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वस्त्र उद्योग : बांग्लादेश संकट और भारत के लिए अवसर

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 व 2: विभिन्न भागों में प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों को स्थापित करने के लिये ज़िम्मेदार कारक, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

संदर्भ

बांग्लादेश भारतीय कपड़ा निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार और वैश्विक स्तर पर निर्यात होने वाले कपड़ों के लिए एक महत्वपूर्ण विनिर्माण आधार के रूप में कार्य करता है। बांग्लादेश में जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भारतीय टेक्सटाइल उद्योग अनिश्चितता का सामना कर रहा है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार का महत्व

  • रेडीमेड परिधान का योगदान बांग्लादेश के व्यापारिक निर्यात (Merchandise Exports) में 85% से अधिक और कुल निर्यात में 70% से अधिक है।
  • भारतीय उपमहाद्वीप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बांग्लादेश है। एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा साझेदार भारत है जबकि चीन पहले स्थान पर है।
    • वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 13 बिलियन डॉलर तक होने का अनुमान है।
  • बांग्लादेश ने रेडीमेड वस्त्रों एवं वस्त्र उत्पादों के निर्यात में तेज वृद्धि की है, जिससे यह चीन के बाद दुनिया में ऐसे उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है।
    • वर्ष 2022 में बांग्लादेश का कपड़ा निर्यात $45 बिलियन था जो भारत से दोगुने से भी अधिक था।

भारतीय टेक्सटाइल उद्योग की बांग्लादेश पर निर्भरता

  • कच्चे माल की आपूर्ति : बांग्लादेश को कपास एवं सिंथेटिक फाइबर का एक महत्वपूर्ण निर्यातक भारत हैयह बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चे माल आपूर्तिकर्ता के रूप में कार्य करता है।
  • निम्न श्रम लागत : बांग्लादेश में भारत की तुलना में श्रम की लागत निम्न है। यह लागत लाभ बांग्लादेश को भारतीय कपड़ा घरानों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाता है।
  • उच्च उत्पादन मात्रा : बांग्लादेश उच्च उत्पादन क्षमता के साथ परिधान निर्माण में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है। 
    • यह भारतीय कपड़ा घरानों के लिए एक बड़े बाज़ार का काम करता है, जहाँ भारत से बड़े स्तर पर कच्चे माल के रूप में कपड़े निर्यात होता है जो उत्पादन को कुशलतापूर्वक बढ़ाने में सक्षम बनाता है।
  • मशीनरी एवं प्रौद्योगिकी : भारतीय वस्त्र मशीनरी निर्माताओं की बांग्लादेश में मजबूत उपस्थिति है, जो बाग्लादेश में कपड़ा मिलों के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराते हैं।

भारतीय कपड़ा बाजार पर प्रभाव

  • राष्ट्रीय कपड़ा उद्योग संगठन के अनुसार, बांग्लादेश में आपूर्ति श्रृंखला में कोई भी रुकावट तुरंत आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करती है, जो भारतीय कंपनियों की डिलीवरी व उत्पादन कार्यक्रम को प्रभावित कर सकती है।
  • भारत में कताई क्षेत्र को अल्पकालिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि बांग्लादेश भारतीय सूती धागे व कपड़ों का एक प्रमुख खरीदार है।
  • यार्न निर्यात का सबसे बड़ा ग्राहक बांग्लादेश है। लगभग 25 से 30% निर्यात बांग्लादेश को होने के कारण वहां कोई भी व्यवधान भारत में समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • साथ ही, विनिर्माण परिचालन वाले भारतीय उद्यमों को अपने उत्पादन प्रवाह को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे बाजार में देरी एवं संभावित कमी हो सकती है। 
    • यह व्यवधान उत्पादों की उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है और कंपनियों को विकल्प तलाशने के लिए मजबूर कर सकता है।
    • बांग्लादेश में लगभग 25% विनिर्माण इकाइयाँ भारतीय कंपनियों के स्वामित्व में हैं। 
  • बांग्लादेश केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश ने वित्तीय वर्ष 2024 की पहली छमाही में रेडीमेड गारमेंट्स के लिए 7.92 बिलियन डॉलर मूल्य के कच्चे माल का आयात किया है। 
    • यदि स्थिति सामान्य नहीं होती है तो भविष्य में तेज़ गिरावट की आशंका है।

भारत के लिए अवसर

  • किसी देश के उत्पादन में कोई गड़बड़ी वहां के निर्यात को कम करती है, जिससे तैयार माल के आयातक अन्य विकल्पों की तलाश करते हैं।
  • ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए भारत अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा सकता है।
  • बांग्लादेश से रेडीमेड वस्त्रों का आयात कर रहे देश अब इसकी कमी को संतुलित करने के लिए भारत की ओर रूख कर सकते हैं। 
  • यह भारत के लिए परिधान निर्यात में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का एक अवसर हो सकता है। 
  • हालाँकि, भारत के लिए दीर्घकालिक अवसर बनने की संभावना कम है। 
    • बांग्लादेश में स्थिति सामान्य होते ही उत्पादन पुनः शुरू हो सकता है और धागे एवं कपड़े की मांग में जोरदार उछाल आ सकता है।
    • ऐसा ही एक बार पहले भी हुआ था जब श्रीलंका की अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही थी।

भारत के लिए आगे की राह

  • फैशन के रुझानों पर काम करना : सरकार ने वर्ष 2030 तक कपड़ा निर्यात में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नवाचार महत्वपूर्ण होगा।
    • प्रौद्योगिकी के साथ सहयोग करके और डिजिटलीकरण एवं स्वचालन को अपनाकर भारतीय कपड़ा उद्योग नए व अभिनव उत्पाद बना सकता है जिनकी वैश्विक बाजार में मांग है।
  • उच्च-मूल्य-वर्धित उत्पादों पर जोर : भारत अपने कम लागत वाले कपड़ा विनिर्माण के लिए जाना जाता है किंतु वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए उद्योग को उच्च मूल्य वर्धित उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू करना होगा।
    • ऐसे वस्त्रों के उत्पादन पर जोर देने की आवश्यकता है जो उच्च गुणवत्ता वाली सामग्रियों से बने हों, नवीन डिजाइनों का उपयोग किया गया हो और सख्त गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हों।
  • अनुसंधान एवं विकास में निवेश : कपड़ा उद्योग को आगे बने रहने के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने की आवश्यकता है।
    • अनुसंधान एवं विकास में निवेश करके नए फाइबर, फैब्रिक व फिनिश के साथ-साथ नई विनिर्माण प्रक्रियाओं का विकास किया जा सकता है।
  • लागत को कम करना : भारतीय कंपनियों के लिए सबसे बड़ी बाधाएँ उत्पादन लागत, निर्यात में लगने वाला समय और अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा है। 
    • बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल जैसे भारतीय राज्य श्रम क्षमता में समृद्ध हैं किंतु इन क्षेत्रों में मानव शक्ति का उपयोग करने वाले उद्योग अपेक्षाकृत कम हैं।
    • इसके अलावा, भारत में कपास के लिए आयात शुल्क 11% है, जो उत्पादन को महंगा बनाता है।
  • बुनियादी ढांचे में सुधार : भारतीय कपड़ा उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धी बनने के लिए अपने बुनियादी ढांचे में सुधार करने की आवश्यकता है।
    • बुनियादी ढांचे में सुधार करके उद्योग की लागत को कम किया जा सकता है और उत्पादों के निर्यात को आसान बनाया जा सकता है।
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