प्रारंभिक परीक्षा
(पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)
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संदर्भ
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में ‘टील कार्बन’ (Teal Carbon) पर किए गए भारत के पहले अध्ययन में जलवायु अनुकूलन एवं लचीलेपन के लिए आर्द्रभूमि संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।
क्या है टील कार्बन
- टील कार्बन से तात्पर्य गैर-ज्वारीय मीठे पानी की आर्द्रभूमियों (जैसे- दलदली भूमि) में संग्रहित कार्बन से है।
- ये पारिस्थितिक तंत्र स्थलीय वन पारिस्थितिकी तंत्र की तुलना में कार्बन संग्रहण (कैप्चर) एवं भंडारण (स्टोरेज) में अधिक प्रभावी माने जाते हैं और किसी भी अन्य प्रकार के स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र की तुलना में अधिक कार्बन का संग्रहण व पृथक्करण (Carbon Sequestration) कर सकते हैं।
- यह रंग-आधारित शब्दावली जैविक कार्बन के वर्गीकरण को उसके भौतिक गुणों के बजाय उसके कार्यों एवं स्थान के आधार पर प्रतिबिंबित करती है।
कार्बन का रंग-आधारित वर्गीकरण
- वैज्ञानिक कार्बन चक्र के विभिन्न बिंदुओं पर कार्बन के कार्य, विशेषताओं एवं स्थान के आधार पर कार्बन को वर्गीकृत करने के लिए रंग का उपयोग करते हैं। यह निम्नलिखित प्रकार का होता है :
- पर्पल कार्बन : वायु या औद्योगिक उत्सर्जन के माध्यम से प्राप्त कार्बन
- ब्लू कार्बन : समुद्री पौधों एवं तलछट में संग्रहित कार्बन
- टील कार्बन : मीठे पानी एवं आर्द्रभूमि वातावरण में संग्रहित कार्बन
- ग्रीन कार्बन : स्थलीय पौधों एवं वनों में संग्रहित कार्बन
- ब्लैक कार्बन : जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्सर्जित होने कार्बन
- ग्रे कार्बन : औद्योगिक उत्सर्जन के माध्यम से उत्सर्जित होने वाला कार्बन
- ब्राउन कार्बन : कार्बनिक पदार्थों के अधूरे दहन से उत्सर्जित होने वाला कार्बन
- रेड कार्बन : बर्फ एवं बर्फ पर जैविक कणों के माध्यम से निकलने वाला कार्बन
- यह एल्बिडो को कम करता है।