प्रारम्भिक परीक्षा –वर्ष 2024 में तापमान औसत से अधिक बढ़ेगी : WMO मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 (भारत एवं विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ) |
संदर्भ
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, वर्ष 2024 में मार्च और मई के बीच तापमान औसत से अधिक रहेगा।
प्रमुख बिंदु :-
- WMO ने मार्च और मई के बीच तापमान औसत से अधिक रहने का कारण अल नीनो का प्रभाव बताया है।
- WMO के अनुसार, मार्च से मई 2024 के दौरान अल नीनो के बने रहने की लगभग 60 % संभावना है।
- अप्रैल से जून 2024 के दौरान तटस्थ स्थितियों (न तो अल नीनो और न ही ला नीना) की 80 % संभावना है।
- वर्तमान में अल नीनो जून 2023 में विकसित हुई थी जिसका प्रभाव नवंबर और जनवरी 2024 के बीच सर्वाधिक देखा गया।
यूरोपीय संघ की कापरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा :-
- यूरोपीय संघ की कापरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा के अनुसार, वैश्विक औसत तापमान जनवरी 2024 में पहली बार पूरे वर्ष के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया।
- पेरिस समझौते में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार करना तापमान बढ़ोतरी को संदर्भित करता है।
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- वर्ष 2023-24 की अल नीनो अब तक के पांच सर्वाधिक प्रचंड अल नीनो में से एक है। क्योंकि जून 2023 के बाद से हर महीने तापमान बढ़ रहा है।
- वर्ष 2023 अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रूप में रिकार्ड किया गया है।
- अल नीनो का वैश्विक जलवायु पर सर्वाधिक प्रभाव इसके उत्पन्न होने के पश्चात् 2 वर्ष तक रहता है।
- यह वर्ष 2024 में कमजोर होने के पश्चात् भी वैश्विक जलवायु को प्रभावित करेगा।
- WMO के अनुसार, यदि जून से अगस्त 2024 तक ला नीना की स्थिति विकसित होती है, तो इस साल 2024 में मानसून की बारिश वर्ष 2023 की तुलना में अच्छी होगी।
अल नीनो का पूर्व अवलोकन :-
- अल नीनो के कारण पूर्वी और मध्य उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर के में वर्ष 1991 से वर्ष 2020 के मध्य औसत समुद्र-सतह का तापमान लगभग 2.0 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया था।
- इस आधार पर WMO ने अनुमान लगाया है की वर्ष 2024 के मध्य तक तापमान में वृद्धि होगी।
अल नीनो:-
- एल-निनो एक जटिल मौसम तंत्र है, जो हर 5 या 10 साल बाद प्रकट होता रहता है।
- इसका प्रभाव 9 से 12 महीने तक रहता है।
- इस तंत्र में महासागरीय और वायुमंडलीय परिघटनाएँ शामिल होती हैं।
- पूर्वी प्रशांत महासागर में, यह पेरू के तट के निकट उष्ण समुद्री धारा के रूप में प्रकट होता है।
- यह भूमध्यरेखीय उष्ण समुद्री धारा का विस्तार मात्र है, जो अस्थायी रूप से ठंडी पेरूवियन अथवा हम्बोल्ट धारा पर प्रतिस्थापित हो जाती है।
- यह धारा पेरू तट के जल का तापमान 10° सेल्सियस तक बढ़ा देती है।
- इससे भारत सहित अनेक देशों का मौसम प्रभावित होता है।
इसके निम्नलिखित परिणाम होते हैं:-
(i) भूमध्यरेखीय वायुमंडलीय परिसंचरण में विकृति;
(ii) समुद्री जल के वाष्पन में अनियमितता;
(iii) प्लवक की मात्रा में कमी, जिससे समुद्र में मछलियों की संख्या का घट जाना।
अल नीनो का भारत पर प्रभाव :-
- भारत में मानसून की लंबी अवधि के पूर्वानुमान के लिए अल-नीनो का उपयोग होता है।
- वर्ष1990-1991 में अल-निनो का प्रचंड रूप देखने को मिला था।
- इस के कारण देश के अधिकतर भागों में मानसून के आगमन में 5 से 12 दिनों की देरी हो गई थी।
ला नीना :-
- ला नीना, एल नीनो के विपरीत जलवायु पैटर्न है, जो दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय पश्चिमी तट के साथ समुद्र सतह के पानी के ठंडा होने से उत्पन्न होता है।
- ला नीना के कारण समुद्री सतह का तापमान अत्यंत कम हो जाने से दुनियाभर का तापमान औसत से काफी कम हो जाता है।
- इसके प्रभाव के कारण भारत में वर्षा अच्छी होती है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)
- यह संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष एजेंसी है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1950 में की गई।
- इसकी उत्पत्ति वर्ष 1873 में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है।
- यह मौसम विज्ञान, जल विज्ञान और भू-भौतिकी विज्ञान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
- यह समाज की सुरक्षा, आर्थिक कल्याण और पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित मामलों पर वास्तविक डेटा, सूचना, उत्पादों और सेवाओं के मुफ्त और अप्रतिबंधित आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है।
- यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन क्षेत्रों में नीति निर्माण में योगदान देता है।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : अल नीनो के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- अल नीनो एक जटिल मौसम तंत्र है, जो हर 5 या 10 साल बाद प्रकट होता रहता है।
- इसका वैश्विक जलवायु पर लगभग 2 वर्ष तक प्रभाव रहता है।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, वर्ष 2024 में मार्च और मई के बीच तापमान औसत से अधिक रहेगा।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर (c)
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स्रोत : THE HINDU