(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारतीय राज्यतंत्र और शासन) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : शासन प्रणाली और आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका) |
संदर्भ
महाराष्ट्र सरकार ने शहरी क्षेत्रों में नक्सलवाद की बढ़ती मौजूदगी से निपटने के लिए एक नया एवं व्यापक कानून ‘महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक (MSPSA विधेयक), 2024’ प्रस्तावित किया है।
नए कानून की आवश्यकता
- इस विधेयक के अनुसार, नक्सलवाद का खतरा केवल नक्सल प्रभावित राज्यों के दूरदराज के इलाकों तक ही सीमित नहीं है बल्कि नक्सली संगठनों के माध्यम से शहरी इलाकों में भी इसकी मौजूदगी बढ़ रही है।
- महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, ये ‘फ्रंटल संगठन’ सशस्त्र नक्सली कैडरों को रसद व सुरक्षित शरण प्रदान करते हैं, जिससे निपटने के लिए मौजूदा कानून अप्रभावी व अपर्याप्त हैं।
महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक, 2024 के बारे में
- यह विधेयक सरकार को किसी भी संदिग्ध संगठन को ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करने की शक्ति देता है।
- इस विधेयक में 18 धाराएँ हैं और इसे छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व ओडिशा में वर्तमान में लागू सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियमों की तर्ज पर तैयार किया गया है।
MSPSA विधेयक, 2024 में शामिल अपराध
- इसमें चार अपराध निर्धारित किए गए हैं जिनके लिए किसी व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है :
- किसी गैरकानूनी संगठन का सदस्य होने पर
- सदस्य न होते हुए भी किसी गैरकानूनी संगठन के लिए धन जुटाने पर
- किसी गैरकानूनी संगठन का प्रबंधन करने या प्रबंधन में सहायता करने पर
- कोई गैरकानूनी गतिविधि करने पर
MSPSA विधेयक, 2024 के तहत गैरकानूनी गतिविधि के अंतर्गत शामिल कार्य
- MSPSA विधेयक, 2024 के तहत निम्नलिखित कार्य लिखित या मौखिक तौर पर गैरकानूनी गतिविधि के अंतर्गत शामिल हो सकते हैं:
- सार्वजनिक व्यवस्था, शांति एवं अमन-चैन के लिए ख़तरा उत्पन्न करने वाले कार्य
- सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव में हस्तक्षेप करने वाले अथवा हस्तक्षेप करने की प्रवृत्ति रखने वाले कार्य
- कानून अथवा इसके द्वारा स्थापित संस्थानों व कर्मियों के प्रशासन में हस्तक्षेप करने वाले अथवा हस्तक्षेप करने की प्रवृत्ति रखने वाले कार्य
- किसी लोक सेवक पर (राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार के बल सहित) आपराधिक बल या आपराधिक बल के प्रदर्शन या अन्य तरीके से भयभीत करने के लिए अभिकल्पित करने वाले कार्य
- हिंसा, तोड़फोड़ या अन्य ऐसे कार्यों में लिप्त होना या उनका प्रचार करना जिससे जनता में भय व आशंका उत्पन्न हो अथवा आग्नेयास्त्रों, विस्फोटकों या अन्य उपकरणों के प्रयोग में लिप्त होना या उन्हें प्रोत्साहित करना अथवा रेल, सड़क, वायु या जल द्वारा संचार में बाधा डालना
- स्थापित कानून और उसकी संस्थाओं के प्रति अवज्ञा को प्रोत्साहित करना या उसके लिए प्रचार करना
- ऊपर उल्लिखित किसी एक या अधिक गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन या सामान एकत्रित करना…आदि।
UAPA के अंतर्गत गैरकानूनी गतिविधि की परिभाषा
- इसके तहत भारत के क्षेत्र के एक हिस्से का संघ से ‘अधिग्रहण’ करना या ‘अलगाव’ करना शामिल है, अर्थात ऐसा कोई भी कार्य जो ‘भारत की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को अस्वीकार करता है, उस पर प्रश्न उठाता है, उसे बाधित करता है या बाधित करने का इरादा रखता है और ‘भारत के खिलाफ असंतोष’ पैदा करता है।
- हालांकि, इन शब्दों को समय-समय पर न्यायालाओं ने परिभाषित किया है और उनकी व्याख्या कुछ न्यायिक मानदंडों का पालन करती है।
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विधेयक के अंतर्गत दण्ड के प्रावधान
- MSPSA विधेयक, 2024 के तहत अपराधों में तीन वर्ष से लेकर सात वर्ष तक की जेल की सज़ा और 2 लाख से लेकर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
- इसके तहत अपराध संज्ञेय हैं, जिसका अर्थ है कि बिना वारंट के गिरफ़्तारी की जा सकती है और ये गिरफ़्तारी गैर-ज़मानती होगी।
- इन अपराधों की जांच सब-इंस्पेक्टर रैंक अथवा उससे ऊपर रैंक के पुलिस अधिकारी द्वारा ही की जाएगी।
महाराष्ट्र सरकार का MSPSA विधेयक और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 (UAPA)
- MSPSA विधेयक महाराष्ट्र राज्य को किसी संगठन को ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करने का अधिकार देता है।
- इसके निर्णय की समीक्षा राज्य सरकार द्वारा गठित सलाहकार बोर्ड द्वारा की जा सकती है।
- सलाहकार बोर्ड में ‘उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे हैं या बनने के योग्य तीन व्यक्ति शामिल होंगे’।
- UAPA भारत का आतंकवाद रोधी कानून है जिसका उपयोग नक्सलवाद से संबंधित मामलों में सर्वाधिक किया जाता है।
- यह अधिनियम भी राज्य को किसी संगठन को ‘गैरकानूनी संगठन’ के रूप में नामित करने की शक्ति देता है।
- UAPA के तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता वाला एक न्यायाधिकरण राज्य द्वारा की गई घोषणा की पुष्टि करता है।
- गौरतलब है कि यदि किसी संगठन को गैरकानूनी घोषित किया गया है, तो जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त इसकी गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी भी स्थान को अधिसूचित कर सकते हैं और उसे अपने कब्जे में ले सकते हैं।
- इसके अलावा, चल संपत्ति, जैसे- धन, प्रतिभूतियां या अन्य संपत्तियां को कब्जे में लिया जा सकता है।
नक्सलवाद के विरुद्ध भारत में कानूनी प्रावधान
- 1 जुलाई, 2024 को भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू होने से पूर्व एजेंसियों द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 153A का प्रयोग नक्सलवाद के विरुद्ध किया जाता था जिसमें ‘धर्म-जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना..’ शामिल था।
- हालाँकि, BNS के तहत नक्सलवाद के आरोप को धारा 196 के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
- इसके अलावा, एजेंसियाँ UAPA जैसे कानूनों का भी उपयोग करती हैं।
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