(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारत एवं इसके पड़ोसी-संबंध) |
संदर्भ
भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद अफगानिस्तान के साथ भारत के व्यापार परिदृश्य में बदलाव आया है और व्यापार घाटे में वृद्धि हुई है।
भारत-अफगानिस्तान आर्थिक संबंध
- निर्यात में कमी : वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत से अफ़गानिस्तान को निर्यात वर्ष 2020-21 के 825.78 मिलियन डॉलर से लगातार घटकर वर्ष 2023-24 में 355.45 मिलियन डॉलर रह गया है।
- आयात में वृद्धि : इसके विपरीत अफ़गानिस्तान से भारत को निर्यात वर्ष 2020-21 के 509.49 मिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 642.29 मिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है।
- 15 अगस्त, 2021 से अफ़गानिस्तान में तालिबान का प्रशासन है।
- कोविड-19 महामारी से पहले 2019-20 में अफगानिस्तान के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 1.5 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
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- व्यापार घाटे में वृद्धि : वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों (अप्रैल-अक्तूबर) में अफगानिस्तान के साथ भारत का व्यापार घाटा 125.27 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
- इससे पूर्व अफगानिस्तान के साथ भारत का व्यापार घाटा (0.73 मिलियन डॉलर) 2000-01 में देखा गया था।
- भारत द्वारा अफगानिस्तान से आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ : अंजीर, हींग, किशमिश, सेब, लहसुन, केसर, सौंफ, बादाम, खुबानी, प्याज, अनार एवं अखरोट
- वर्ष 2024 में भारत ने 29,123 टन अंजीर का आयात किया था और लगभग 98% अंजीर की आपर्ति अफगानिस्तान से हुई थी।
- इसी तरह हींग, किशमिश एवं लहसुन का सबसे बड़ा स्रोत अफगानिस्तान ही था।
- पिछले वित्त वर्ष में ईरान एवं तुर्किये के बाद अफ़ग़ानिस्तान ही भारत को सेब का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था।
- भारत द्वारा अफगानिस्तान को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ : इसमें मुख्य रूप से दवाइयां, टीके, सोयाबीन एवं वस्त्र शामिल हैं।
बदलते परिदृश्य का महत्त्व
- यह बदलाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में भारत ने तालिबान शासन के साथ अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर संपर्क की पहल की है।
- तालिबान ने भारत के साथ राजनीतिक एवं आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में रुचि व्यक्त की है तथा इसे एक ‘महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं आर्थिक शक्ति’ बताया है।
- हालिया वार्ता में भारत ने द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने और ईरान के चाबहार बंदरगाह का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- भारत द्वारा चाबाहार बंदरगाह का विकास पाकिस्तान के कराची एवं ग्वादर बंदरगाह को बायपास करने के लिए किया जा रहा है।
- व्यापार में वृद्धि आर्थिक सहयोग और रणनीतिक प्राथमिकताओं के मिश्रण को दर्शाती है जो क्षेत्रीय स्थिरता पर भारत के फोकस को रेखांकित करता है।
- वर्ष 2021 में तालिबान शासन की वापसी से व्यापार बाधित हुआ था और सुरक्षा एवं रसद संबंधी बाधाएँ पैदा हुई थी।
- अफगानिस्तान की राजनीतिक चुनौतियों और ईरान के चाबहार बंदरगाह जैसे वैकल्पिक मार्गों पर निर्भरता के बावजूद वर्तमान में व्यापार जारी है।
- व्यापारिक गतिविधियों को सलमा बांध और अफगान संसद जैसी परियोजनाओं में भारत के निवेश से समर्थन मिला है।
- भारत चाबहार के उपयोग का विस्तार करके, नए व्यापार मार्गों की खोज करके और विकास एवं क्षमता निर्माण के माध्यम से अफ़गानिस्तान की आर्थिक सुधार का समर्थन करके संबंधों को गहरा करने की योजना बना रहा है।
- ये प्रयास क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने और मध्य एशिया में चीन के प्रभुत्त्व का मुकाबला करने की भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।