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राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : आंतरिक सुरक्षा)

संदर्भ 

भारत के पड़ोसी देशों में हो रही उथल-पुथल और यूक्रेन एवं गाजा में जारी संघर्ष के कारण वैश्विक विकास में हो रही गिरावट तथा अन्य वैश्विक अनिश्चितताओं के दौर में भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता पुनः सार्वजनिक चर्चा के केंद्र में है। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा केवल रक्षा क्षेत्र से संबंधित न होकर सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसे विभिन्न देशों द्वारा अलग-अलग तरीके से पारिभाषित किया जाता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) के बारे में 

  • राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति एक व्यापक ढांचा है जिसे किसी देश द्वारा उभरती चुनौतियों का सामना करते हुए अपने मूल हितों की रक्षा के लिए तैयार किया जाता है। 
  • यह किसी राष्ट्र की सुरक्षा, रक्षा एवं विदेश नीति के लिए एक मार्गदर्शक योजना के रूप में कार्य करता है, जो नीति-निर्माताओं को राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उद्देश्य व कार्यप्रणाली प्रदान करता है। 
  • ऐसा माना जा रहा है पिछले वर्ष नवंबर में भारत ने सैन्य एवं रणनीतिक स्तर पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 
    • इस संदर्भ में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) वर्तमान में मसौदा तैयार करने के लिए विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों से इनपुट एकत्र कर रहा है। 

भारतीय संविधान और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति 

  • भारतीय संविधान राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को काफी हद तक प्रभावित करता है। इसमें सामाजिक-आर्थिक रूप से न्यायसंगत और उचित राष्ट्रीय सुरक्षा ढाँचे के लिए राज्य (राष्ट्र) की नीति का मार्गदर्शन करने वाले निर्देशक सिद्धांत भी शामिल हैं। 
  • संविधान में उल्लिखित युद्ध या सशस्त्र विद्रोह के लिए आपातकालीन प्रावधानों पर NSS द्वारा विचार किया जाना चाहिए, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा अनिवार्यताओं और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के बीच संतुलन सुनिश्चित हो सके।

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के प्रमुख घटक  

  • राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी दस्तावेज़ के निर्माण के लिए विशेषज्ञों और मंत्रालयों के साथ व्यापक परामर्श, विविध इनपुट एवं भविष्य के संभावित परिदृश्यों को समझने की आवश्यकता होगी।
  • यह एक बहुआयामी क्षेत्र है जो सैन्य खतरों को संबोधित करने के साथ-साथ विभिन्न विषयों को भी शामिल करता है। इसमें शामिल घटक निम्नलिखित है :
    • प्रादेशिक अखंडता एवं संप्रभुता
    • आतंकवाद निरोध एवं आंतरिक सुरक्षा
    • कूटनीति एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध
    • आर्थिक एवं सामरिक सुरक्षा
    • जलवायु परिवर्तन एवं समुद्री सुरक्षा
    • रणनीतिक बुनियादी ढांचे का विकास
    • प्रौद्योगिकी एवं नवाचार और साइबर सुरक्षा
    • कृषि एवं खाद्य सुरक्षा
    • लचीलापन एवं आपदा प्रबंधन
    • जन-जागरूकता एवं नागरिक-सैन्य सहयोग
    • बहुपक्षीय सहभागिता एवं प्रशासन
    • परमाणु नीति एवं अप्रसार
    • रणनीतिक योजना एवं अनुकूलनशीलता
    • नैतिक एवं कानूनी ढांचा

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के संभावित लाभ

  • एक लिखित NSS भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, जो वैश्विक अनिश्चितताओं के समय में एक रणनीतिक दृष्टिकोण प्रदान करता है। यह सैन्य और रक्षा सुधारों का मार्गदर्शन करने के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों का समग्र दृष्टिकोण और उन्हें संबोधित करने का मार्ग प्रदान करता है। 
  • इसके अलावा गैर-पारंपरिक चुनौतियों सहित कई तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक योजना के लिए लिखित एन.एस.एस. को आवश्यक माना जाता है।
  • इसके अन्य लाभों में नीति एवं निर्णयन संबंधी मार्गदर्शन, संकट प्रबंधन, संसाधनों का आवंटन, अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव, समन्वय व एकीकरण, बदलते खतरों के प्रति अनुकूलनशीलता आदि को शामिल किया जा सकता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को सार्वजनिक करने संबंधी मुद्दे 

  • यह एक अत्यंत संवेदनशील दस्तावेज होगा और इसकी विषय-वस्तु को सार्वजनिक डोमेन में डालने में रणनीतिक जातिलताएं हो सकती है। 
  • यद्यपि विशेषज्ञों द्वारा इसे गोपनीय रूप से संचालित करने का सुझाव दिया जा रहा है किंतु इस संदर्भ में एक अन्य दृष्टिकोण भी है जो इसे सार्वजनिक करने के पक्ष में है : 

पक्ष मे तर्क 

  • यह सरकार के दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं के संदर्भ में पारदर्शिता को बढ़ाता है, जिससे नागरिकों को राष्ट्र की सुरक्षा प्राथमिकताओं एवं रणनीतियों के बारे में स्पष्टता मिलती है।
  • यह एक निवारक के रूप में कार्य कर सकता है तथा राष्ट्र की क्षमताओं और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित कर सकता है।
  • इससे नागरिकों में जागरूकता और सहभागिता को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए साझा जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहन भी मिलेगा। 
  • यह सरकार की सुरक्षा निर्णयन की प्रक्रिया में अंतर्दृष्टि प्रदान करके उसे जनता के प्रति जवाबदेह बनाता है।
  • इससे सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सरकार की क्षमता पर जनता का विश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है।
  • यह सुरक्षा खतरों एवं चुनौतियों के बारे में जनता की धारणा व समझ को आकार देने में सहायक होगा। 
  • यह विशेषज्ञों, थिंक टैंकों व शिक्षाविदों को बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की समग्र क्षमता में वृद्धि होती है।

विपक्ष मे तर्क 

  • इसे सार्वजनिक करने से सुरक्षा उपायों में बाधा उत्पन्न हो सकती है जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।  
  • इससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष संवेदनशील जानकारी उजागर हो सकती है जिसका विरोधियों द्वारा फायदा उठाया जा सकता है।
  • इससे जनता द्वारा जटिल सुरक्षा रणनीतियों की गलत व्याख्या या गलत संचार का जोखिम हो सकता है।
  • बदलते सुरक्षा परिदृश्यों के अनुकूल होने के लिए इन रणनीतियों में समायोजन की आवश्यकता हो सकती है, जो चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

NSS निर्माण संबंधी चुनौतियां

देश के एन.एस.एस. को स्पष्ट करने वाला एक लिखित दस्तावेज तैयार करना एक जटिल कार्य है। इस संदर्भ में निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं :  

  • अनुपालन संबंधी चुनौती : अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और घरेलू कानूनों सहित मौजूदा विभिन्न कानूनी ढाँचों के साथ एन.एस.एस. का अनुपालन एक प्रमुख चुनौती हो सकती है।  
  • सीमित बजटीय आवंटन : प्रतिस्पर्धी बजटीय मांगों के बीच एन.एस.एस. को लागू करने के लिए सीमित संसाधनों को आवंटित करना भी मुश्किल हो सकता है। 
  • समन्वय संबंधी चुनौती : रक्षा मंत्रालय व अन्य सरकारी एजेंसियों तथा सेना के भीतर नौकरशाही मतभेदों के कारण अलग-अलग राय का सामना करना पड़ सकता है और विभिन्न हितधारकों के बीच प्रभावी समन्वय एवं सहयोग में बाधा आ सकती है।
  • तकनीकी बधाएं : कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अंतरिक्ष, जैव प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा के क्षेत्रों में तेजी से हो रहे उच्च तकनीक विकास के कारण एन.एस.एस. को अद्यतन एवं प्रासंगिक बनाए रखना एक चुनौती है। 
  • सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ : साइबर खतरों, आतंकवाद एवं अन्य गैर-पारंपरिक सुरक्षा मुद्दों जैसे मौजूदा सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए एन.एस.एस. को अनुकूलित करना एक सतत चुनौती बनी हुई है। 

निष्कर्ष एवं आगे की राह 

  • उपर्युक्त मुद्दों का समाधान करते हुए लिखित एन.एस.एस. का प्रकाशन समय की मांग है। ऐसे में गोपनीयता के मुद्दों को कम करने के लिए इस दस्तावेज़ के दो संस्करण हो सकते हैं, जिसमें एक सार्वजनिक उपयोग के लिए के लिए और दूसरा विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के लिए कार्रवाई करने के लिए वर्गीकृत संस्करण होगा। इसलिए, पारदर्शिता एवं वर्गीकृत विवरणों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना सबसे महत्वपूर्ण है और दो संस्करणों के होने से ऐसी सभी चिंताओं का ध्यान रखा जा सकेगा।
  • भारत के संदर्भ में यह विविध सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने, राष्ट्र के हितों की सुरक्षा करने, एक जटिल सुरक्षा परिदृश्य को नेविगेट करने और क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्थिरता में योगदान करने के लिए एक आधारभूत ढांचे के रूप में कार्य करता है। 
  • इस तरह की रणनीति का मसौदा तैयार करना और प्रभावी कार्यान्वयन 21वीं सदी में भारत की सुरक्षा व समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। 
  • हालाँकि, एक मजबूत एन.एस.एस. बनाने में राजनीतिक आम सहमति, संसाधनों की कमी और गतिशील वैश्विक परिवर्तन आदि चुनौतियाँ का समाधान करने की आवश्यकता  है।
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