(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव-विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन) |
संदर्भ
वैश्विक स्तर पर भारत की समुद्री प्रतिस्पर्धा मजबूत करने के साथ ही शिपिंग उद्योग में वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने एवं विभिन्न सुधारों के उद्देश्य से मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024 (Merchant Shipping Bill, 2024) और कोस्टल शिपिंग विधेयक, 2024 (Coastal Shipping Bill, 2024) प्रस्तावित किया गया है।
इन विधेयकों की आवश्यकता
- विनियामक अंतराल की समस्या : शिपिंग उद्योग से संबंधित मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 व कोस्टिंग वेसल्स एक्ट, 1838 वर्तमान की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हैं जिसमें विभिन्न विनियामक अंतराल एवं निजी क्षेत्र की गतिविधियों को प्रभावी ढंग से विनियमित करने के लिए कानूनी ढांचा का अभाव है।
- अंतर्राष्ट्रीय अभिसमयों के अनुमोदन में बाधा : भारत ने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय अभिसमयों पर हस्ताक्षर किए हैं जिन्हें अनुमोदन की आवश्यकता है। हालांकि, मौजूदा अधिनियम में कुछ अंतरराष्ट्रीय अभिसमयों को लागू करने के लिए सक्षम प्रावधानों का अभाव है।
- नाविक कल्याण से संबंधित सीमित प्रावधान : मौजूद अधिनियम नाविकों के कल्याण से संबंधित प्रावधानों को भारतीय ध्वज वाले (Indian-flagged Vessels) पोत तक ही सीमित करता है। हालांकि, 85% भारतीय नाविक विदेशी ध्वज वाले पोत (Foreign-flagged Vessels) पर कार्यरत हैं।
- लाइसेंस आवश्यकताओं को सीमित करना : मौजूदा अधिनियम के कुछ लाइसेंस प्रावधान समुद्री प्रशासन के आधुनिकीकरण में बाधक हैं जिनमें सुधार की आवश्यकता है।
- ऐसे में नए विधेयकों का उद्देश्य मौजूदा विनियामक ढाँचों का आधुनिकीकरण करना, कुछ लाइसेंस आवश्यकताओं को समाप्त करना और अनुपालन बोझ को कम करना तथा घरेलू जलमार्ग व्यापार को बढ़ावा देना शामिल हैं।
- पुराने अधिनियम ‘नियामक’ से ‘नियामक-सह-सुविधाकर्ता’ में बदलने की आवश्यकता को रेखांकित करता है जिससे ‘व्यापार करने में आसानी’ को बढ़ावा दिया जा सके।
मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024
- यह विधेयक मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 की जगह लेगा। यह विधेयक भारत के समुद्री कानूनों को आधुनिक बनाने के साथ ही उभरती चुनौतियों का समाधान करता है तथा भारत को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाता है।
- प्रस्तावित विधेयक मौजूदा अधिनियम के प्रावधानों को समेकित करके अनावश्यक प्रक्रियाओं एवं नौकरशाही बाधाओं को कम करके एक सुव्यवस्थित व सुसंगत संरचना प्रस्तुत करता है।
- इस विधेयक में यू.के., नॉर्वे व सिंगापुर जैसे प्रमुख समुद्री अधिकार क्षेत्रों की सर्वोत्तम प्रथाओं को भी शामिल किया गया है।
मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024 के प्रमुख प्रावधान
- पंजीकरण सुगमता (Ease of Registration) : मौजूदा कानून 100% भारतीय स्वामित्व वाली संस्थाओं तक ही पोत पंजीकरण को सीमित करता है। प्रस्तावित विधेयक विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों का प्रस्ताव करता है।
- यह भारतीय नागरिकों/संस्थाओं के लिए स्वामित्व सीमा को 100% से घटाकर 51% कर देता है जिससे अधिक लचीलापन संभव होता है।
- यह सीमित देयता भागीदारी (LLP), अनिवासी भारतीयों (NRIs) और भारत के विदेशी नागरिकों (OCIs) को भारतीय पोत का स्वामित्व व पंजीकरण करने की अनुमति देता है।
- इसके अलावा इस विधेयक में पोत रीसाइक्लिंग उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए ध्वस्त किए जाने वाले पोत के अस्थायी पंजीकरण के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं।
- पोत की परिभाषा में विस्तार (Expansion in the Definition of Ships) : मौजूदा अधिनियम केवल एक निश्चित आकार से बड़े यंत्रीकृत पोत (इंजन युक्त पोत) को नियंत्रित करता है तथा छोटे यंत्रीकृत पोतों और सभी गैर-यंत्रीकृत पोतों को इसके दायरे से बाहर रखता है। यह विनियामक अंतराल कई पोतों को पर्याप्त निगरानी के बिना संचालन की अनुमति देता है जो परिचालन एवं सुरक्षा जोखिमों की चिंताओं को उजागर करता है।
- प्रास्ताविक विधेयक में इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए ‘पोत’ की परिभाषा का विस्तार करते हुए निम्नलिखित को शामिल किया गया है :
- सबमर्सिबल (Submersibles), सेमी-सबमर्सिबल (Semi-submersibles), हाइड्रोफॉइल (Hydrofoils), नॉन डिस्प्लेसमेंट क्राफ्ट (Non-displacement Crafts), एम्फिबियस क्राफ्ट (Amphibious Crafts), विंग-इन-ग्राउंड क्राफ्ट (Wing-in-ground Crafts), प्लेजर क्राफ्ट (Pleasure Crafts), बार्ज (Barges), लाइटर (Lighters), मोबाइल ऑफशोर ड्रिलिंग यूनिट (Mobile Offshore Drilling Units) और मोबाइल ऑफशोर यूनिट (Mobile Offshore Units) आदि को शामिल किया गया है।
- नाविकों से संबंधित प्रावधान : विगत 7-8 वर्षों में विदेशी ध्वज वाले पोत पर कार्यरत भारतीय नाविकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जोकि वर्ष 2015-16 में 1,16,000 से बढ़कर वर्तमान में 2,85,000 हो गया है जिनमें से लगभग 85% नाविक विदेशी ध्वज वाले पोत पर सेवारत हैं। मौजूदा अधिनियम में विदेशी ध्वज वाले पोतों पर काम करने वाले इस कार्यबल के कल्याण एवं सुरक्षा के लिए प्रावधान नहीं हैं।
- प्रस्तावित विधेयक में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए कल्याणकारी उपायों के दायरे को बढ़ाकर विदेशी ध्वज वाले पोत पर काम करने वाले भारतीय नाविकों को भी शामिल किया गया है ।
- इसके अलावा, यह समुद्री श्रम अभिसमय में उल्लिखित सुरक्षा एवं लाभों को सभी भारतीय नाविकों तक विस्तारित करता है जिससे वैश्विक समुद्री उद्योग में योगदान देने वालों के लिए बेहतर कार्य परिस्थितियाँ, सुरक्षा मानक व सहायता प्रणाली सुनिश्चित होती है।
- समुद्री प्रशिक्षण से संबंधित प्रावधान : संविधान की संघ सूची की प्रविष्टि 25 के तहत संघ सरकार व्यापारिक नौसैनिकों की शिक्षा एवं प्रशिक्षण तथा राज्यों व अन्य एजेंसियों द्वारा प्रदान की जाने वाली ऐसी शिक्षा और प्रशिक्षण के विनियमन के लिए जिम्मेदार है। पहले समुद्री प्रशिक्षण मुख्यत: सरकार द्वारा संचालित संस्थानों द्वारा संचालित किया जाता था।
- हालाँकि, आर्थिक उदारीकरण के बाद समुद्री प्रशिक्षण को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया। वर्तमान में देश भर में 160 से अधिक निजी समुद्री प्रशिक्षण संस्थान संचालित हैं और उनकी गतिविधियाँ किसी कानूनी ढांचे के बजाय केवल नियमों, सरकारी आदेशों एवं अधिसूचनाओं द्वारा संचालित होती हैं।
- प्रस्तावित विधेयक संवैधानिक अधिदेश के अनुरूप समुद्री प्रशिक्षण को विनियमित करने के लिए स्पष्ट कानूनी प्रावधान प्रस्तुत करके इस विनियामक अंतराल को दूर करने का प्रयास करता है जो अवैध समुद्री प्रशिक्षण संस्थानों एवं संबंधित धोखाधड़ी प्रथाओं को समाप्त करने में महत्वपूर्ण होगा।
तटीय नौवहन विधेयक, 2024
तटीय शिपिंग से संबंधित विभिन्न मुद्दों, जैसे- लाइसेंसिंग, भारतीय तट एवं अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) पर परिचालन के लिए अनुमति, संघ व राज्यों को शामिल करते हुए तटीय योजना का निर्माण तथा अंतर्देशीय और तटीय नौवहन का एकीकरण सहित विभिन्न पहलुओं को तटीय नौवहन विधेयक, 2024 में शामिल किया गया है।
तटीय नौवहन विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- सरकार ने पोतों के तकनीकी विनियमन एवं भारतीय तटीय जल के वाणिज्यिक उपयोग के बीच अंतर को स्पष्ट किया गया है।
- विधेयक तटीय जहाजों के लिए समर्पित बर्थ एवं तटीय कार्गो आवागमन के लिए बेहतर अंतर्देशीय संपर्क जैसी पहलों के माध्यम से तटीय शिपिंग को बढ़ावा देने पर जोर देता है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत तटीय व्यापार का अर्थ भारत में एक स्थान या बंदरगाह से दूसरे स्थान तक माल एवं यात्रियों का परिवहन है।
- प्रस्तावित विधेयक इस परिभाषा का विस्तार करते हुए सेवाओं के प्रावधान को भी शामिल करता है जिसमें अन्वेषण, अनुसंधान एवं मत्स्ययन को छोड़कर अन्य सभी वाणिज्यिक गतिविधियों को शामिल किया गया है।
- विधेयक में केंद्र सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि वह अधिनियम के लागू होने के दो वर्ष के भीतर राष्ट्रीय तटीय एवं अंतर्देशीय नौवहन रणनीतिक योजना तैयार करे।