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भारत की वृक्षारोपण योजनाओं से जुड़ा मुद्दा

(मुख्य परीक्षा – सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

संदर्भ 

भारत प्रतिवर्ष जुलाई के पहले सप्ताह में वृक्षारोपण के लिए वन महोत्सव का आयोजन करता है। जैव विविधता को समर्थन और उसे बनाए रखने के सिद्ध तरीकों में से एक के रूप में, वृक्षारोपण एक निर्विवाद, सबसे आकर्षक और लोकप्रिय दृष्टिकोण है। हालाँकि, विश्व बैंक का अनुमान है कि 20वीं सदी की शुरुआत से दुनिया में लगभग 10 मिलियन वर्ग किलोमीटर जंगल नष्ट हो गए हैं।

भारत का वन महोत्सव कार्यक्रम

  • वृक्षारोपण जैविक कार्बन पृथक्करण का सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है, वृक्ष वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को संग्रहित करने और हटाने के तंत्र के रूप में कार्य करते हैं। 
  • यही कारण है कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों सहित व्यक्तियों द्वारा बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान को एक अचूक उपाय माना जाता है।
  • पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में वृक्षों की इस अपरिहार्य भूमिका को ध्यान में रखते हुए, तत्कालीन भारतीय कृषि मंत्री के.एम. मुंशी ने जुलाई 1950 में वन महोत्सव (festival of trees) कार्यक्रम शुरू किया था।
    • तब से भारत में प्रतिवर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में वृक्षारोपण का यह कार्यक्रम धार्मिक रूप से मनाया जाता है।
  • वन महोत्सव 2024 : वन महोत्सव सप्ताह 2024 में 1 जुलाई से 7 जुलाई तक वृक्षारोपण गतिविधियों का एक राष्ट्रव्यापी उत्सव मनाया गया, जिसमें वृक्षारोपण इके साथ-साथ वनों की कटाई और पर्यावरण क्षरण जैसे मुद्दों को संबोधित किया गया है।
    • उद्देश्य : स्थानीय लोगों को वृक्षारोपण अभियान में शामिल करना और पर्यावरण जागरूकता फैलाना। 

भारत की प्रमुख वृक्षारोपण पहलें

  • एक पेड़ मां के नाम : पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जून 2024 को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की थी।
    • उद्देश्य : हरित आवरण लक्ष्य प्राप्त करना, हरित अर्थव्यवस्था प्राप्त करना और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एक स्थायी जीवन शैली अपनाना; माँ को श्रद्धांजलि के रूप में एक पेड़ लगाना।
  • नगर वन योजना : वर्ष 2020 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में नगर वन तैयार करना है, जो स्थानीय समुदायों, गैर सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, स्थानीय निकायों आदि को शामिल करके शहरी वानिकी को बढ़ावा देता है।
  • CAMPA फंड : प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) को वर्ष 2018 में शुरू किया गया था। 
    • उद्देश्य : 
      • प्रतिपूरक वनरोपण बढ़ाकर वन भूमि और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के नुकसान की भरपाई के लिए निधियों का उपयोग करना
      • प्राकृतिक पुनर्जनन के माध्यम से वनों की गुणवत्ता में सुधार करना
      • जैव विविधता को समृद्ध करना, वन्यजीव आवास में सुधार करना
      • वन अग्नि पर नियंत्रण करना
      • वन संरक्षण और मृदा एवं जल संरक्षण उपाय करना
  • हरित भारत मिशन (GIM) : वर्ष 2015-16 में शुरू किए गए इस मिशन का उद्देश्य भारत के घटते वन क्षेत्र की रक्षा, पुनर्बहाली और वृद्धि करना तथा अनुकूलन और शमन उपायों के संयोजन द्वारा जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना है।
    • लक्ष्य: 
      • वन/वृक्ष आवरण को 5 मिलियन हेक्टेयर (mha) तक बढ़ाना तथा अन्य 5mha वन/गैर-वन भूमि पर वन/वृक्ष आवरण की गुणवत्ता में सुधार करना;
      • कार्बन पृथक्करण और भंडारण (वनों और अन्य पारिस्थितिक तंत्रों में), जल विज्ञान सेवाओं और जैव विविधता जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में सुधार/संवर्द्धन करना;
      • ईंधन, चारा, तथा इमारती लकड़ी और गैर-इमारती वन उपज (एनटीएफपी) जैसी सेवाओं के माध्यम से लगभग 3 मिलियन परिवारों की वन-आधारित आजीविका आय में वृद्धि करना।
  • राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम: 
    • उद्देश्य : वनों के क्षरण की पारिस्थितिकी बहाली तथा लोगों की भागीदारी से वन संसाधनों का विकास करना, तथा वन-किनारे रहने वाले समुदायों, विशेषकर गरीबों की आजीविका में सुधार पर ध्यान केन्द्रित करना।
    • घटक :
      • सात वृक्षारोपण मॉडलों के अंतर्गत वनरोपण
      • पिछले वर्षों के वृक्षारोपणों का रखरखाव और सहायक गतिविधियां 
      • बाड़ लगाना एवं ओवरहेड्स
      • निगरानी एवं मूल्यांकन 
      • सूक्ष्म नियोजन
      • जागरूकता बढ़ाना
      • प्रवेश बिंदु गतिविधियां।
  • राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान : भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के अंतर्गत अपना इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रस्तुत किया है। 
    • इसमें 2030 तक अतिरिक्त वन एवं वृक्ष आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन CO2 समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।

वनीकरण की वैश्विक पहलें

  • पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली का दशक : संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2021-2030 के दशक को पारिस्थितिकी तंत्र बहाली के दशक के रूप में घोषित किया गया है। 
    • इसका मुख्य उद्देश्य ख़राब पारिस्थितिकी तंत्र को उनकी पिछली स्थिति में वापस लाने के लिए वन बहाली दृष्टिकोण पर जोर देना है।
  • एक ट्रिलियन प्रोजेक्ट : दुनिया भर में 1 ट्रिलियन पेड़ों को उगाने, पुनर्स्थापित करने और संरक्षित करने के लिए विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक पहल। 
  • ग्रेट ग्रीन वाल ऑफ़ चाइना : 4,500 किलोमीटर की बेल्ट में पेड़ लगाकर उत्तरी चीन में मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए व्यापक वनीकरण परियोजना। 
  • 10 बिलियन ट्री सुनामी : जलवायु परिवर्तन और वनों की कटाई से निपटने के लिए पूरे पाकिस्तान में 10 अरब पेड़ लगाने की राष्ट्रीय पहल
  • बॉन चैलेंज : 2020 तक 150 मिलियन हेक्टेयर और 2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर भूमि में वनों को बहाल करना। 

वृक्षारोपण पहलों से जुड़ी चुनौतियाँ

  • प्रचार पर अधिक जोर : इन अभियानों में अक्सर आकर्षक नारे और ग्लैमरस अभियान शामिल होते हैं जो थोड़े समय के लिए ही मीडिया का ध्यान और सार्वजनिक भागीदारी को आकर्षित करते हैं।
  • सीमित सामुदायिक भागीदारी : कई कार्यक्रमों में स्थानीय समुदायों की पर्याप्त भागीदारी का अभाव होता है, जिससे उनकी प्रभावशीलता और स्थिरता प्रभावित होती है।
  • वृक्षारोपण के बाद के उपाय : वृक्षारोपण के बाद देखभाल और निगरानी पर अपर्याप्त ध्यान देने से वृक्षारोपण प्रयासों की सफलता में बाधा आती है।
  • एकरूपता का जोखिम : कुछ अभियान एकल प्रजाति के पौधों को बढ़ावा देते हैं, जो जैव विविधता और कार्बन पृथक्करण के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • पारिस्थितिक प्रभाव : घास के मैदानों या पशु आवासों जैसे गैर-वन-उन्मूलित क्षेत्रों में अनुचित वृक्षारोपण से पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है, वनाग्नि का खतरा बढ़ सकता है, तथा वैश्विक तापमान में वृद्धि हो सकती है।

भारत की उपलब्धियां एवं चुनौतियाँ

  • उपलब्धियां : भारत का दावा है कि उसने पेरिस समझौते की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर लिया है और 1.97 बिलियन टन CO2 समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक हासिल कर लिया है।
  • अतिक्रमण और हानि : भारत में लगभग 10 मिलियन हेक्टेयर भारतीय वन क्षेत्र अतिक्रमण के अधीन है। 
    • लगभग 5.7 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए नष्ट हो गया है।
  • वनों पर निर्भरता : भारत में 27.5 करोड़ से अधिक लोग जीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं, जो वनों के टिकाऊ प्रबंधन के महत्व को उजागर करता है।
  • पुनर्स्थापना लक्ष्य : भारत का लक्ष्य 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर क्षरित वनों को पुनर्स्थापित करना है, लेकिन इसके समक्ष अतिक्रमण और प्रभावी वृक्षारोपण रणनीतियों की आवश्यकता जैसी चुनौतियां हैं।

बेहतर वनीकरण के लिए सुझाव

  • सामुदायिक भागीदारी : नियोजन, कार्यान्वयन और निरंतर रखरखाव में समुदायों को शामिल करके वृक्षारोपण अभियान में स्थानीय भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। 
  • निगरानी और रखरखाव : रोपे गए पौधों की उत्तरजीविता और वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए मजबूत रोपण पश्चात निगरानी और देखभाल प्रणाली को लागू करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
  • नीतिगत सुधार : बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियानों की आलोचना का समाधान करने के लिए, भारत को वानिकी और पुनर्स्थापन रणनीतियों में पर्याप्त वित्तपोषण, सक्रिय सामुदायिक भागीदारी और तकनीकी विचारों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
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