प्रारम्भिक परीक्षा- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक मुख्य परीक्षा – सामान्य अध्ययन, पेपर-2 |
चर्चा में क्यों
संसद ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2023 पारित किया।
प्रमुख बिंदु :
- अनुच्छेद 239 AA को 69वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1991 द्वारा संविधान में शामिल किया गया था।
- एस बालाकृष्णन समिति (1987) की सिफारिशों के तहत दिल्ली को विशेष दर्जा दिया गया ।
- इस अधिनियम में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली में एक प्रशासक और एक विधान सभा होगी।
- विधान सभा के पास राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के संबंध में संपूर्ण या उसके किसी भाग के लिए कानून बनाने की शक्ति होगी।
- राज्य सूची या समवर्ती सूची के विषय में कोई भी मामला जो केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होता है , के विषय पर विधान सभा को कानून बनाने का अधिकार होगा।
- परन्तु दिल्ली की विधान सभा तीन विषयों यथा : पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि पर कानून नहीं बना सकती है।
- पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शासन को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच संघर्ष चल रहा था।
केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के तर्क :
- दिल्ली सरकार ने तर्क दिया है कि संघवाद के हित में निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास स्थानांतरण और पोस्टिंग पर अधिकार होना चाहिए।
- दूसरी ओर केंद्र सरकार के अनुसार दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र का नियंत्रण होना चाहिए, जिसमें नियुक्तियाँ और स्थानांतरण भी शामिल हैं।
- मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटीडी) में प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार का विधायी और कार्यकारी नियंत्रण होगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश- 2023:
- दिल्ली सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश- 2023 प्रख्यापित किया।
- अध्यादेश का उद्देश्य दिल्ली प्रशासन को लोकतांत्रिक इच्छा के साथ दिल्ली के लोगों के स्थानीय और घरेलू हितों को संतुलित करना है।
- अध्यादेश ने उपराज्यपाल को दिल्ली के सेवाओं पर निर्णय लेने का अधिकार वापस दे दिया।
- अध्यादेश में उपराज्यपाल को केवल अपने विवेक पर मुख्यमंत्री से परामर्श करने की आवश्यकता है।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2023 दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश की जगह लेता है। इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया गया है।
विधेयक की मुख्य विशेषताएं:
- राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) का गठन करता है।
- विधेयक सेवाओं से संबंधित कुछ मामलों पर उपराज्यपाल को सिफारिशें करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना करता है।
- राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के कार्य :
(a) स्थानांतरण और पोस्टिंग
(b) सतर्कता से संबंधित मामले
(c) अनुशासनात्मक कार्यवाही
(d) अखिल भारतीय सेवाओं (भारतीय पुलिस सेवा को छोड़कर) और DANICS ( Delhi, Andaman and Nicobar Island Civil Services) के ग्रुप ए के अभियोजन की स्वीकृति।
- विधेयक उपराज्यपाल को राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण द्वारा सुझाए गए मामलों और दिल्ली विधानसभा को बुलाने, स्थगित एवं भंग करने सहित कई मामलों पर विवेक का प्रयोग करने का अधिकार देता है।
प्राधिकरण में निम्नलिखित शामिल होंगे:
(i) अध्यक्ष के रूप में दिल्ली के मुख्यमंत्री।
(ii) सदस्य सचिव के रूप में दिल्ली सरकार के प्रधान गृह सचिव।
(iii) सदस्य के रूप में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव।
- केंद्र सरकार प्रधान सचिव और मुख्य सचिव, दोनों की नियुक्ति करेगा ।
- प्राधिकरण के सभी निर्णय उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत के आधार पर लिए जाएंगे।
उपराज्यपाल की शक्तियां:
- एक्ट के तहत ऐसे मामले, जिनमें उपराज्यपाल विवेक से कार्य कर सकते हैं। वे हैं:
(i) दिल्ली विधानसभा की विधायी क्षमता के बाहर के मामले लेकिन जो उपराज्यपाल को सौंपे गए हैं या
(ii) ऐसे मामले जहां उनसे कानून द्वारा अपने विवेक से कार्य करना या कोई न्यायिक या अर्ध-न्यायिक कार्य करना अपेक्षित है।
- विधेयक उपराज्यपाल की विवेकाधीन भूमिका का दायरा बढ़ाता है और उन्हें प्राधिकरण के सुझावों को मंजूरी देने या उन्हें पुनर्विचार के लिए वापस लौटाने की शक्तियां भी देता है।
- अगर उपराज्यपाल और प्राधिकरण के विचारों में मतभेद होता है तो उस स्थिति में उपराज्यपाल का निर्णय ही अंतिम होगा।
मंत्रियों द्वारा मामलों का निस्तारण:
- दिल्ली सरकार का कोई मंत्री अपने ध्यान में लाए गए मामलों के निपटान के संबंध में स्थायी आदेश जारी कर सकता है।
- आदेश संबंधित विभाग के सचिव के परामर्श से जारी किया जाना चाहिए।
- किसी भी आदेश को जारी करने से पहले कुछ मामलों को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल को उनकी राय के लिए प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- इनमें निम्नलिखित को प्रभावित करने वाले प्रस्ताव भी शामिल हैं:
(a) दिल्ली की शांति
(b) दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार, सर्वोच्च न्यायालय या अन्य राज्य सरकारों के बीच संबंध
(c) विधानसभा को बुलाना, सत्रावसान और भंग करना
(d) वे मामले जिन पर उपराज्यपाल को अपने विवेकाधिकार से आदेश देना है।
सचिवों के कर्तव्य:
- इसके अतिरिक्त संबंधित विभाग के सचिव को कुछ मामलों को एलजी, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के संज्ञान में लाना होगा।
- इनमें ऐसे मामले शामिल हैं जो दिल्ली सरकार को केंद्र या किसी राज्य सरकार, सर्वोच्च न्यायालय या दिल्ली उच्च न्यायालय के साथ विवाद में ला सकते हैं।
नोट
- भारत में आठ केंद्र शासित प्रदेशों में से पांच का संवैधानिक प्रमुख उपराज्यपाल के नाम से जाना जाता है। ये हैं दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और लद्दाख।
- दिल्ली के मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (उपराज्यपाल द्वारा नहीं)। अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह पर की जाती है।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- अनुच्छेद 239 AA को 69वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1991 द्वारा संविधान में शामिल किया गया था।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2023 विधान सभा को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि पर कानून बनाने का अधिकार देता है।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2023 राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण को समाप्त करता है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल एक
(b) केवल 1 एवं 2
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर : (a)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2023 के प्रमुख प्रावधानों पर चर्चा कीजिए। क्या यह केंद्र सरकार की अधिकारिता को बढ़ता है?
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