(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों तथा विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप; स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय; शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष) |
संदर्भ
युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2024 का मसौदा जारी किया है।
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के बारे में
विधेयक का उद्देश्य
- खेलों के विकास एवं संवर्धन, खिलाड़ियों के लिए कल्याणकारी उपायों, सुशासन प्रथाओं के माध्यम से खेलों में नैतिक प्रथाओं का प्रावधान करना
- खेल महासंघों के प्रशासन के लिए संस्थागत क्षमता निर्माण और विवेकपूर्ण मानकों की स्थापना करना
- ये ओलंपिक एवं खेल गतिविधियों के सुशासन, नैतिकता व निष्पक्ष खेल, ओलंपिक चार्टर, पैरालंपिक चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं तथा स्थापित कानूनी मानकों के बुनियादी सार्वभौमिक सिद्धांतों पर आधारित हैं।
- खेल संबंधी शिकायतों और खेल विवादों के समाधान के लिए एकीकृत, न्यायसंगत एवं प्रभावी उपाय करना
प्रस्तावित विधेयक की मुख्य विशेषताएँ
- भारतीय खेल विनियामक बोर्ड की स्थापना : यह बोर्ड राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) को मान्यता प्रदान करने तथा प्रशासनिक, वित्तीय एवं नैतिक मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार केंद्रीय विनियामक प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा।
- देश में खेलों के प्रशासन को विनियमित करने में इसके पास लचीलापन एवं स्वायत्तता होगी।
- अनिवार्य नैतिक एवं प्रशासन मानक : यह विधेयक खेल संघों में नैतिक प्रशासन के लिए अनिवार्य प्रावधान करता है, जिसमें राष्ट्रीय ओलंपिक चार्टर (NOC), राष्ट्रीय पैरालंपिक चार्टर (NPC) और राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) स्तरों पर नैतिक आयोग एवं विवाद समाधान आयोगों की स्थापना शामिल है।
- ये उपाय प्रशासन एवं निर्णयन प्रक्रियाओं में ईमानदारी, पारदर्शिता व निष्पक्षता का पालन सुनिश्चित करते हैं। यह विधेयक खेल संघों के प्रशासन को सुनिश्चित करता है और ओलंपिक व पैरालिंपिक चार्टर तथा अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करता है। इससे ओलंपिक जैसे अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों की मेजबानी के लिए वैश्विक रूप से स्वीकार्य शासन ढांचा तैयार होता है।
- एथलीट आयोग : प्रस्तावित विधेयक एन.ओ.सी., एन.पी.सी. एवं सभी एन.एस.एफ. में एथलीट आयोगों के गठन को अनिवार्य बनाता है, ताकि एथलीटों के प्रतिनिधित्व के साथ-साथ उन्हें अपनी चिंताओं को व्यक्त करने, निर्णयन प्रक्रिया में भाग लेने और नीति-निर्माण में योगदान देने के लिए एक मंच सुनिश्चित हो सके।
- एथलीट-केंद्रित यह दृष्टिकोण अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति मजबूत करता है और देश को वैश्विक आयोजनों के लिए अधिक एथलीट-अनुकूल बनाता है तथा सरकार द्वारा एथलीट आयोगों को अतिरिक्त धन का प्रावधान करता है।
- कार्यकारी समितियों में एथलीट का प्रतिनिधित्व : विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि एन.ओ.सी., एन.पी.सी. एवं एन.एस.एफ. की आम सभा में मतदान करने वाले सदस्यों में से 10% उत्कृष्ट योग्यता वाले खिलाड़ी (SOM) होंगे, जिन्हें एथलीट आयोग द्वारा चुना जाता है। इनमें से कम-से-कम दो एस.ओ.एम. प्रतिनिधि (एक पुरुष एवं एक महिला) कार्यकारी समिति में काम करने चाहिए
- सुरक्षित खेल नीति : प्रस्तावित विधेयक में एक ‘सुरक्षित खेल नीति’ (Safe Sports Policy) प्रस्तावित है, जिसका उद्देश्य खिलाड़ियों, विशेषकर नाबालिगों व महिलाओं को उत्पीड़न एवं दुर्व्यवहार से बचाना तथा महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा देने संबंधी अधिनियम (POSH) 2013 का सख्ती से पालन करना शामिल है। खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।
- राष्ट्रीय खेल संवर्धन संगठन (NSPO) : यह विधेयक खेल प्रशासन, एथलीट समर्थन एवं विकास को बढ़ावा देने वाले एन.एस.पी.ओ. की मान्यता व विनियमन के लिए दिशा-निर्देश स्थापित करता है।
- यह संस्थागत क्षमताओं को मजबूत करता है और गैर-सरकारी संगठनों व निजी संगठनों के लिए विस्तारित भूमिका प्रदान करता है।
- अपीलीय खेल न्यायाधिकरण : प्रस्तावित विधेयक में एक समर्पित अपीलीय खेल न्यायाधिकरण की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है जो भारत में खेल से संबंधित सभी विवादों का निपटान करेगा। इससे अदालती मामलों में कमी आएगी और एकल खिड़की प्रणाली से विवादों का त्वरित, सस्ता एवं आसान समाधान होगा।
- खेल न्यायाधिकरण के निर्णय से असंतुष्ट होने पर विवादों को सर्वोच्च न्यायालय ले जा सकते हैं।
- तदर्थ सामान्यीकरण समितियां : इस विधेयक में खेल महासंघों द्वारा नियमों का अनुपालन न करने की स्थिति में खेल विनियामक बोर्ड द्वारा तदर्थ सामान्यीकरण समितियों का गठन करने का प्रावधान है जो अंतर्राष्ट्रीय महासंघों के परामर्श से इन निकायों को अस्थायी रूप से प्रशासित करेंगी। इससे खेल प्रशासन में निरंतरता सुनिश्चित होगी।
- वैश्विक डोपिंग रोधी और नैतिक मानकों का सख्त अनुपालन : यह विधेयक खेलों में नैतिक व्यवहार के महत्व को रेखांकित करता है, जिसमें डोपिंग रोधी उपाय, अंतर्राष्ट्रीय नियमों का सख्त अनुपालन और उल्लंघन के लिए सख्त दंड शामिल हैं। इससे भारत ओलंपिक के लिए एक स्वच्छ एवं निष्पक्ष मेजबान के रूप में स्थापित होता है।
- इस संदर्भ में सभी निकायों को आई.ओ.सी. आचार संहिता और देश के कानून के अनुसार अपनी आचार संहिता तैयार करनी होगी।
- सार्वजनिक जवाबदेही एवं पारदर्शिता : एन.ओ.सी., एन.पी.सी. एवं एन.एस.एफ. को सूचना का अधिकार (आर.टी.आई.) अधिनियम के अधीन करके यह विधेयक पारदर्शिता बढ़ाता है और यह सुनिश्चित करता है कि खेल प्रशासन जनता के प्रति जवाबदेह हो।
- समावेशिता एवं लैंगिक प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देना : प्रस्तावित विधेयक कार्यकारी समितियों और अन्य शासी निकायों में लैंगिक प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के लिए कम-से-कम 30% महिला सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान करता है जो खेलों में लैंगिक समानता एवं समावेशिता के वैश्विक रुझानों के अनुरूप है।
- खेल चुनाव पैनल : प्रस्तावित विधेयक में आई.ओ.ए./पी.सी.आई./एन.एस.एफ. द्वारा स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए खेल चुनाव पैनल से चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही, पैनल में ऐसे अधिकारियों को शामिल किया जाएगा जिन्हें देश में चुनाव कराने का व्यापक अनुभव है।
- राष्ट्रीय नाम एवं प्रतीक चिन्ह के उपयोग पर प्रतिबंध : विधेयक में केवल मान्यता प्राप्त खेल निकायों को ही भारतीय ध्वज या राष्ट्रीय नाम के उपयोग की अनुमति होगी। उल्लंघन करने पर जुर्माना और सज़ा हो सकती है जो एक वर्ष या 10 लाख रुपए या दोनों हो सकती है।