चर्चा में क्यों?
- हाल ही में इंग्लैंड के एक प्लेन ने सिंथेटिक फ्यूल की मदद से उड़ान भरी।
प्रमुख बिन्दु
- ब्रिटेन की एक कंपनी ज़ीरो पेट्रोलियम ने इस फ़्यूल को तैयार किया था।
- ज़ीरो पेट्रोलियम के अलावा दुनिया के दूसरे हिस्सों में ऐसी और भी कंपनियां हैं जो सिंथेटिक फ़्यूल्स के विकास पर काम कर रही हैं।
- इन्हें ई-फ़्यूल्स के नाम से भी जाना जा रहा है।
सिंथेटिक फ़्यूल क्या होते हैं?
- रासायनिक रूप से सिंथेटिक फ़्यूल और फ़ॉसिल फ़्यूल (जीवाश्म ईंधन) एक ही चीज़ हैं।
- दोनों तरह के ईंधन हाइड्रोकार्बन ही हैं, हाइड्रोकार्बन एक अणु होता है जो हाइड्रोजन और कार्बन से मिलकर बनता है।
- आम तौर पर होता ये है कि धरती से तेल निकाला जाता है, उसे रिफाइन किया जाता है और इस प्रक्रिया से हमें पेट्रोल, डीज़ल और केरोसिन प्राप्त होता है।
- दूसरी तरफ़, सिंथेटिक फ़्यूल के मामले में हाइड्रोजन और कार्बन दूसरे स्रोतों से लिया जाता है। उदाहरण के लिए पानी के अणुओं को उसके घटकों हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़कर हाइड्रोजन प्राप्त किया जाता है।
- इस प्रक्रिया में बिजली का इस्तेमाल होता है और विज्ञान की भाषा में इसे वाटर इलेक्ट्रोलिसिस कहते हैं।