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ग्रहीय संरक्षण की अवधारणा

संदर्भ 

हाल ही में चीन ने अपने महत्वाकांक्षी मंगल नमूना वापसी मिशन (Mars sample-return mission) तियानवेन-3 की तिथि को वर्ष 2028 तक बढ़ा दिया है साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि यह मिशन ‘ग्रहीय संरक्षण’ (planetary protection) सिद्धांतों के अनुकूल होगा। 

क्या है ग्रहीय संरक्षण की अवधारणा 

  • ग्रहीय संरक्षण, अंतरग्रहीय मिशन के संदर्भ में एक मार्गदर्शक सिद्धांत है, जिसका उद्देश्य नमूना-वापसी मिशन के लिए लक्षित आकाशीय पिंड और पृथ्वी दोनों को जैविक संदूषण (biological contamination) से बचाना है।
  • यह अवधारणा मुख्य रूप से जैविक और रासायनिक संदूषण की संभावना से प्रेरित है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर सकता है या वैज्ञानिक जांच को प्रभावित कर सकता है।
  • इस सिद्धांत का कानूनी आधार बाह्य अंतरिक्ष संधि (1967) के अनुच्छेद IX में है। 
    • अनुच्छेद IX के अनुसार, संधि के पक्षकार चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाह्य अंतरिक्ष का अध्ययन और अन्वेषण करेंगे ताकि उनके हानिकारक संदूषण और पृथ्वी के पर्यावरण में होने वाले प्रतिकूल परिवर्तनों से बचा जा सके।

ग्रह संरक्षण के मुख्य लक्ष्य

  • बाह्य पिंड में संदूषण को रोकना : यह सुनिश्चित करना कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव अन्य खगोलीय पिंडों को दूषित न करें, खास तौर पर उन पिंडों को जिनमें जीवन की संभावना है।
    • यह विशेष रूप से उन ग्रहों या उपग्रहों के लिए महत्वपूर्ण है जहां जीवन मौजूद हो सकता है या अतीत में मौजूद रहा हो।
  • पृथ्वी को बाह्य संदूषण से बचाना : पृथ्वी को ऐसे बाह्य जीवों से बचाना जो हमारे ग्रह की जैव विविधता या मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।

ग्रहीय संरक्षण के लिए रणनीतियाँ

  • रोगाणुशोधन : अन्य खगोलीय पिंडों पर भेजे जाने वाले अंतरिक्ष यान और उपकरण को प्रक्षेपण से पहले पृथ्वी-आधारित किसी भी संदूषक मुक्त रखने के लिए पूरी तरह उसका रोगाणुशोधन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
    • इसके लिए तरिक्षयान को 120 डिग्री सेल्सियस तापमान पर तीन दिनों के लिए शुष्क स्थान में रखा जाता है।
  • संगरोध : अंतरिक्ष से लाए गए नमूनों को अलग करना ताकि किसी भी बाहरी जीव के आकस्मिक प्रसार को रोका जा सके।
  • परिशोधन : पृथ्वी पर लौटने पर अंतरिक्ष यान और उपकरणों को साफ और कीटाणुरहित करने की प्रक्रियाओं को लागू करना ताकि संदूषकों के प्रवेश को रोका जा सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : स्थिरता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए ग्रह संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय समझौते और मानक स्थापित करना।

ग्रहीय संरक्षण का महत्व

  • वैज्ञानिक अखंडता : यह खगोलीय पिंडों को प्रदूषण से बचाना उनकी मूल अवस्था को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे वैज्ञानिक पृथ्वी-आधारित जीवों के हस्तक्षेप के बिना बाह्य खगोलीय पिंडों का अध्ययन कर सकते हैं।
  • जैव विविधता संरक्षण : बाहरी जीवों के प्रवेश को रोकने से पृथ्वी की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा में मदद मिल सकती है।
  • मानव स्वास्थ्य सुरक्षा : ग्रह सुरक्षा उपाय संभावित रूप से हानिकारक जीवों के प्रवेश को रोककर मानव स्वास्थ्य की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं।

इसे भी जानिए

बाह्य अंतरिक्ष संधि

  • यह औपचारिक रूप से चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाह्य अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में देशों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों पर एक बहुपक्षीय बाध्यकारी संधि है।
  • यह संधि रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अनुमोदित होने के बाद अक्टूबर 1967 में लागू हुई।
  • यह संधि देशों को बाह्य अंतरिक्ष में “परमाणु हथियार या किसी अन्य प्रकार के सामूहिक विनाश के हथियार” तैनात करने से रोकती है।
    • हालाँकि, यह अंतरिक्ष के माध्यम से बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च करने पर रोक नहीं लगाती है।
  • संधि के अन्य प्रावधान इस बात पर जोर देते हैं कि अंतरिक्ष किसी एक देश का क्षेत्र नहीं है और सभी देशों को इसका अन्वेषण करने का अधिकार है।
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