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तीस्ता नदी विवाद और भारत-बांग्लादेश सम्बंधों में चुनौती तथा चीन

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारत एवं विश्व का प्राकृतिक भूगोल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 व 2: महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएँ (जल-स्रोत), भारत एवं इसके पड़ोसी- सम्बंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय समूह और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत के हितों पर विकसित व विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

चर्चा में क्यों?

बांग्लादेश तीस्ता नदी पर एक ‘व्यापक प्रबंधन और बहाली परियोजना’ के लिये चीन से लगभग 1 अरब डॉलर के ऋण समझौते पर बातचीत कर रहा है।

पृष्ठभूमि

  • तीस्ता नदी का उद्गम पूर्वी हिमालय में पहुनरी (तीस्ता कंगसे) ग्लेशियर से होता है। उत्तरी बंगाल की जीवन रेखा मानी जाने वाली यह नदी सिक्किम, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • तीस्ता, ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है, जिसे बांग्लादेश में जमुना कहा जाता है। तीस्ता के जल का बंटवारा लम्बे समय से भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद का विषय रहा है। बांग्लादेश ने भारत से वर्ष 1996 की ‘गंगा जल संधि’ की तर्ज़ पर तीस्ता जल के भी ‘न्यायसंगत वितरण’ की माँग की है।
  • बांग्लादेश के ‘व्यापक प्रबंधन और बहाली परियोजना’ का उद्देश्य नदी बेसिन का कुशल प्रबंधन करना, बाढ़ को नियंत्रित करना और ग्रीष्मकाल में जल संकट से निपटना है।
  • इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि चीन के साथ बांग्लादेश की चर्चा ऐसे समय में हुई है, जब भारत लद्दाख में गतिरोध के बाद चीन को लेकर विशेष रूप से सावधान है।

तीस्ता विवाद की प्रगति

  • सितम्बर 2011 में भारतीय प्रधानमंत्री के बांग्लादेश दौरे के दौरान दोनों देश जल-बंटवारे के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बिल्कुल करीब थे परंतु पश्चिम बंगाल द्वारा समझौते की शर्तों पर आपत्ति के बाद इस समझौते को रद्द कर दिया गया।
  • जून 2015 में भारत के प्रधानमंत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक साथ बांग्लादेश का दौरा किया। इस दौरान भारत द्वारा कहा गया कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग के माध्यम से जल्द ही तीस्ता पर एक ‘निष्पक्ष समाधान’ तक पहुँचा जा सकता है।
  • हालाँकि पाँच वर्ष बाद भी तीस्ता का मुद्दा सुलझ नहीं पाया है।

भारत के साथ बांग्लादेश का वर्ष-दर-वर्ष सम्बंध

  • भारत का बांग्लादेश के साथ एक मज़बूत रिश्ता रहा है। वर्ष 2008 के बाद, विशेषकर शेख हसीना सरकार के सत्तासीन होने के उपरांत सम्बंधों में अतिरिक्त समझ और सावधानी दिखाई गई है।
  • भारत को बांग्लादेश के साथ सुरक्षा सम्बंधों के कारण लाभ प्राप्त हुआ है। बांग्लादेश द्वारा भारत विरोधी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में शांति बनाए रखने में मदद मिली है।
  • बांग्लादेश को भी भारत के साथ आर्थिक और विकास साझेदारी से लाभ प्राप्त हुआ है। बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। पिछले एक दशक में द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ा है। वर्ष 2018-19 में भारत द्वारा बांग्लादेश को 9.21 बिलियन डॉलर का निर्यात किया गया, जबकि बांग्लादेश से 1.04 बिलियन डॉलर का आयात हुआ।
  • भारत, बांग्लादेश के नागरिकों को प्रतिवर्ष 15 से 20 लाख वीज़ा चिकित्सा उपचार, पर्यटन, काम और मनोरंजन के लिये देता है। बांग्लादेश के अभिजात वर्ग द्वारा भारत में खरीदारी करने के लिये की जाने वाली यात्रा काफी आम है।
    § भारत के लिये ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ में बांग्लादेश एक महत्त्वपूर्ण भागीदार रहा है। हालाँकि, हाल में दोनों देशों के बीच सम्बंधों में कुछ रूखापन देखा जा रहा है।

सम्बंधो में गिरावट का कारण

  • सम्बंधो में गिरावट का एक बड़ा कारण ‘राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर’ (NRC) और पिछले वर्ष दिसम्बर में पारित किया गया ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (CAA) है। बांग्लादेश में नागरिक स्तर के साथ-साथ राजनीतिक स्तर पर भी इसका विरोध हुआ, जिससे कूटनीतिक सम्बंधों पर नकारात्मक असर पड़ा।
  • बांग्लादेश ने अपने कई मंत्रियों के दौरे रद्द कर दिये। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी नागरिकता संशोधन अधिनियम पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि सी.ए.ए. और प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एन.आर.सी. भारत के ‘आंतरिक मामले’ हैं परंतु यह कदम ‘आवश्यक नहीं’ था। बांग्लादेश को डर है कि इससे उनके देश में नागरिकों की संख्या बढ़ जाएगी।
  • दक्षिण एशिया के प्रमुख देश भारत द्वारा बांग्लादेश को रोहिंग्या के मुद्दे पर समर्थन न मिलने के कारण भी सम्बंधों में रूखापन देखने को मिला है।
  • बांग्लादेश के संस्थापक राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान के जन्मशती समारोह में भी कोरोना का हवाला देकर प्रधानमंत्री मोदी का दौरा रद्द कर दिया गया था क्योंकि बांग्लादेश में इसका विरोध हो रहा था।

बांग्लादेश और चीन के बीच सम्बंधों का विकासक्रम

  • चीन, बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और आयात का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत है। वर्ष 2019 में दोनों देशों के बीच 18 अरब डॉलर का व्यापार हुआ और आयात की कमान चीन के हिस्से में रही। व्यापार अधिकांशत: चीन के पक्ष में है।
  • हाल ही में चीन ने बांग्लादेश से आने वाले 97% आयातों पर शून्य शुल्क (Zero Duty) का ऐलान किया। अल्प विकसित देशों के लिये चीन के शुल्क मुक्त, कोटा-मुक्त कार्यक्रम के तहत बांग्लादेश को यह रियायत प्राप्त हुई है।
  • बांग्लादेश में इस कदम का इस उम्मीद के साथ व्यापक रूप से स्वागत किया गया कि इससे बांग्लादेश का चीन में निर्यात बढ़ेगा।
  • भारत ने भी $10 बिलियन की विकासात्मक सहायता प्रदान की है। इस सहायता से बांग्लादेश वैश्विक स्तर पर भारत की कुल सहायता का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता बन गया है। चीन ने भी बांग्लादेश को लगभग 30 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता का वादा किया है।
  • इसके अतिरिक्त, चीन के साथ बांग्लादेश के मज़बूत रक्षा सम्बंधों ने भी स्थिति को जटिल बना दिया हैं।
  • चीन, बांग्लादेश का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्त्ता है। बांग्लादेश की मुक्ति के बाद पाकिस्तानी सेना के कई अधिकारी- जो चीनी हथियारों से अच्छी तरह से वाकिफ थे - बांग्लादेश सेना में शामिल हो गए और उन्होंने चीनी हथियारों को प्राथमिकता दी। हाल ही में बांग्लादेश ने चीन से दो मिंग श्रेणी की पनडुब्बियाँ खरीदी हैं।
  • लद्दाख गतिरोध के मद्देनजर, भारत, बांग्लादेश में चीनी रक्षा साज़ो-समान की बढ़ती पैठ के प्रति अधिक संवेदनशील हो गया है।

सी.ए.ए. के बाद भारत की बांग्लादेश के प्रति रणनीति

  • पिछले पाँच महीनों में, भारत और बांग्लादेश ने महामारी सम्बंधी कदमों पर एक-दूसरे का सहयोग किया है। बांग्लादेश ने कोविड-19 से मुकाबले के लिये भारत के ‘क्षेत्रीय आपातकालीन निधि’ के आह्वान का समर्थन किया और मार्च 2020 में $1.5 मिलियन के योगदान की घोषणा की। भारत ने बांग्लादेश को चिकित्सा सहायता भी प्रदान की है।
  • दोनों देशों ने रेलवे में भी सहयोग किया है। भारत ने बांग्लादेश को 10 रेल इंजन दिये हैं। इसके अतिरिक्त, पूर्वोत्तर राज्यों में बांग्लादेश के माध्यम से भारतीय कार्गो के ट्रांस-शिपमेंट के लिये पहला परीक्षण भी जुलाई में हुआ। यह परीक्षण चटगाँव और मोंगला बंदरगाहों के उपयोग पर एक समझौते के तहत हुआ है।
  • हालाँकि, हाल के सप्ताह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा बांग्लादेशी समकक्ष के साथ फ़ोन पर हुई बात ने भारत को और चौकन्ना कर दिया है।

चीन के नवीनतम कदम के बीच भारत के प्रयास

  • विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने मार्च में ढाका का दौरा किया था। अभी हाल में भी श्री श्रृंगला ने बांग्लादेश का दौरा किया। कोविड-19 की शुरुआत के बाद से शेख हसीना की किसी विदेशी मेहमान से यह पहली मुलाकात थी।
  • बांग्लादेश ने इस वर्ष की पहली छमाही के दौरान बी.एस.एफ. या भारतीयों द्वारा भारत-बांग्लादेश सीमा पर हो रही हत्याओं में वृद्धि पर गहरी चिंता व्यक्त की है। हालाँकि, भारतीय पक्ष ने इस मुद्दे के समाधान का आश्वासन दिया है।
  • दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि परियोजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध तरीके से किया जाना चाहिये। साथ ही बांग्लादेश में विकास परियोजनाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है।
  • बांग्लादेश ने भारत से बांग्लादेशी मरीजों को भारत आने की आवश्यकता के मद्देनज़र तत्काल प्रभाव से वीज़ा जारी करने का अनुरोध किया है।
  • भारत से बेनापोले-पेट्रापोले भूमि बंदरगाह के माध्यम से यात्रा को फिर से शुरू करने का अनुरोध किया गया, जिसे पश्चिम बंगाल सरकार ने महामारी के कारण रोक दिया था।
  • साथ ही बांग्लादेश ने कोविड-19 वैक्सीन के विकास और परीक्षण में सहयोग की बात कही है तथा वैक्सीन के तैयार होने पर इसकी जल्द व सस्ती उपलब्धता की आशा की है।

आगे की राह

हालाँकि, तीस्ता परियोजना भारत के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण और ज़रूरी है, लेकिन अगले वर्ष होने वाले पश्चिम बंगाल चुनावों से पहले इस मुद्दे का समाधान मुश्किल होगा। भारत द्वारा किये गए सभी आश्वासनों को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिये। बांग्लादेश ने लॉकडाउन के कारण फंसे तब्लीगी जमात के सदस्यों की वापसी और असम में हिरासत में रखे गए बांग्लादेशी मछुआरों की जल्द रिहाई की भी माँग की है, अत: इस पर जल्द से जल्द निर्णय लिये जाने की आवश्यकता है। वीज़ा और वैक्सीन के मामले में बांग्लादेश के साथ सहयोग करना चाहिये। सी.ए.ए. और एन.आर.सी. के मुद्दे पर बांग्लादेश में पनप रही भारत विरोधी भावना को भी ध्यान में रखा जाना चाहिये। साथ ही भारत द्वारा बांग्लादेश को रोहिंग्या के मुद्दे पर समर्थन के लिये दिया गया सहयोग की भावना को बढ़ाने में लाभकारी सिद्ध होगा।

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