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अंटार्कटिक महासागर : पृथ्वी का वैश्विक इंजन कक्ष

(प्रारंभिक परीक्षा : समुद्र विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन-3 : समुद्र विज्ञान एवं पर्यावरण संबंधित मुद्दे)

संदर्भ

दक्षिणी महासागर पृथ्वी की प्राकृतिक प्रणालियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। हालाँकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण अंटार्कटिक समुद्र-स्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है, लेकिन इसके सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पाए है जिसके लिए वैज्ञानिक और व्यापक समुदाय को एक साथ आने की आवश्यकता है।

क्यों है अंटार्कटिक महासागर पृथ्वी का वैश्विक इंजन कक्ष  (Global Engine Room) 

अंटार्कटिक महासागर को पृथ्वी का जलवायु इंजन कक्ष कहा जाता है क्योंकि यह वैश्विक जलवायु प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जिसका वर्णन निम्नवत है :

  • समुद्री धाराएँ : अंटार्कटिक महासागर में स्थित महासागरीय धाराएँ, जैसे- अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट (Antarctic Circumpolar Current) वैश्विक महासागरीय परिसंचरण का हिस्सा हैं। यह धाराएँ समुद्र के विभिन्न स्तरों पर पानी, तापमान और पोषक तत्वों का परिवहन करती हैं, जो जलवायु को प्रभावित करती हैं।
    • समुद्री बर्फ का अधिकांश हिस्सा खुले पानी के छोटे क्षेत्रों में बनता है, जिन्हें ‘पोलिनेया’ (polynyas) कहा जाता है, जो अंटार्कटिका से बहने वाली तेज़ और ठंडी हवाओं के कारण बनते हैं। ये हवाएँ समुद्र की सतह को हिमांक बिंदु से नीचे ठंडा कर देती हैं, जिससे बर्फ बनती है।
  • कार्बन अवशोषण : यह महासागर बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) अवशोषित करता है, जिससे वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
  • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र : यह क्षेत्र अद्वितीय समुद्री जीवों का घर है, जो वैश्विक जैव विविधता को बनाए रखने में योगदान करते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन संकेतक : अंटार्कटिक बर्फ की चादर पृथ्वी पर सबसे बड़ा बर्फ द्रव्यमान है, जो वैश्विक समुद्र स्तर के 58 मीटर के बराबर है। अंटार्कटिक बर्फ की चादरें और ग्लेशियर वैश्विक जलवायु परिवर्तन के महत्वपूर्ण संकेतक हैं। इनका पिघलना समुद्र स्तर को प्रभावित करता है और जलवायु के परिवर्तन की दिशा दिखाता है।

अंटार्कटिका महासागर के गर्म होंने के कारण और प्रभाव 

  • ग्लोबल वार्मिंग : पृथ्वी के अधिक गर्म होने के कारण अंटार्कटिक बर्फ की चादरें पिघल रही हैं, जिससे समुद्र स्तर बढ़ रहा है और वैश्विक जलवायु पैटर्न बदल रहे हैं। इसका मतलब है कि आने वाले वर्षों में कम कार्बन भंडारण और गर्म वातावरण।
    • वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन आज के समान स्तरों पर बढ़ता रहा तो अंटार्कटिक में पेंगुइन की आबादी की संख्या लगभग 2040 तक धीरे-धीरे कम होती जाएगी, जिसके बाद वे बहुत अधिक दर से घटेंगे क्योंकि समुद्री बर्फ कवरेज एक उपयोगी सीमा से नीचे गिर जाएगी। पेंगुइन की लगभग 98% कॉलोनियों के 2100 तक गायब होने का खतरा है।
  • मानव गतिविधियाँ : 2022 में, एक अध्ययन ने 1959 और 2000 के बीच पश्चिमी अंटार्कटिक बर्फ की चादर के मध्य क्षेत्र के तापमान में प्रति दशक 0.31 °C (0.56 °F) की वृद्धि को सीमित कर दिया और निर्णायक रूप से इसे मानव गतिविधि के कारण ग्रीनहाउस गैस सांद्रता में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया।
    • समुद्री प्लास्टिक और अन्य प्रदूषण अंटार्कटिक महासागर के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
    • समुद्र के तापमान में वृद्धि के कारण बर्फ की सतह पिघल रही है, समुद्री बर्फ का आवरण घट रहा है और अंटार्कटिका के वन्य जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। 

अवलोकन में चुनौतियां 

  • दुर्गम वातावरण : दक्षिणी महासागर में अनुसंधान और डेटा संग्रहण करना बेहद चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यह बहुत दूर स्थित है और इसकी परिस्थितियां प्रतिकूल हैं।
  • लंबी अवधि के डेटा की कमी : वहां की मौसम और जलवायु पैटर्न को समझने के लिए लंबे समय तक सुसंगत और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा की कमी है।
  • अत्याधुनिक तकनीक की आवश्यकता : अत्याधुनिक तकनीक की कमी के कारण महासागर के कुछ क्षेत्रों का निरीक्षण और विश्लेषण नहीं हो पाता।
  • महासागर अवलोकन प्रणाली महंगी : ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख अनुसंधान पोत, आरवी इन्वेस्टिगेटर (RV Investigator) को चलाने में प्रतिदिन $100,000 से अधिक का खर्च आता है और इसी तरतह SWOT उपग्रह (SWOT satellite), जो अभूतपूर्व रिज़ॉल्यूशन पर महासागर की सतह को मापने के लिए यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका की एक संयुक्त परियोजना है, की लागत $1 बिलियन से अधिक है।

अवलोकन की कमियों को दूर करने के लिए सुझाव  

  • तकनीकी नवाचार के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता है। 
  • ड्रोन और ड्रिफ्टिंग रोबोटिक उपकरणों जैसी प्रभावी अवलोकन प्रणालियों को विकसित करने की आवश्यकता है।
  • सरकार को वैज्ञानिक प्राथमिकताओं और वित्तपोषण निर्णयों में दक्षिणी महासागर विज्ञान के महत्वपूर्ण महत्व को प्रतिबिंबित करने पर बल देना होगा।
  • वर्तमान में महासागर विज्ञान के संयुक्त राष्ट्र दशक में हैं, जिसका उद्देश्य महासागर और जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणियों में सुधार करना है। दक्षिणी महासागर की बेहतर विकास इस प्रयास के लिए महत्वपूर्ण है।
  • परिवर्तनों की निगरानी करने और महत्वपूर्ण जलवायु घटनाओं, जैसे- बर्फ की चादर के ढहने की प्रारंभिक चेतावनी महत्वपूर्ण कंप्यूटर मॉडल की आवश्यकता है। 
  • सरकार, उद्योग और समाज सभी को साथ मिलकर जलवायु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने की आवश्यकता हैं।

निष्कर्ष 

दक्षिणी महासागर में लहरों और समुद्री बर्फ के गुणों का एक व्यापक डाटाबेस तैयार करने के लिए अत्यंत आवश्यक निगरानी प्रणाली की आवश्यकता होगी जो उपग्रह आधारित सुदूर संवेदन से प्राप्त आंकड़ों को प्रमाणित करने के साथ-साथ जलवायु मॉडल क्षमताओं को उन्नत करने के लिए भी महत्वपूर्ण होगी, ताकि हम भविष्य के जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों को बेहतर ढंग से समझ सके।

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