संदर्भ
यूनाइटेड किंगडम के लीड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वर्तमान गति जारी रहा तो 2100 तक लगभग दो-तिहाई से अधिक समशीतोष्ण वर्षावन नष्ट हो जाएंगे।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष
- अध्ययन के अनुसार यदि 'सामान्य स्थिति' बनी रही तो जलवायु परिवर्तन के कारण 68 % से अधिक समशीतोष्ण वर्षावन नष्ट होने की संभावना है।
- शोधकर्ताओं के अनुसार वैश्विक तापमान को 2℃ से नीचे सीमित रखने से नुकसान 9% तक सीमित हो जाएगा।
- ये वन प्रणालियाँ ठंडी और नम जलवायु वाले बायोम पर निर्भर हैं, जो वैश्विक स्तर पर दुर्लभ होने के साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण खतरे में है।
- वैज्ञानिकों ने वनों के अस्तित्व के लिए आवश्यक अनुकूल परिस्थितियों का अनुमान लगाने के लिए पुराने मौसम रिकॉर्ड के साथ-साथ मौजूदा मानचित्रों का भी उपयोग किया।
- अध्ययन के अनुसार शीतोष्ण वर्षावन केवल आर्द्र और ठंडे क्षेत्रों में पाए जाने वाले दुर्लभ पारिस्थितिकी तंत्र हैं। ये गर्म जलवायु के प्रति संवेदनशील होते हैं।
- इन्हें संरक्षित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अद्वितीय प्रजातियों की मेजबानी करने के साथ ही उच्च मात्रा में कार्बन संग्रहीत कर सकते हैं।
- यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया तो यह संकट बढ़ता ही जाएगा।
- अध्ययन में यह भी पाया गया कि मौजूदा समशीतोष्ण वर्षावन बायोम का 43 % हिस्सा पहले ही वनों की कटाई के कारण नष्ट हो चुका है और केवल 37 % प्राथमिक पुराने विकास वन बचे हैं।
- शोधकर्ताओं ने समशीतोष्ण वर्षावन बायोम के संरक्षण और बहाली की आवश्यकता को रेखांकित किया।
- अध्ययन के अनुसार मानव हस्तक्षेपरहित वनों का सूक्ष्म वातावरण आमतौर पर परिवेश के तापमान की तुलना में ठंडा होता है और यह बफरिंग वनों की कार्यप्रणाली तथा जैव विविधता पर तापमान वृद्धि के प्रभाव की गंभीरता को कम कर सकती है।
- विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि खंडित एवं पृथक वन तथा सीमांत वन, मानव हस्तक्षेपरहित वनों की तुलना में जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
अध्ययन में कमियाँ
- शोधकर्ताओं द्वारा किया गया यह अध्ययन समशीतोष्ण वर्षा वनों पर जलवायु परिवर्तन के वास्तविक प्रभावों को कम आंक सकता है, क्योंकि उनके जलवायु परिदृश्यों में भूस्खलन, तूफान और हीटवेव जैसी चरम घटनाओं के प्रभावों को शामिल नहीं किया गया है।
- ऐसी घटनाओं से इन वनों का विलुप्त होना और भी तेज़ हो सकता है। अध्ययन के अनुसार वर्तमान मूल्यांकन जारी वन क्षरण पर आधारित है तथा इसमें इस बात पर विचार नहीं किया गया है कि सूक्ष्म जलवायु वैश्विक तापमान वृद्धि पर किस प्रकार प्रतिक्रिया करेगी।
समशीतोष्ण वर्षावन के बारे में
- समशीतोष्ण वर्षावन ग्रह की स्थलीय सतह के 1% से भी कम क्षेत्र में फैले हुए हैं और वैश्विक वन क्षेत्र का लगभग 2.5 % हिस्सा है।
- हालांकि, वे अपने पारिस्थितिक महत्व और अन्य अक्षांशों के वनों की तुलना में उच्च कार्बन घनत्व के कारण महत्वपूर्ण हैं।
- सबसे बड़े समशीतोष्ण वर्षावन जलवायु बायोम वाले देश कनाडा, अमेरिका, चिली, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और यूनाइटेड किंगडम हैं।
- अनियंत्रित जलवायु परिवर्तन ब्रिटेन और विश्व स्तर पर समशीतोष्ण वर्षावनों के लिए एक आपदा है, क्योंकि वे उच्च ग्रीष्मकालीन तापमानों को सहन नहीं कर सकते हैं।