प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिकी, राम मंदिर, कालाराम मंदिर, वीरभद्र मंदिर, श्री रामस्वामी मंदिर, श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर, कोथांदरामस्वामी मंदिर, मंदिर निर्माण शैली मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, पेपर-1 (वास्तुकला) |
संदर्भ:
22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिवसीय विशेष अनुष्ठान पर थें। इस दौरान उन्होंने देश के अलग-अलग मंदिरों में पूजा-अर्चना की।
प्रमुख बिंदु:
- 11 दिवसीय अनुष्ठान पर प्रधानमंत्री की मंदिर यात्राओं से एक विशेष पैटर्न निर्मित हुआ है, जिसके संबंध रामायण से स्थापित हो रहे हैं।
- इस अनुष्ठान के दौरान पीएम मोदी सबसे पहले महाराष्ट्र स्थित पंचवटी के कलाराम मंदिर पहुंचे थे।
- इसके बाद लेपाक्षी, आंध्र प्रदेश पहुंचे थे, जहाँ उन्होंने वीरभद्र मंदिर में दर्शन किए।
- आंध्र प्रदेश के बाद पीएम मोदी श्री रामस्वामी मंदिर पहुंचे थे।
- यात्रा के क्रम में तमिलनाडु के त्रिचि में स्थित श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के दर्शन किए।
- त्रिचि से रामेश्वरम की यात्रा की, जहाँ रामनाथस्वामी मंदिर है।
- इसके बाद धनुषकोडि पहुंचें और कोथांदरामस्वामी मंदिर में पूजा की।
- यात्रा के अंतिम पड़ाव में 22 जनवरी को अयोध्या पहुंचे प्राण प्रतिष्ठा में हिस्सा लिया।
कालाराम मंदिर:
- यह मन्दिर महाराष्ट्र राज्य के नासिक ज़िले के पंचवटी के निकट स्थित है।
- इस मंदिर में भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण जी की काले रंग की शिला से बनी प्रतिमा है। इसी कारण इस मंदिर का नाम कालाराम पड़ गया।
- यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है।
- इस मंदिर का जीर्णोधार वर्ष 1782 में कराया गया था।
- इसका जीर्णोधार सरदार रंगाराव ओधेकर के प्रयासों से किया गया था।
- इसी मंदिर से हिंदू मंदिरों में दलितों के प्रवेश की मांग के लिए आंदोलन हुआ था।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार:
- इसका विशेष महत्व इस जगह भगवान राम के वनवास के समय में रुकने से है।
- रामायण के अनुसार यहीं से रावण ने माता सीता का हरण किया था।
वीरभद्र मंदिर:
- यह भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के लेपाक्षी में स्थित एक हिंदू मंदिर है ।
- यह मंदिर भगवान शिव के उग्र अवतार वीरभद्र को समर्पित है ।
- 16वीं शताब्दी में निर्मित, यह मंदिर विजयनगर शैली (द्रविड़ की उपशैली) में बना है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार:
- लेपाक्षी वह स्थान है, जहां गिद्ध जटायु सीता का अपहरण करने वाले रावण द्वारा किए गए हमले में घायल होने के बाद गिरे थे।
- अंतिम सांस लेने से पहले जटायु ने भगवान राम को बताया था कि सीता को रावण दक्षिण की ओर ले गया था। यहीं भगवान राम ने जटायु को मोक्ष प्रदान किया।
श्री रामस्वामी मंदिर:
- यह मंदिर केरल के थिसूर जिला स्थित थ्रिप्रेयर में है।
- इसे दक्षिणी अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है।
- इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया था।
- यह मंदिर द्रविड़ शैली में निर्मित है।
- यह भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम को समर्पित है।
- यह मंदिर करुवन्नूर नदी के तट पर स्थित है, जिसे दक्षिण सरयू कहा जाता है।
- इस मंदिर में चकयार कूथू नाम की पूजा होती है।
- मंदिर में 219 दीवार पेंटिंग और कुछ प्रसिद्ध पत्थर की नक्काशी हैं, जो महान महाकाव्य रामायण की घटनाओं की व्याख्या करती हैं।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार
- जब हनुमान लंका से सीता का पता लगाकर लौटे थे, यहां पर उनका भव्य स्वागत हुआ था।
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर:
- यह तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम में स्थित है।
- यह रंगनाथ (विष्णु का एक रूप) को समर्पित एक हिंदू मंदिर है।
- यह द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार:
- जब रावण का वध करने के बाद भगवान राम अयोध्या लौटे तो उनके साथ विभीषण भी आए थे।
- विभीषण लौटने लगे तो भगवान राम ने उन्हें विष्णु की एक मूर्ति दी थी।
- यह मूर्ति हज़ारों वर्ष बाद चोल वंश के राजा को मिली, जिसकी रंगनाथस्वामी मंदिर में स्थापना कराई।
रामनाथस्वामी मंदिर:
- यह तमिलनाडु राज्य में रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है।
- यह एक हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है।
- यह मंदिर चार धाम और12 ज्योतिर्लिंग में से एक है।
- भारतीय धर्मग्रंथों में बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम की चर्चा चार धाम के रूप में की गई है।
- यह द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार:
- जब श्रीलंका से लौटने वक्त भगवान राम ब्रह्म हत्या (रावण को मारने) का प्रायश्चित करना चाहते थे।
- भगवान शिव ने उन्हें सलाह दी कि वह शिवलिंग बनाकर इसकी पूजा करें।
- माता सीता ने समुद्र तट पर पड़ी रेत से शिवलिंग बनाया था।
कोथांदरामस्वामी मंदिर:
- यह तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडि में स्थित है।
- यह मंदिर श्री कोथांद्रामा स्वामी को समर्पित है।
- कोथांद्रामा का अर्थ है ‘धनुष के साथ राम’।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार:
- ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने श्रीलंका से लौटने के बाद अपनी धनुष द्वारा राम सेतु को तोड़ डाला था।
राम मंदिर, अयोध्या:
- अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी, 2024 को किया गया।
- इस मंदिर का निर्माण, मंदिर वास्तुकला की नागर शैली में किया गया।
- मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है।
- मंदिर तीन मंजिला है, जिसकी प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची है।
- राम मंदिर में स्थापित नई मूर्ति:
- इसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है।
- रामलला की मूर्ति की विशेषताएँ:
- रामलला की नई मूर्ति श्यामल रंग की है।
- नेपाल से आए शालिग्राम पत्थर की बनी है।
- इसकी निर्माण शैली दक्षिण भारतीय है।
- बाल स्वरूप रामलला के हाथों में धनुष है, जिसकी लंबाई 51 इंच है।
- भगवान को कमल पर खड़े पांच साल के बच्चे के रूप में चित्रित किया है।
नोट:
भारत में मंदिर निर्माण की तीन शैलियां प्रमुख हैं- नागर, द्रविड़ और वेसर हैं।
नागर शैली:
- यह शैली पांचवीं शताब्दी ईस्वी में, गुप्त काल के अंत में प्रचलित हुई।
- इस शैली में मंदिर एक विशाल चबूतरे (वेदी) पर बनाया जाता है और उस तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ होती हैं।
- गर्भगृह, मंदिर का सबसे पवित्र हिस्सा होता है, इसमें देवता की मूर्ति स्थापित होती है
- गर्भगृह के बाहर, गंगा और यमुना नदी की देवी की छवियों को बनाया जाता है।
- गर्भगृह के ऊपर घुमावदार गुम्बद होता है, जिसे शिखर कहा जाता है
- शिखर, ऊपर की ओर पतला होता जाता है, इस पर आमलक की स्थापना होती है।
- इसके ऊपर एक गोलाकार आकृति रखी जाती है, जिसे कलश कहा जाता है।
- मंदिर में सभा भवन और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा-पथ भी होता है।
- इस शैली में मंदिरों के निर्माण की पंचायतन शैली का पालन किया जाता है।
- इस शैली के मंदिर में कोई जलाशय नहीं होता है।
- नागर शैली के प्रसिद्ध मंदिर:
कोणार्क का सूर्य मंदिर, पुरी का जगन्नाथ मंदिर, भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर
द्रविड़ शैली:
- द्रविड़ शैली का प्रचलन दक्षिण भारत में मुख्य रूप से कृष्णा नदी से लेकर कन्याकुमारी तक हुआ
- इस शैली में मंदिर चारों ओर एक चारदीवारी से घिरे होते हैं।
- इस चारदीवारी के बीच में प्रवेश द्वार होते हैं, जिन्हें गोपुरम् कहते हैं।
- मंदिर का गुम्बद, जिसे विमान कहा जाता है; एक सीढ़ीदार पिरामिड की तरह होता है, जो ऊपर की ओर ज्यामितीय रूप से उठा होता है
- इस शैली में मंदिरों में द्वारपालों की प्रतिमाएँ खड़ी की जाती हैं
- मंदिर परिसर में कोई बड़ा जलाशय या तालाब होता है।
- प्रमुख उदाहरण - एलोरा का कैलाशनाथ मंदिर
वेसर शैली:
- यह मंदिर विन्ध्य पर्वतमाला से कृष्णा नदी के बीच निर्मित हैं।
- इस शैली के मंदिरों में, नागर और द्रविड़ दोनों शैलियों की विशेषताएं देखने को मिलती हैं।
- इस शैली के मंदिरों का आकार आधार से शिखर तक गोलाकार या अर्द्ध गोलाकार होता है।
- इस शैली में खंभे, दरवाजे और छत को जटिल नक्काशी से सजाया जाता है
- प्रमुख उदहारण - मैसूर के हेलेबिड का होयलेश्वर मंदिर
प्रश्न:- निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- रामनाथस्वामी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
- श्री रामस्वामी मंदिर, जिसे दक्षिणी अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है।
- कालाराम मंदिर द्रविड़ शैली में निर्मित है।
उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर- (b)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न: भारत में मंदिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियों की चर्चा कीजिए।
|