(प्रारंभिक परीक्षा : आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)
संदर्भ
भारत का स्कूली शिक्षा परिदृश्य विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है। कोविड -19 महामारी से पहले भी, देश अधिगम संकट (Learning Crisis) से जूझ रहा था, उदाहरणस्वरूप: 10 वर्ष की उम्र में दो में से एक छात्र में बुनियादी पढ़ने की दक्षता की कमी थी।
महामारी इस संकट को और बढ़ा सकती है, विशेषतया 15.5 लाख स्कूलों के भौतिक रूप से बंद होने के कारण, एक वर्ष से अधिक समय से 248 मिलियन से अधिक छात्र प्रभावित हुए है।
शिक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका
- अधिगम संकट के कारण चौथी औद्योगिक क्रांति से जुड़ना अवश्यंभावी है। साथ ही, शिक्षा की पुनर्कल्पना और अभूतपूर्व प्रौद्योगिकी परिवर्तन के साथ रूपांतरित होना भी अब अनिवार्य है।
- चूँकि, पारंपरिक ‘ब्रिक और मोर्टार’ सेवा वितरण मॉडल लगभग सभी क्षेत्रों में बाधित हो रहे हैं। इस कारण महामारी, शिक्षा में प्रौद्योगिकी को शामिल करने का एक महत्त्वपूर्ण मौका प्रदान कर रही है।
- भारत की नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’, 2020 शिक्षा के हर स्तर पर प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिये आह्वान करती है।
- एन.ई.पी. के तहत एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी फोरम (NETF) की परिकल्पना की गई है, जो प्रौद्योगिकी के प्रयोग के लिये रणनीति पर बल देने का प्रयास करेगी।
- भारत, प्रौद्योगिकी आधारित अवसंरचना, जैसे विद्युत और वहनीय इंटरनेट कनेक्टिविटी तक पहुँच बढ़ाने के लिये प्रयासरत है। इसके लिये डिजिटल इंडिया और शिक्षा मंत्रालय ने कई कार्यक्रमों को आरंभ किया है।
- सरकार के प्रयासों में, ‘स्कूली शिक्षा के लिये डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर’ (DIKSHA), ‘ओपन-सोर्स लर्निंग प्लेटफॉर्म’ तथा यू.डी.आई.एस.ई. प्लस (UDISE+), जो विश्व की सबसे बड़ी शिक्षा प्रबंधन सूचना प्रणाली में से एक है, शामिल है।
‘एजुकेशन टेक्नोलॉजी’ (EdTech) नीति की आवश्यकता
- एक व्यापक एड-टेक नीति को चार प्रमुख तत्त्वों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये-
- वंचित समूहों तक अधिगम पहुँच को बढ़ाना
- शिक्षण, अधिगम और मूल्यांकन की प्रक्रियाओं को सक्षम बनाना
- शिक्षक प्रशिक्षण और व्यावसायिक विकास की सुविधा
- योजना, प्रबंधन और निगरानी प्रक्रियाओं सहित शासन प्रणाली में सुधार करना।
- शिक्षण प्रौद्योगिकी से संबंधित अनुभव और शोध महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं कि क्या कार्य करना चाहिये और क्या नहीं, जैसे-
- पहला, प्रौद्योगिकी एक उपकरण है न की ‘राम-बाण’।
- दूसरा, प्रौद्योगिकी का प्रयोग अधिगम मॉडल में होना चाहिये, क्योंकि बिना किसी योजना के डिजिटल अवसंरचना प्रदान करने में एक खतरा है कि इसे कैसे अभिनियोजित किया जाए।
- तीसरा, प्रौद्योगिकी, स्कूलों को प्रतिस्थापित या शिक्षकों की जगह नहीं ले सकती है। यह ‘शिक्षक बनाम प्रौद्योगिकी’ नहीं है बल्कि ‘शिक्षकों और प्रौद्योगिकी’ के रूप में समाधान है।
भारतीय एड-टेक इकोसिस्टम
- भारतीय ‘एड-टेक इकोसिस्टम’ में नवोन्मेष की व्यापक संभावनाएँ हैं।
- 4,500 से अधिक ‘स्टार्ट-अप’ और लगभग $700 मिलियन के मौजूदा पूँजीकरण के साथ, बाज़ार तीव्र वृद्धि के लिये तैयार है। एक अनुमान के अनुसार, आगामी 10 वर्षों में $30 बिलियन का एक बृहत् बाज़ार होगा।
- वस्तुतः, ज़मीनी स्तर पर नवोन्मेष के कई उदाहरण हैं, जैसे-
- अरुणाचल प्रदेश के नामसाई ज़िले स्थित ‘हमारा विद्यालय’, जो प्रौद्योगिकी आधारित निष्पादन आकलन को बढ़ावा दे रहा है।
- असम का ऑनलाइन ‘करियर मार्गदर्शन’ पोर्टल कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिये स्कूल से कार्य और उच्च शिक्षा ट्रॉन्जीशन को मज़बूत कर रहा है।
- गुजरात में ‘समर्थ’ आई.आई.एम.-अहमदाबाद के सहयोग से लाखों शिक्षकों के ऑनलाइन पेशेवर विकास की सुविधा प्रदान कर रहा है।
- हिमाचल प्रदेश की ‘हरघर पाठशाला’ विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिये डिजिटल शिक्षा प्रदान कर रही है।
- मध्य प्रदेश का डिजी-एल.ई.पी. सभी समूहों और माध्यमिक विद्यालयों को कवर करने वाले 50,000 से अधिक व्हाट्सएप समूहों के साथ सीखने में वृद्धि के लिये उपयोगी सामग्री वितरित कर रहा है।
अल्पावधिक रणनीति
- एक समेकित रणनीति तैयार करने के लिये कई मोर्चों पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
- शिक्षकों और छात्रों के लिये पहुँच, समता, अवसंरचना, शासन व गुणवत्ता से संबंधित परिणामों तथा चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।
- नीति निर्माण और नियोजन प्रक्रिया में सभी योजनाओं (शिक्षा, कौशल, डिजिटल शासन और वित्त) को समाहित करने का प्रयास करना चाहिये।
- इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से समाधानों के एकीकरण, सभी हितधारकों को स्थान तथा सरकार के सभी स्तरों पर सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना शामिल है।
- यहाँ, ‘प्रौद्योगिकी-सक्षम निगरानी और कार्यान्वयन’ पर भारत सरकार के ‘आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम’ से सबक लिया जा सकता है, जो नागरिक जुड़ाव, भागीदारी तथा प्रभावी सेवा वितरण पर ज़ोर देता है।
डिजिटल डिवाइड
- डिजिटल डिवाइड को दो स्तरों पर संबोधित करने के उद्देश्य से विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये। इसमे प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से प्रयोग तथा इसका लाभ उठाने के लिये ‘पहुँच और कौशल’ शामिल है।
- नीति के विषयगत क्षेत्रों (Thematic Areas) में अवसंरचना और कनेक्टिविटी की सुविधा होनी चाहिये, जिसमे शामिल है, उच्च गुणवत्ता, प्रासंगिक, प्रमाणिक सॉफ्टवेयर और सामग्री।
- इसके अतिरिक्त, परिणाम-आधारित मूल्यांकन, रीयल-टाइम आकलन तथा सिस्टम निगरानी के लिये कठोर वैश्विक मानक भी शामिल हैं।
दीर्घावधिक रणनीति
- दीर्घावधि में, जैसे-जैसे नीति स्थानीय स्तर पर क्रियान्वित होगी तथा प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान सर्वव्यापी होते जाएँगे, ‘बेस्ट-इन-क्लास’ प्रौद्योगिकी समाधानों का भंडार, बेस्ट प्रैक्टिस और सफल कार्यान्वयन के मॉडल को संगृहीत किया जाना चाहिये।
- नीति आयोग का ‘इंडिया नॉलेज हब’ तथा शिक्षा मंत्रालय का ‘दीक्षा’ एवं ‘शगुन’ (ShaGun) प्लेटफॉर्म इस तरह की शिक्षा को और सुगम बना सकते हैं।
निष्कर्ष
- एक समग्र रणनीति से इसके सफल अनुप्रयोग तक की यात्रा निस्संदेह लंबी होगी तथा इसके लिये सावधानीपूर्वक योजना, निरंतर क्रियान्वयन और परिकलित पाठ्यक्रम सुधार की आवश्यकता भी होगी।
- एन.ई.पी., 2020 के आरंभ होने तथा छात्र अधिगम को प्रभावी ढंग से अधिकतम करने के लिये एक परिवर्तनकारी ‘एड-टेक नीति’ समय की आवश्यकता है।