प्रारंभिक परीक्षा:- समसामयिकी मुख्य परीक्षा:- पेपर-2
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चर्चा में क्यों-
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 का प्रस्ताव रखा।
प्रमुख बिंदु-
इस विधेयक में मुख्य चुनाव आयुक्त समेत बाकी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए क्या प्रक्रिया रहेगी, उनकी सेवा शर्तें क्या होगी, उनके पदों की अवधि क्या होगी..ये सारी बातें तय की गई है।
- चुनाव आयोग के सदस्यों के वेतन को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के विपरीत कैबिनेट सचिव के बराबर करने का प्रस्ताव दिया गया है।
- विधेयक में चयन समिति का प्रावधान है, वो तीन सदस्यीय है। इस समिति में प्रधानमंत्री हैं, लोक सभा से विपक्ष के नेता और तीसरे सदस्य के तौर पर एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल किया गया है।
- विधेयक सीईसी की प्राथमिकता(वरीयता सूची) के क्रम को नहीं बदलता यानी चुनाव आयुक्त की स्थिति नहीं बदलेगी।
- वरीयता तालिका में सीईसी 9ए नंबर पर है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के जज 9वें नंबर पर एवं कैबिनेट सचिव 11वें नंबर पर सूचीबद्ध है।
- सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और कैबिनेट सचिव दोनों का मूल वेतन 2.5 लाख रुपये प्रति माह है। अंतर सिर्फ कार्यालय की प्रतीकात्मक गिरावट का है।
भारतीय मुख्य चुनाव आयुक्त-
भारतीय मुख्य चुनाव आयुक्त भारतीय चुनाव आयोग का प्रमुख और भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से राष्ट्र और राज्य के चुनाव करवाने के लिए उत्तरदायी होता हैं।
- मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले हो, का होता है।
- चुनाव आयुक्त का सम्मान और वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के समान होता है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
- 16 अक्टूबर 1989 से इस आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ ही दो और चुनाव आयुक्तों की व्यवस्था की गई।
नियुक्ति प्रक्रिया-
- नियुक्ति का संवैधानिक अधिकार राष्ट्रपति को है। नियुक्ति पर अभी तक कोई कानून नहीं है।
- पहले कोई सेलेक्शन कमेटी की व्यवस्था नहीं थी; सर्च कमेटी होती थी।
- सर्च कमेटी द्वारा सुझाए नामों की सूची से सरकार चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करती रही है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाई कमेटी में-
- दो मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों के लिए 3 सदस्य की सेलेक्शन कमेटी बनाने का आदेश दिया था, जिसमें पहला प्रधानमंत्री, दूसरा नेता विपक्ष हैं और तीसरे सदस्य के तौर पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होंगे।
विधेयक और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में विरोधाभास-
- विरोधाभास तीसरे सदस्य को लेकर है। विधेयक में सरकार ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को सेलेक्शन कमेटी से बाहर कर दिया है. उनकी जगह एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल किया गया है।
- चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी वैधानिक प्रक्रिया अवश्य होनी चाहिए। वह प्रक्रिया संसद से बने कानून से निर्धारित हो। हालाँकि सात दशकों बाद भी संसद में इसके लिए कोई कानून नहीं बन पाया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गंभीरता से संज्ञान में लिए जाने के बाद लाए गए विधेयक से अपेक्षा के जाती है कि एक ऐसे कानून का निर्माण हो जो संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ एवं संरक्षित करे।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(1) चुनाव आयुक्त का वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश के सामान होता है।
(2) मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले हो।
(3) नियुक्ति के लिए सेलेक्शन कमेटी की व्यवस्था है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर:- (a)
मुख्य परीक्षा:-
प्रश्न- मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया का उल्लेख करें। हाल ही में इस पर क्या विवाद उत्पन्न हुआ? समीक्षा कीजिए।
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