(प्रारंभिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 आर्थिक विकास: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक तथा एच.डी.एफ.सी. बैंक को ‘प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंक’ (D-SIBs) बनाए रखने का निर्णय लिया है।
प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंक
- ये बैंक अपने बड़े-आकार, क्षेत्राधिकार गतिविधियों, विभिन्न कार्यो में संलग्नता और प्रतिस्थापन क्षमता के कारण महत्त्वपूर्ण होते हैं। इन बैंकों के ‘दिवालिया होने की संभावना सबसे कम’ है।
- ये बैंक 'टू बिग टू फेल (TBTF)' की संकल्पना पर आधारित हैं। इसके अनुसार, इन बैंकों को आर्थिक संकट के समय सरकारी समर्थन प्राप्त हो सकता है।
आर.बी.आई. द्वारा ‘प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंकों’ को चिह्नित करने की प्रक्रिया
- आर.बी.आई. ने 22 जुलाई, 2014 को डी.-एस.आई.बी. के लिये बी.सी.बी.एस. (Basel Committee on Banking Supervision) प्रारूप पर आधारित एक फ्रेमवर्क जारी किया था। इस फ्रेमवर्क के तहत आर.बी.आई. के लिये यह अपेक्षित था कि वह प्रत्येक वर्ष अगस्त माह में डी.-एस.आई.बी. के रूप में वर्गीकृत बैंकों के नाम घोषित करे।
- इस प्रारूप के आधार पर ही आर.बी.आई. ने 31 अगस्त, 2015 को ‘प्रथम’ ‘प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंकों’ की सूची जारी की।
- आर.बी.आई, डी.-एस.आई.बी. की पहचान के लिये बैंक का आकार, अंतर-संबंध, प्रतिस्थापन तथा जटिलता जैसे संकेतकों को अपनाता है।
- इन बैंकों को चिह्नित करने के लिये आर.बी.आई. एक कट-ऑफ स्कोर निर्धारित करता है, जिससे ऊपर वाले बैंकों को डी.-एस.आई.बी. माना जाता है।
- प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण स्कोर (Systemic Important Scores - SIC) के आधार पर बैंकों को चार विभिन्न समूहों में रखा जाता है।
- डी.-एस.आई.बी. के तहत बैंकों को अपने-अपने समूहों के आधार पर जोखिम भारित आस्तियों (RWA) के रूप में 0.20% से 0.80% तक अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर- I (CET-1) पूंजी बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
- डी.-एस.आई.बी. के लिये अतिरिक्त सी.ई.टी.-1 की आवश्यकता 1 अप्रैल, 2016 से चरणबद्ध और 1 अप्रैल, 2019 से पूरी तरह से प्रभावी हो गई।
आर.बी.आई. के प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंक
- आर.बी.आई. की ‘प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंकों’ की सूची में शुरुआत में (वर्ष 2015 में) भारतीय स्टेट बैंक तथा आई.सी.आई.सी.आई. बैंक को शामिल किया गया था। सितंबर 2017 में एच.डी.एफ.सी. बैंक को भी इसमें शामिल कर लिया गया।
- वर्तमान में इस सूची में केवल तीन बैंक; एस.बी.आई., आई.सी.आई.सी.आई. तथा एच.डी.एफ.सी. ही शामिल हैं।
- केंद्रीय बैंक के अनुसार, अगर भारत में किसी विदेशी बैंक की शाखा एक वैश्विक प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण बैंक (G-SIB) है, तो उसे अपने आर.डब्ल्यू.ए. के अनुपात के अनुसार देश में अतिरिक्त सी.ई.टी.-1 पूंजी अधिभार को बनाए रखना होगा।
- एस.बी.आई. के संदर्भ में आर.डब्ल्यू.ए. के प्रतिशत के रूप में अतिरिक्त सी.ई.टी.-1 की आवश्यकता 0.60% है, जबकि आई.सी.आई.सी.आई. तथा एच.डी.एफ.सी. बैंकों के लिये यह 0.20% है।