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TAK-003 डेंगू वैक्सीन

(प्रारंभिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की समसामयिक घटनाएँ, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास व अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

संदर्भ

हाल ही में, टाकेडा (Takeda) द्वारा विकसित डेंगू की नई वैक्सीन ‘TAK-003’ को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से प्री क्वालिफिकेशन प्राप्त हुआ है

TAK-003 के बारे में

  • जापान के टाकेडा द्वारा विकसित TAK-003 विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रीक्वालिफिकेशन प्राप्त एक क्षीण सक्रीय (Live-attenuated) डेंगू वैक्सीन है। इसमें डेंगू कारक वायरस के चार सीरोटाइप के कमजोर वर्जन शामिल हैं। 
    • TAK-003 की प्रीक्वालिफिकेशन डेंगू के टीकों की वैश्विक पहुंच के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अब यह यूनिसेफ एवं पैन अमेरिकी स्वास्थ्य संगठन (PAHO) सहित संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा खरीदी जा सकती है। 
    • यह WHO द्वारा प्रीक्वालिफाइड होने वाला दूसरा डेंगू टीका है। 
  • TAK-003 ह्यूमरल एवं क्रॉस-रिएक्टिव टी-सेल-मेडिएटेड (Humoral and Cross-reactive T-cell-mediated) प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दोनों उत्पन्न करता है। 
  • प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की मध्यस्थता एंटीबॉडी अणुओं द्वारा की जाती है जो प्लाज्मा कोशिकाओं द्वारा स्रावित होते हैं।
  • उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में 6-16 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए यह अनुशंसनीय है। 
  • इस पर हुए अध्ययन के अनुसार, TAK-003 लोगों में डेंगू के लक्षणों को रोकने में 61% तक कारगर सिद्ध हो सकती है। 
    • वहीं कुछ गरीब देशों में यह वैक्सीन उपलब्ध कराई जा सकती है।

डेंगू के बारे में

  • डेंगू एक मच्छर जनित वायरल संक्रमण है जो दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में लोगों को प्रभावित करता है। यह जीनस फ्लेवीवायरस (Genus Flavivirus) के कारण होता है। 
  • डेंगू चार वायरस सीरोटाइप (डेंगू वायरस : DEN-1, DEN-2, DEN-3 एवं DEN-4 नाम दिया गया है) के कारण होता है। 
  • अधिकांशत: शहरी एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में इस रोग के प्रसार वाले प्राथमिक रोगवाहक एडीज एजिप्टी मच्छर हैं। इस मच्छर से चिकनगुनिया एवं जीका संक्रमण भी होता है।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार यह वायरस गर्भवती मां से शिशु में भी फैल सकता है।
  • इसके लक्षण सिर दर्द, आंखों के आस-पास दर्द (Retro-Orbital Pain), अचानक तेज़ बुखार, हड्डी, जोड़ एवं मायलगिया (Myalgia : मांसपेशियों में तेज़ दर्द), कमजोरी, दाना व खुजली आदि हैं। 

क्या आप जानते हैं?

  • भारत में सबसे आम स्ट्रेन डेन-2 है। इसीलिए डेंगू के टीकों का निर्माण इतना कठिन है क्योंकि इन्हें सभी 4 उपभेदों पर प्रभावी होने की आवश्यकता होती है।
    • अब तक केवल डेन-2 डेंगू टीकों को उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया है।
  • डेंगवाक्सिया (Dengvaxia) को फ्रांसीसी कंपनी सनोफी (Sanofi) ने निर्मित किया है। हालाँकि, इसका उपयोग केवल उन लोगों के लिए किया जा सकता है जिन्हें पूर्व में डेंगू हो चुका है या जो ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहाँ बहुसंख्यक आबादी पहले संक्रमित हो चुकी है। 
    • जिन लोगों को कभी संक्रमण नहीं हुआ है, उनमें यह टीका गंभीर डेंगू के खतरे को बढ़ा सकता है।
  • एडीज एजिप्टी एवं एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से डेंगू का संक्रमण होता है। वर्तमान में एडीज एजिप्टी दक्षिणी प्रायद्वीप, पूर्वी तटरेखा, उत्तर-पूर्वी राज्यों एवं उत्तरी मैदानी इलाकों में प्रचलित है। 
    • एडीज़ एल्बोपिक्टस पूर्वी एवं पश्चिमी तटरेखाओं, उत्तर-पूर्वी राज्यों एवं निचले हिमालय में अधिक प्रभावी है।

डेंगू का प्रसार

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रतिवर्ष दुनिया भर में डेंगू के 100-400 मिलियन से अधिक मामले आते हैं। 3.8 बिलियन लोग डेंगू प्रभावित देशों में रहते हैं जिनमें से अधिकांश एशिया, अफ्रीका एवं अमेरिका में हैं। 
  • जलवायु परिवर्तन एवं शहरीकरण के कारण भौगोलिक रूप से डेंगू के मामलों में वृद्धि व विस्तार की संभावना है।

डेंगू की DNA वैक्सीन

  • भारत, अफ्रीका एवं अमेरिका के 9 संस्थानों के सहयोग से बेंगलुरु स्थित नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (NCBS) के शोधकर्त्ताओं द्वारा वर्ष 2019 से डेंगू के खिलाफ भारत की पहली DNA वैक्सीन विकसित की जा रही है।
  • DNA टीकाकरण प्रतिरक्षित होने वाले व्यक्ति की कोशिकाओं में एंटीजन के डी.एन.ए. अनुक्रमण को शुरू करके किया जाता है। इसमें DNA के एक छोटे से हिस्से का उपयोग किया जाता है और DNA को सीधे शरीर की कोशिकाओं में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे कोशिकाएं एंटीजन बना सकें।  
  • बैक्टीरिया, परजीवियों एवं वायरस से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को त्वरित करने के लिये एक विशिष्ट एंटीजन कोड किया जाता है। इसमें डीएनए प्लास्मिड का उपयोग किया जाता है।  
  • इसे टीकों की तीसरी पीढ़ी के रूप में भी जाना जाता है।
  • दुनिया का पहला डीएनए वैक्सीन ‘ZyCoV-D’ भारत में ज़ाइडस कैडिला द्वारा कोविड-19 के विरुद्ध विकसित किया गया था और इसे वर्ष 2021 में आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया था।
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