वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई 2024 को अपने बजट भाषण में दीर्घकालिक और अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर दोनों में वृद्धि की घोषणा की है।
क्या होता है पूंजीगत लाभ कर (Capital gain tax)
- किसी 'पूंजीगत परिसंपत्ति' की बिक्री से होने वाले किसी भी लाभ को 'पूंजीगत लाभ से प्राप्त आय' के रूप में जाना जाता है।
- इस तरह के पूंजीगत लाभ उस वर्ष में कर योग्य होते हैं जिसमें पूंजीगत परिसंपत्ति का हस्तांतरण होता है, इसे ही ‘पूंजीगत लाभ कर’ कहा जाता है।
- पूंजीगत लाभ कर दो प्रकार के होते हैं –
- अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर (STCG) : कोई भी संपत्ति जो 36 महीने से कम समय के लिए रखी जाती है, उसे अल्पकालिक संपत्ति कहा जाता है।
- अचल संपत्तियों के मामले में, अवधि 24 महीने है। ऐसी संपत्ति की बिक्री से होने वाले मुनाफे को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ माना जाएगा और उस पर तदनुसार कर लगाया जाएगा।
- 1 अप्रैल, 2023 को या उसके बाद अर्जित किसी निर्दिष्ट म्यूचुअल फंड की इकाइयों और बाजार से जुड़े डिबेंचर की बिक्री से प्राप्त पूंजीगत लाभ को हमेशा अल्पकालिक पूंजीगत लाभ के रूप में माना जाएगा, भले ही उन्हें कितने भी समय तक रखा गया हो।
- दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (LTCG) : कोई भी संपत्ति जो 36 महीने से ज़्यादा समय तक रखी जाती है, उसे दीर्घकालिक संपत्ति कहा जाता है। ऐसी संपत्ति की बिक्री से होने वाले लाभ को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ माना जाएगा और उस पर तदनुसार कर लगेगा।
- वरीयता शेयर, इक्विटी, यूटीआई यूनिट, प्रतिभूतियां, इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड और शून्य कूपन बांड जैसी परिसंपत्तियों को भी दीर्घकालिक पूंजीगत परिसंपत्ति माना जाता है, यदि उन्हें एक वर्ष से अधिक समय तक रखा जाए।
कर की प्रतावित नई दरें
- अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर: "निर्दिष्ट" वित्तीय परिसंपत्तियों पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर 15% के स्थान पर 20% की कर दर लागू की गई है।
- अन्य सभी वित्तीय परिसंपत्तियों और गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर मौजूदा दर ही लागू रहेगी।
- दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर : सभी वित्तीय और गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर 10% के बजाय 12.5% की कर दर लागू की गई है।
- निम्न एवं मध्यम आय वर्ग के लाभ के लिए कुछ सूचीबद्ध वित्तीय परिसंपत्तियों पर पूंजीगत लाभ की छूट की सीमा को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.25 लाख प्रति वर्ष करने का प्रस्ताव किया गया।
पूंजीगत परिसंपत्तियां
- पूंजीगत परिसंपत्ति को करदाता द्वारा धारित किसी भी प्रकार की संपत्ति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
- इसका करदाता के व्यवसाय या पेशे से जुड़ा होना आवश्यक नहीं है।
- इसमें सभी प्रकार की चल या अचल, मूर्त या अमूर्त संपत्तियां शामिल हैं।
- भूमि, भवन, गृह संपत्ति , वाहन, पेटेंट, ट्रेडमार्क, लीजहोल्ड अधिकार, मशीनरी और आभूषण पूंजीगत परिसंपत्तियों के कुछ उदाहरण हैं।
- अन्य पूंजीगत संपत्तियों के उदाहरण:
- भारत में किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी में इक्विटी या वरीयता शेयर
- भारत में किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध प्रतिभूतियाँ (जैसे डिबेंचर, बांड, सरकारी प्रतिभूतियाँ आदि)
- UTI की इकाइयाँ
- इक्विटी उन्मुख म्यूचुअल फंड की इकाइयाँ
- शून्य कूपन बांड
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