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आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों पर करारोपण के निहितार्थ

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन एवं कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय, भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, नई प्रौद्योगिकी का विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर)

संदर्भ 

वर्तमान में डिजिटल अर्थव्यवस्थाएँ और ब्लॉकचेन तकनीक वैश्विक वित्त व्यवस्था को नया आकार दे रही हैं। हालाँकि, इस नए परिदृश्य में भारत सहित दुनिया भर की सरकारें आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों (Virtual Digital Assets : VDAs) के वर्गीकरण, विनियमन एवं कराधान से सबंधित चुनौतियों का सामना कर रही हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत ने आयकर विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया है। 

आयकर विधेयक, 2025 की प्रमुख विशेषताएँ

  • आयकर विधेयक, 2025 में वी.डी.ए. के लिए एक व्यापक कानूनी ढाँचा प्रस्तुत किया गया है। इसकी धारा 2(111) में वी.डी.ए. को परिभाषित किया गया है जो देश के कर ढाँचे को वैश्विक परिदृश्य के साथ संरेखित करता है। 
  • भारत में पहली बार, आयकर विधेयक, 2025 स्पष्ट रूप से वी.डी.ए. को संपत्ति (धारा 92 (5) (f)) एवं पूंजीगत परिसंपत्ति के रूप में मान्यता देता है। 
  • कराधान, अनुपालन एवं कानूनी मान्यता के संदर्भ में इस वर्गीकरण के दूरगामी परिणाम हैं।
  • इस विधेयक में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वी.डी.ए. में क्रिप्टो संपत्तियां, नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) एवं इसी तरह की अन्य डिजिटल संपत्तियां शामिल हैं। 

पूंजीगत परिसंपत्ति के रूप में 

  • वी.डी.ए. को धारा 76(1) के तहत पूंजीगत परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • इसका अर्थ है कि उनकी बिक्री, हस्तांतरण या विनिमय से होने वाले किसी भी लाभ पर रियल एस्टेट, स्टॉक व बॉन्ड के समान पूंजीगत लाभ प्रावधानों के तहत कर लगाया जाएगा। 
  • वी.डी.ए. को पूंजीगत संपत्ति के रूप में मानकर, सरकार यह सुनिश्चित करती है कि लेन-देन, मानक परिसंपत्ति कराधान सिद्धांतों के अधीन हों जिससे अनियमित वित्तीय साधनों के रूप में उनके दुरुपयोग को रोका जा सके। 
  • आयकर विधेयक, 2025 वी.डी.ए. हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30% कर है।

कर कटौती का लाभ नहीं 

  • पारंपरिक पूंजीगत संपत्तियों के विपरीत इस विधेयक में डिजिटल परिसंपत्तियों में किसी भी प्रकार की कर कटौती (अधिग्रहण या लेन-देन की लागत के अलावा) की अनुमति नहीं है।
    • इसका अर्थ है कि कर योग्य आय की गणना करते समय माइनिंग, लेनदेन शुल्क, प्लेटफ़ॉर्म कमीशन और गैस शुल्क से संबंधित खर्चों में कटौती नहीं की जा सकती है। 
    • उदाहरण के लिए, यदि कोई निवेशक 5 लाख में इथेरियम (क्रिप्टोकरेंसी) खरीदकर इसे 7 लाख में बेचता है तो 2 लाख के लाभ पर एक समान 30% कर लगाया जाता है।

गैस शुल्क (Gas Fee)

ब्लॉकचेन तकनीक में गैस शुल्क शब्द का प्रयोग ब्लॉकचेन नेटवर्क द्वारा लगाए जाने वाले लेनदेन शुल्क के लिए किया जाता है। गैस शुल्क ब्लॉकचेन पर किसी भी ऐसे कार्य के लिए लिया जाता है जिसके लिए सत्यापन की आवश्यकता होती है, जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी को स्थानांतरित करना आदि।

स्रोत पर कर कटौती

  • विधेयक की धारा 393 में वी.डी.ए. के हस्तांतरण पर 1% स्रोत पर कर कटौती (Tax Deductions at Source : TDS) का उल्लेख किया गया है। 
    • यह पीयर-टू-पीयर (P2P) लेन-देन में भी लागू होता है और यह सुनिश्चित करता है कि सरकार बड़े क्रिप्टो लेन-देन को ट्रैक करती है।
    •  टी.डी.एस. छूट की सीमा छोटे व्यापारियों के लिए 50,000 तथा अन्य के लिए 10,000 है।

आयकर रिटर्न में जानकारी देना 

  • इस विधेयक में एक अन्य महत्त्वपूर्ण प्रावधान अघोषित आय कराधान एवं संपत्ति जब्ती विनियमों में वी.डी.ए. को शामिल करना है।
    • विधेयक की धारा 301 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने आयकर रिटर्न में वी.डी.ए. होल्डिंग्स की रिपोर्ट करने में विफल रहता है तो उन्हें अघोषित आय के रूप में वर्गीकृत करके तदनुसार कर लगाया जा सकता है।
  • विधेयक की धारा 524 (1) कर अधिकारियों को जाँच या कर छापों के दौरान वी.डी.ए. को जब्त करने की अनुमति देता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे कर चोरी के मामलों में नकदी, सोना या अचल संपत्ति जब्त की जाती है। 
    • जब्ती के उद्देश्यों के लिए वी.डी.ए. को संपत्ति के रूप में मानकर भारत यह सुनिश्चित करता है कि क्रिप्टो-परिसंपत्तियाँ विनियामक निरीक्षण से परे छाया परिसंपत्ति (Shadow Asset) के रूप में न रहें।
  • धारा 509 के तहत क्रिप्टो परिसंपत्तियों में काम करने वाली किसी भी संस्था को निर्धारित प्रारूप में उपयुक्त प्राधिकारी को लेनदेन की रिपोर्ट करना आवश्यक है। 
    • इन संस्थाओं में एक्सचेंज, वॉलेट सेवा प्रदाता एवं व्यक्तिगत व्यापारी शामिल हैं। 
    • यह प्रावधान क्रिप्टो ट्रेड्स की सुविधा देने वाले प्लेटफ़ॉर्म से अनुपालन को अनिवार्य बनाता है जिससे डिजिटल परिसंपत्तियों के माध्यम से धन शोधन कठिन हो जाता है।
  • विधेयक यह भी अनिवार्य करता है कि वी.डी.ए. को वार्षिक सूचना विवरण (AIS) में शामिल किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी क्रिप्टो लेनदेन स्वचालित रूप से करदाताओं की वित्तीय प्रोफ़ाइल में दर्ज़ हो रहे हैं।

अन्य देशों में प्रावधान 

यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने वी.डी.ए. को मुख्य रूप से संपत्ति या प्रतिभूतियों के रूप में वर्गीकृत किया है।

यूनाइटेड किंगडम  

  • यूनाइटेड किंगडम का यू.के. एचएम रेवेन्यू एंड कस्टम्स कर उद्देश्यों के लिए क्रिप्टो परिसंपत्तियों को संपत्ति के रूप में मान्यता देते हुए उन्हें पूंजीगत लाभ कर के अधीन करता है।
  • यूनाइटेड किंगडम उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि क्रिप्टो परिसंपत्तियों को संपत्ति माना जा सकता है जिससे न्यायालयों को कानूनी विवादों में उन्हें फ्रीज या जब्त करने की अनुमति मिलती है।

अमेरिका 

अमेरिकी प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग कई क्रिप्टो संपत्तियों को प्रतिभूतियों के रूप में वर्गीकृत करता है जिससे वे वित्तीय बाजार विनियमन के अंतर्गत आ जाती हैं। 

न्यूजीलैंड

न्यूजीलैंड का अंतर्देशीय राजस्व विभाग भी क्रिप्टो परिसंपत्तियों को संपत्ति के रूप में मानता है, जिससे वे लेन-देन पर आयकर के अधीन हो जाती हैं।

संयुक्त अरब अमीरात 

संयुक्त अरब अमीरात में वर्चुअल एसेट्स रेगुलेटरी अथॉरिटी (VARA) व्यवसायों एवं व्यक्तियों को विनियमित शर्तों के तहत वी.डी.ए. रखने व व्यापार करने की अनुमति देता है।

भारत में विनियमन के लिए चुनौतियाँ 

  • भारत में वी.डी.ए. के वर्गीकरण एवं कराधान में विकास के बावजूद एक स्पष्ट व व्यापक नियामक ढाँचे का अभाव है।
    • भारत में वी.डी.ए. से संबंधित वर्तमान कानूनी दृष्टिकोण इसके वर्गीकरण व कराधान को संबोधित करता है। 
    • हालाँकि, यह निवेशक संरक्षण, बाजार विनियमन, प्रवर्तन तंत्र एवं मानक दिशा-निर्देशों की कमी जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण मुद्दों पर अस्पष्टता का निवारण नहीं करता है।

आगे की राह 

  • भारत द्वारा वी.डी.ए. को पूंजीगत संपत्ति के रूप में परिभाषित करने का निर्णय अंतर्राष्ट्रीय कानूनी मानकों के साथ तालमेल बिठाने की दिशा में एक कदम है। 
  • वी.डी.ए. को संपत्ति के रूप में परिभाषित करके भारत आवश्यक होने पर क्रिप्टो संपत्तियों पर कर लगाने, विनियमित करने एवं जब्त करने के प्राधिकार को सुनिश्चित करता है। 
    • इससे अवैध वित्तीय गतिविधियों के लिए उनके दुरुपयोग को रोका जा सकता है। 
  • वी.डी.ए. के प्रभावी कार्यान्वयन एवं विनियमन के लिए एक सुसंगत नीति ढांचे की आवश्यकता होती है जो एक संतुलित व सुरक्षित डिजिटल संपत्ति पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय विनियमन, उपभोक्ता अधिकार एवं तकनीकी प्रगति को एकीकृत करता है।
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