्ट डिजिटल पहचान है और छह लाख गाँवों को जल्द ब्रॉडबैंड से जोड़ दिया जाएगा। साथ ही, विश्व की सबसे कारगर भुगतान संरचना (UPI : यू.पी.आई.) भी भारत के पास है।
  • दूसरा, सुशासन, समावेशन, अधिकारिता, संपर्क, लाभों के अंतरण और जनकल्याण के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जा रहा है।
  • तीसरा, भारत के पास विश्व का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे तेज़ी से विकसित होने वाला स्टार्ट-अप इको-सिस्टम है।
  • चौथा, भारत के उद्योग और सेवा क्षेत्र के साथ-साथ कृषि क्षेत्र भी विशाल डिजिटल परिवर्तन से गुजर रहे हैं।
  • पाँचवां, भारत 5G और 6G जैसी दूरसंचार प्रौद्योगिकी में स्वदेशी क्षमताओं के विकास के लिये निवेश कर रहा है। मानव-केंद्रित मशीन-लर्निंग तथा कृत्रिम बौद्धिकता के नैतिक उपयोग के क्षेत्र में भारत अग्रणी देशों में शामिल है। साथ ही, भारत क्लाउड प्लेटफॉर्म्स और क्लाउड कंप्यूटिंग में मज़बूत क्षमताओं का विकास कर रहा है।
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