New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

कार्बन बाज़ार प्रणाली का बढ़ता महत्त्व

(सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

चीन इस वर्ष के अंत तक सीमेंट, स्टील एवं एल्युमीनियम उत्पादन क्षेत्र को अपनी कार्बन उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (Emission Trading System : ETS) में शामिल करने की योजना बना रहा है। चीन को उम्मीद है कि इससे बाजार में तरलता में वृद्धि होगी।

क्या है कार्बन बाज़ार प्रणाली

  • कार्बन बाज़ार ऐसी व्यापारिक प्रणालियाँ हैं जिनमें कार्बन क्रेडिट की बिक्री एवं खरीद की जाती है। 
  • कंपनियाँ या व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को हटाने या कम करने वाली संस्थाओं से कार्बन क्रेडिट खरीदकर अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की भरपाई के लिए कार्बन बाज़ार का उपयोग कर सकते हैं।
  • व्यापार योग्य एक कार्बन क्रेडिट, एक टन कार्बन डाइऑक्साइड या किसी अन्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के समतुल्य होता है । 
  • जब किसी क्रेडिट का उपयोग उत्सर्जन को कम करने के लिए किया जाता है, तो यह एक ऑफसेट बन जाता है और व्यापार योग्य नहीं होता है।

कार्बन बाज़ार प्रणाली के प्रकार 

  • मुख्यत: कार्बन बाज़ार दो प्रकार के होते हैं : 
    • अनुपालन योग्य बाज़ार : अनुपालन बाज़ारों में प्रतिभागी, किसी विनियामक निकाय द्वारा स्थापित दायित्व की प्रतिक्रिया में कार्य करते हैं। इसमें राष्ट्रीय या क्षेत्रीय उत्सर्जन व्यापार योजनाएँ शामिल हैं। 
    • स्वैच्छिक बाज़ार : स्वैच्छिक कार्बन बाज़ारों में प्रतिभागियों पर किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने का कोई औपचारिक दायित्व नहीं होता है। इसके बजाय, कंपनियाँ, शहर या क्षेत्र जैसे गैर-राज्य अभिकर्ता स्वेच्छा से अपने उत्सर्जन को ऑफसेट करना चाहते हैं। 
      • उदाहरण के लिए, जलवायु तटस्थ, शुद्ध शून्य उत्सर्जन जैसे शमन लक्ष्यों को प्राप्त करना।

कार्बन बाज़ार की अवधारणा का विकास 

  • पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय कार्बन बाज़ारों का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के कार्यान्वयन के लिए जलवायु कार्रवाइयों की महत्वाकांक्षा और सतत विकास एवं पर्यावरणीय समग्रता को बढ़ावा देना है।
  • अनुच्छेद 6 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा अभिसमय (UNFCCC) के अंतर्गत बहुपक्षीय शासन वाले एक अंतर्राष्ट्रीय कार्बन बाज़ार की स्थापना करता है। 
    • यह उत्सर्जन में कमी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हस्तांतरित शमन परिणामों में विकास एवं व्यापार के लिए सामान्य वैश्विक मानक व मार्गदर्शन निर्धारित करता है।
  • वर्ष 2023 में 154 में से 143 पक्षों ने अपने NDC में जलवायु कार्रवाई को वित्तपोषित करने और राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में अनुच्छेद 6 के अंतर्गत सहकारी दृष्टिकोणों से कार्बन क्रेडिट का उपयोग करने का उल्लेख किया है।  

कार्बन बाज़ार प्रणाली का महत्त्व 

  • वर्ष 2021 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) ने जलवायु परिवर्तन को मंद करने की दिशा में दुनिया की प्रगति पर एक नया रिपोर्ट कार्ड जारी किया। 
    • इसके अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा के निरंतर सस्ते होने के बावजूद ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन अभी भी वैश्विक स्तर पर सभी प्रमुख क्षेत्रों में बढ़ रहा है।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि तत्काल GHG उत्सर्जन में अत्यधिक कटौती नहीं की गई  तो 21वीं सदी के दौरान तापमान में 2°C की वृद्धि हो जाएगी।
  • GHG उत्सर्जन में कटौती के उद्देश्य से प्रभावी कार्रवाई के लिए ठोस एवं पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होगी। 
    • विकासशील देशों को अपने जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों के 50% से भी कम को पूरा करने के लिए वर्ष 2030 तक 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक की आवश्यकता होगी।
  • GHG उत्सर्जन में कटौती के लिए निवेश के उद्देश्य से कार्बन बाज़ार एक आदर्श विकल्प है। 

भारतीय कार्बन बाज़ार का उदय 

  • भारत को देश की आर्थिक विकास महत्वाकांक्षाओं, जलवायु लक्ष्यों और वित्त आवश्यकताओं को देखते हुए एक व्यापक कार्बन मूल्य निर्धारण प्रणाली की आवश्यकता  है।
  • वर्ष 2012 में भारत द्वारा शुरू की गई प्रदर्शन, उपलब्धि एवं व्यापार (Perform, Achieve and Trade : PAT) योजना ऊर्जा-गहन उद्योग क्षेत्रों में अधिक ऊर्जा दक्षता के माध्यम से एक बाजार तंत्र स्थापित करने की दिशा में पहला कदम था।
  • इसका उद्देश्य उद्योगों को ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं में निवेश करने, उनकी क्षमताओं का निर्माण करने तथा संसाधन अनुकूलन, प्रतिस्पर्धा एवं नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देकर उन्हें सशक्त बनाने के लिए प्रोत्साहित करना था।
  • विद्युत मंत्रालय ने ऊर्जा संरक्षण संशोधन अधिनियम, 2021 के तहत जून 2023 में कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग सर्टिफिकेट (CCTS) योजना को अधिसूचित किया।
  • भारतीय कार्बन बाजार अभी अपने प्रारंभिक चरण में है। इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक शीर्ष तीन वैश्विक कार्बन बाजारों में शामिल होना है।

चीन के कार्बन बाज़ार के बारे में 

  • चीन के कार्बन बाजार में एक अनिवार्य उत्सर्जन व्यापार प्रणाली (ETS) और एक स्वैच्छिक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन कटौती व्यापार बाजार शामिल है। 
    • इसे चीन प्रमाणित उत्सर्जन कटौती (China Certified Emission Reduction : CCER) योजना के रूप में भी जाना जाता है, जिसे इस वर्ष की शुरुआत में संशोधित किया गया था।
  • चीन ETS में विद्युत उत्पादन, इस्पात, निर्माण सामग्री, अलौह धातु, पेट्रोकेमिकल, रसायन, कागज एवं नागरिक उड्डयन सहित आठ प्रमुख उत्सर्जन क्षेत्र शामिल करने पर विचार कर रहा हैं। 

क्या है ETS

  • चीन के अनिवार्य कार्बन बाजार ETS के तहत फर्मों को निःशुल्क प्रमाणित उत्सर्जन अनुज्ञा (Certified Emission Allowances : CEAs) का कोटा प्रदान किया जाता है। 
    • यदि किसी निश्चित अनुपालन अवधि के दौरान वास्तविक उत्सर्जन किसी कंपनी के कोटे से अधिक हो जाता है, तो उस अंतर को पूरा करने के लिए उसे बाज़ार से अधिक अनुज्ञा खरीदनी होंगी। 
    • यदि उसका उत्सर्जन कम है, तो वह अपने अधिशेष CEA की बिक्री कर सकता है।
  • उत्सर्जकों को मासिक आधार पर प्रमुख मानदंड प्रस्तुत करने और प्रतिवर्ष उत्सर्जन डाटा प्रस्तुत करने के लिए बाध्य किया जाता है।

क्या है CCER

  • चीन ने इसी वर्ष जनवरी में अपने राष्ट्रीय स्वैच्छिक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कटौती व्यापार बाजार को पुन: शुरू किया जिसे CCER के रूप में जाना जाता है।
    • इससे कार्बन बाजार में उत्सर्जकों की भागीदारी में वृद्धि होती है।
  • वर्ष 2017 में CCER का पंजीकरण और इसके तहत जारी प्रमाणपत्रों या अनुज्ञा को आंशिक रूप से कम व्यापारिक मात्रा के कारण निलंबित कर दिया गया था। 
    • हालाँकि, मौजूदा क्रेडिट का व्यापार अभी भी किया जा सकता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR