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टारगेट रेटिंग पॉइंट : सम्बंधित पहलू

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : सेवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कुछ टेलीविज़न चैनलों पर टी.आर.पी. में हेरफेर का मामला सामने आया है।

टी.आर.पी. (Target/Television Rating Point : TRP)

  • ‘टारगेट रेटिंग पॉइंट’ (TRP) को 'टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट' भी कहा जाता है। टी.आर.पी. यह दर्शाता है कि किसी निश्चित एवं तय समय अंतराल में कितने दर्शक किसी विशेष टी.वी. शो को देख रहे हैं।
  • टी.आर.पी. लोगों की पसंद और किसी चैनल या शो की लोकप्रियता बताता है। इसका प्रयोग विपणन व विज्ञापन एजेंसियों द्वारा दर्शकों की संख्या के मूल्यांकन हेतु किया जाता है।
  • टी.आर.पी. को मापने के लिये कुछ जगहों पर ‘पीपल्स मीटर’ (People's Meter) लगाए जाते हैं। आई.एन.टी.एम. (INTAM) और बार्क (BARC) एजेंसियाँ किसी टीवी शो की टी.आर.पी. को मापती हैं।
  • ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) द्वारा ‘बार-ओ-मीटर्स’ (Bar-O-Meters) का उपयोग करके टी.आर.पी. को रिकॉर्ड किया जाता है। यह मीटर कुछ चयनित घरों में टी.वी. सेट में लगाए जाते हैं।

टेलीविज़न मीडिया

  • आज के समय में टेलीविज़न शायद किसी भी व्यवसाय एवं व्यापार के विज्ञापन व प्रचार को घर-घर तक पहुँचाने के लिये सबसे बड़ा और उपयुक्त माध्यम है क्योंकि भारत में प्रति सप्ताह लगभग 760-800 मिलियन लोग टी.वी. देखते हैं।
  • ग्रामीण भारत में टी.वी. की पहुँच लगभग 52% है, जबकि शहरी भारत में यह लगभग 87% है। इस उद्योग में विभिन्न प्रकार के 800 से अधिक चैनल होने का दावा किया जाता है। इस उद्योग में ₹66,000 करोड़ के कुल राजस्व में से लगभग 40% विज्ञापन से तथा 60% वितरण व सब्सक्रिप्शन सेवाओं से आता है।
  • डेंट्सु (विज्ञापन से सम्बंधित कम्पनी) के अनुसार वर्ष 2020 में भारत का कुल विज्ञापन बाज़ार 10-12 बिलियन डॉलर के मध्य है, जिसमें से डिजिटल विज्ञापन लगभग 2 बिलियन डॉलर का है।

टी.आर.पी. की प्रकृति

  • पूर्व में भी कई चैनलों के लिये टी.आर.पी. प्रणाली में धांधली की गई है परंतु अब चैनल इस कार्य में स्वयं संलग्न हैं। वर्तमान में स्वयं चैनलों द्वारा टी.आर.पी. प्रणाली में हेराफेरी की कोशिश की जा रही हैं।
  • टी.ए.एम. (टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट) और आई.एन.टी.ए.एम. (इंडियन नेशनल टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट) के समय मोटर साइकिल सवारों को डाटा प्राप्त करने/मीटर लगाने और ‘गोपनीय घरों’ की पहचान करने के लिये भेजा जाता था।
  • इन घरों को नए टेलीविज़न प्रदान किये जाते थे और उसमें एक विशेष चैनल को चालू कर दिया जाता था, जबकि घर के लोग नियमित टी.वी. सेट पर इच्छानुसार चैनल देखते थे।
  • TAM और INTAM विभिन्न ग्राहकों के अनुरूप अलग-अलग रेटिंग रिपोर्ट दिया करते थे। बाद में BARC (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) भी इन्हीं त्रुटिपूर्ण मीटरों का प्रयोग करने लगा।
  • इसके अतिरिक्त टी.आर.पी. के खेल में मीडिया से समझौता करने वाली एजेंसियों को फीस, कमीशन, आदि के रूप में अन्य उपहार भी प्रदान किये जाते हैं।
  • साथ ही ऑनलाइन चैनल जैसे- नेटफ्लिक्स और यूट्यूब न केवल यह जान सकते हैं कि दर्शकों ने क्या और कितनी देर तक देखा, बल्कि यह भी जान सकते है कि दर्शकों को क्या पसंद आ रहा है और वे किसकी अनदेखी कर रहे हैं।

आगे की राह

  • आज हाइपर कनेक्टिविटी की दुनिया में इंटरनेट से जुड़े हुए ‘बार-ओ-मीटर’ के निर्माण के लिये आत्मनिर्भर होना होगा, जो न केवल चैनल-वार, बल्कि कार्यक्रम-वार और घंटे-वार डाटा भी देते हों। इस तरह रेटिंग की माप असतत्, आवधिक और छेड़छाड़ से युक्त होने की बजाय निरंतर और पारदर्शी होगी।
  • ‘ऑफ़कॉम’ और ‘फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन’, यू.के. और अमेरिका में टी.आर.पी. के दो मुख्य स्वतंत्र नियामक हैं। इनमें आमतौर पर कॉरपोरेट जगत के प्रतिष्ठित सदस्यों के साथ सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी शामिल होते हैं। भारत में भी ऐसा किया जा सकता है।
  • यदि किसी विशेष विचारधारा की सरकार एक नियामक नियुक्त करती है, तो यह लगभग पक्षपातपूर्ण माना जाएगा। इस समस्या को भी दूर करने की आवश्यकता है।
  • इसके अतिरिक्त, ‘BARC : स्व-नियमन’ या ‘संवैधानिक रूप से निर्वाचित सरकार द्वारा स्थापित एक स्वतंत्र प्राधिकरण’ के मध्य चुनाव भी एक मुद्दा है।

निष्कर्ष

भारत जैसे देश में किसी संस्थान या व्यक्ति द्वारा विनियमित होने की प्रवृति में कमी पाई जाती हैं। न्यायाधीशों का मानना ​​है कि वे राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की तुलना में बेहतर तरीके से स्व-विनियमन कर सकते हैं। इसी प्रकार मीडिया, विशेष रूप से टेलीविजन मीडिया, स्व-विनियमन की ही बात करता है।

फैक्ट्स :

  • ‘टारगेट रेटिंग पॉइंट’ (TRP) को 'टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट' भी कहा जाता है, जो यह दर्शाता है कि किसी निश्चित एवं तय समय अंतराल में कितने दर्शक किसी विशेष टी.वी. शो को देख रहे हैं।
  • आई.एन.टी.एम. (INTAM) और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) जैसी एजेंसियाँ टी.आर.पी. को मापती हैं। ‘बार-ओ-मीटर्स’ (Bar-O-Meters) का उपयोग करके TRP को रिकॉर्ड किया जाता है।
  • ग्रामीण भारत में टी.वी. की पहुँच लगभग 52% है, जबकि शहरी भारत में यह लगभग 87% है।

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