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IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

डार्क वेब और आतंकवाद

(मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, प्रश्न पत्र 3 : संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां)

संदर्भ

  • आतंकवाद की चुनौतियों को लेकर मौजूदा परिदृश्य लगातार बदल रहा है या विकसित हो रहा है। यह बदलाव न केवल पारंपारिक पॉवर डिफरेंशियल यानी शक्ति भिन्नता बल्कि उभरती नवीन तकनीकों में भी दिखाई देता है
  • डार्क वेब का उपयोग करते हुए आतंकवादी समूहों ने अपनी साइबर क्षमताओं का विस्तार किया है। डार्क वेब की वजह से ही अब ये समूह भर्ती अभियान, निधि संकलन और ऑपरेशनल प्लानिंग कर रहे हैं।  इस काम में इन समूहों को सोशल मीडिया और उभरती तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की सहायता मिल रही है। 

 साइबर क्षेत्र में डार्क वेब 

  • डार्क वेब और डीप वेब दोनों संयुक्त रूप से साइबर स्पेस में अधिकांश हिस्सेदारी रखते हैं, इंटरनेट में इन दोनों की हिस्सेदारी 96% की है। 
  • वर्ष 2023 में डार्क वेब पर Tor (गुमनाम ब्राउज़िंग की एक विधि) के माध्यम से प्रतिदिन औसतन 2.5 मिलियन लोगों की पहुंच थी
  • सितंबर 2023 में  यूनाइटेड स्टेट्‌स को पीछे छोड़कर Tor के लिए जर्मनी सर्वाधिक यूजर बेस यानी उपयोगकर्ताओं वाला देश बन गया था। 
  • Tor उपयोकर्ताओं की दृष्टि से इन दोनों देशों के बाद सर्वाधिक उपयोगकर्ताओं के अनुसार फिनलैंड, भारत और रूस का स्थान आता है
  • क्रिप्टो अकाउंट्‌स, ऑनलाइन बैंकिंग एक्सेस और ई-वॉलेट्‌स समेत डार्क वेब पर लगभग 57 % अवैध सामग्री है 
  • जनसंख्यानुसार डार्क वेब पर अधिकांशत: पुरुषों (84.7%) का कब्ज़ा है,  इन उपयोगकर्ताओं में बहुसंख्यक 36-45 आयु वर्ग के हैं

 डार्क वेब और आतंकवाद

  • Tor, बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी जैसे तकनीकी नवाचारों ने साइबर अपराधियों के लिए गुमनाम बने रहकर काम करना आसान कर दिया है।  इसकी वजह से डार्क वेब में विस्तार को बढ़ावा मिल रहा है
  • डार्क वेब गतिविधियां मुख्यत: चार वर्गों में बांटी गई हैं : 
    • नेटवर्क सिक्योरिटी यानी सुरक्षा, 
    • साइबर अपराध
    •  मशीन लर्निंग 
    •  ड्रग ट्रैफिकिंग यानी मादक पदार्थों की तस्करी
  • आतंकवादी इकाइयां साइबर स्पेस का उपयोग दुष्प्रचार करने के लिए करती हैं।  इंटरनेट का उपयोग करते हुए हिंसक कट्टरता को फ़ैलाकर इस माध्यम का आतंकवादी, दुष्प्रचार और भर्ती के लिए उपयोग करते हैं. 
    • क्राइस्टचर्च गोलीबारी के मामले में इसे देखा जा सकता है। 
  • आतंकवादी दुष्प्रचार वितरण में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध गुमनाम प्रॉक्सी सर्वर्स, Tor जैसी गुमनाम सेवाओं और क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करते हुए वित्तीय लेन-देन शामिल है
  • सुरक्षित मोबाइल उपकरणों और एनक्रिप्टेड संचार एप्लीकेशनों जैसे टेलीग्राम और सिग्नल भी आतंकवादियों को समन्वय साधने का एक सुरक्षित मंच मुहैया करवाते हैं। इनका उपयोग करते हुए आतंकवादी स्वयं को प्रशासन की निगाहों से छुपाए रखने में सफ़ल होते हैं
  • इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ईराक एवं सीरिया (ISIS) ने डार्क वेब का उपयोग प्रचार करने और ऑपरेशनल समन्वय साधने के लिए किया था 
    • विशेषत: ‘‘हाऊ टू सर्ववाइव इन द वेस्ट : ए मुजाहिद गाइड’’ यानी ‘‘पश्चिम में कैसे जीवित रहें : मुजाहिद के लिए एक नियमावली’’ जैसे मैन्यूअल में यह सिखाया जाता है कि इंटरनेट पर निजता कैसे बनाए रखी जाए और Tor का उपयोग कैसे किया जाए इसकी भी जानकारी दी गई है। 
  • अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स स्थापित करने के साथ ही आतंकवादी इंटरएक्टिव टूल्स जैसे चैटरुम्स, इंस्टंट मैसेंजर्स, ब्लॉग्स, वीडियो-शेयरिंग साइट्‌स और सोशल मीडिया नेटवर्क्स जैसे फेसबुक, माइस्पेस, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब का फ़ायदा प्रशिक्षण और निर्देश देने के लिए उठाते हैं
  • डार्क वेब पर आतंकी गतिविधियों को निम्न श्रेणियों में देखा जा सकता है -
    • अंदरूनी संचार एवं  बाह्य प्रचार :  डार्क वेब आतंकवादियों को आतंरिक संचार का एक सुरक्षित माध्यम मुहैया करवाता है। इसका उपयोग करते हुए वे ख़ुफ़िया जानकारी साझा करने और योजना बनाने के लिए व्यापक कनेक्टिविटी हासिल करते हैं
    • भर्ती और प्रशिक्षण : आतंकी समूह नए लोगों की भर्ती के लिए भी डार्क वेब का उपयोग करते हैं,वे इसी माध्यम से विश्व भर में फ़ैले अपने नए सदस्यों को बम बनाने और आतंकी हमला, विशेषत: ‘‘लोन वूल्फ’’ हमलावर को लक्षित करते हुए प्रशिक्षण देते हैंडार्क वेब की गुमनामी के चलते आतंकवाद विरोधी एजेंसियों के लिए कट्टर व्यक्तियों का पता लगाकर उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों को रोकना मुश्किल हो जाता है
    • निधि संकलन और वित्तीय लेन-देन : तेल बिक्री, तस्करी और अपहरण जैसे पारंपारिक तरीकों के साथ ही आतंकी संगठन और डिजिटल क्रिप्टो करेंसी जैसे बिटकॉइन और डार्क वेब का उपयोग करते हुए निधि संकलित करते हैं।ये संगठन बिटकॉइन डोनेशन यानी चंदा/दान, ऑनलाइन हफ़्ता वसूली, मानव तस्करी और अंग तस्करी के माध्यम से निधि एकत्रित करते हैं. 
      • उदाहरण के लिए ‘फंड द इस्लामिक स्ट्रगल विदआउट लीविंग ए ट्रेस’ नामक डीप डार्क वेब पेज एक डार्क वॉलेट एप का उपयोग करते हुए बिटकॉइन के माध्यम से चंदा स्वीकार करता है
    • हथियारों की ख़रीद : सिल्क रोड जैसे डार्क वेब पर मौजूद अवैध ट्रेडिंग साइट्‌स का उपयोग करते हुए आतंकवादी हथियार और गोला-बारुद ख़रीदते है। सिल्क रोड इसके लिए लेन-देन को सुगम बनाने में सहायक साबित होता है -
    • उदाहरण के लिए यूरोगंस (EuroGuns) हथियार बेचने वाला एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है 
    • मादक पदार्थों की ख़रीद : डार्क वेब में डार्क वेब बाज़ार, जिसे क्रिप्टो मार्केट भी कहा जाता है, पर चलने वाले अवैध कारोबार में मादक पदार्थों की तस्करी भी की जाती है।  यह तस्करी डार्क वेब प्लेफॉर्म का उपयोग करके की जाती है। 
      • इंटरनेशनल नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (INCB) की वर्ष 2023 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार अफ़ीम का उपयोग करने वाले लोगों की वैश्विक संख्या में दक्षिण एशिया की हिस्सेदारी 39% है और इसमें भारत अब अफ़ीम वितरण का केंद्रबिंदु बनकर उभर रहा है

 AI का उपयोग और डार्क वेब : 

  • डार्क वेब का उपयोग करते हुए आतंकवादी अब डीप फेक भी तैयार कर रहे है, जिसकी वजह से उनके प्रचार की पहुंच में अत्यधिक इज़ाफ़ा हो सकता है
  • गुगल जेमिनी (Google Gemini) और चैटजीपीटी (ChatGPT) जैसे साधनों का उपयोग करते हुए घर बैठे बम बनाने की नियम पुस्तिका तक पहुंचा जा सकता है 
  • AI प्रोग्राम्स जैसे ‘लैवेंडर’ और ‘व्हेयर इज डैडी?’ से युद्ध के बेहद उन्नत तरीकों को अपनाना आसान हो गया है

डार्क वेब गतिविधियों का वैश्विक परिदृश्य और आतंकवाद विरोधी उपाय

  • डार्क वेब की गुमनामी और बारीकियों का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से समग्र शोध प्रयास और समन्वय साधने की गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं 
  • शोध प्रयासों का उद्देश्यों में डार्क वेब से वैश्विक स्तर पर पड़ने वाले प्रभावों का मुकाबला करना है, जिसमें विशेषत: छोटे हथियारों, हल्के हथियारों, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद वित्त पोषण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है
  • द UN ऑफिस फॉर डिसआर्मामेंट अफेयर (UNODA) ने इस बात का परीक्षण किया है कि किस तरह डार्क वेब प्लेटफॉर्म्स अवैध हथियारों के व्यापार को बढ़ावा देकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों और वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था के समक्ष एक बड़ी चुनौती पेश कर रहा है
    • लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की ओर से डार्क वेब के बढ़ते ख़तरे को लेकर हाल-फिलहाल कोई प्रस्ताव चर्चा के लिए नहीं पेश किया गया है। इसे लेकर UNSC ने अंतिम बार प्रस्ताव 2178 (2014) तथा 2396  (2017) में पेश किया था
  • आतंकी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नई और उभरती तकनीकों के उपयोग का मुकाबला करने के लिए भारत की अध्यक्षता में हुई G20 की बैठक में पारित दिल्ली घोषणा 2022 एक नवीनतम प्रस्ताव है
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