New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

नवीकरणीय क्रांति की आवश्यकता

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : बुनियादी ढाँचा : ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ऊर्जा सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति पर बल दिया है। कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध सहित जीवाश्म ईंधनों पर अत्यधिक निर्भरता ने जलवायु परिवर्तन एवं ऊर्जा संक्रमण की दर को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।

वर्तमान परिदृश्य 

  • रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ते ऊर्जा संकट ने कई देशों को जीवाश्म ईंधनों, जैसे- कोयला, तेल और गैस में अधिक निवेश को प्रेरित किया है, जिससे जलवायु आपातकाल की स्थिति गहरा गई है
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने जी-20 समूह की सरकारों से कोयले के बुनियादी ढांचे को समाप्त करने का आह्वान किया है, जिसके तहत आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन के देशों के लिये वर्ष 2030 और अन्य सभी देशों के लिये वर्ष 2040 तक की तिथि निर्धारित की गई है।
  • सभी जलवायु संकेतक इस बात के द्योतक हैं कि पृथ्वी को भविष्य में भयंकर तूफान, बाढ़, सूखा, जंगल की आग और एक विशाल क्षेत्र में न रहने योग्य अत्यधिक तापमान का सामना करना पड़ेगा। 

अक्षय ऊर्जा के लिये पाँच सूत्रीय योजना 

  • महासचिव ने जीवाश्म ईंधन में निवेश को कम करने और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश में वृद्धि का आग्रह करते हुए दुनिया भर में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये पांच सूत्री योजना का प्रस्ताव रखा है।
  • पहला, अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी को वैश्विक सार्वजनिक वस्तु बनाने की आवश्यकता है, जिसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिये बौद्धिक संपदा बाधाओं को दूर करना शामिल है। 
  • दूसरा, अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, घटकों और कच्चे माल के लिये आपूर्ति श्रृंखलाओं तक वैश्विक पहुंच में सुधार करने की आवश्यकता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये स्पष्टत: एक वैश्विक गठबंधन की आवश्यकता है। 
  • तीसरा, सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा परियोजनाओं में देरी करने वाली लालफीताशाही को समाप्त करने की आवश्यकता है। साथ ही, बिजली ग्रिड के आधुनिकीकरण के लिये त्वरित (फास्ट-ट्रैक) अनुमोदन और अधिक प्रयास की आवश्यकता है। 
  • चौथा, वैश्विक स्तर पर जीवाश्म ईंधन के लिये दी जाने वाली ऊर्जा सब्सिडी को सुभेद्य वर्गों को ऊर्जा झटकों से बचाने के लिये प्रयोग करना चाहिये और एक सतत भविष्य के लिये उचित ऊर्जा संक्रमण में निवेश करना चाहिये। 
  • पाँचवां, अक्षय ऊर्जा में निवेश को तिगुना करने की आवश्यकता है। इसमें बहुपक्षीय विकास बैंकों, विकास वित्त संस्थानों और वाणिज्यिक बैंकों को शामिल करना चाहिये।

चुनौतियाँ

  • शिपिंग तथा आपूर्ति-श्रृंखला में बाधाओं के साथ-साथ लिथियम एवं अन्य बैटरी धातुओं की उच्च लागत नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों और सामग्रियों की तैनाती की गति को मंद कर रही है।
  • वर्ष 2020 में दुनिया में पांच गीगावाट बैटरी भण्डारण क्षमता स्थापित की गई जबकि वर्ष 2030 तक 600 गीगावाट भंडारण क्षमता की आवश्यकता है।
  • वर्तमान में विश्व 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार करने के निकट है जो कि सर्वाधिक प्रतिकूल जलवायु प्रभावों से बचने के लिये तापमान का अधिकतम स्तर है। 
  • वर्ष 2030 तक उत्सर्जन को 45% तक कम करने और सदी के मध्य तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने की आवश्यक है किंतु वर्तमान राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं से इस दशक में लगभग 14% की वृद्धि होने की संभावना है। 
  • जीवाश्म ईंधन जलवायु संकट का कारण हैं। हालाँकि, न्यायसंगत एवं तीव्र ऊर्जा संक्रमण के लिये एक समान स्तर पर प्रयास नहीं किये जा रहे है। निवेशक अभी भी जीवाश्म ईंधन का समर्थन कर रहे हैं और सरकारें अभी भी कोयला, तेल और गैस के लिये अत्यधिक सब्सिडी दे रहीं हैं।

उपाय  

  • ऊर्जा सुरक्षा, बिजली कीमतों में स्थिरता, समृद्धि और पृथ्वी को रहने योग्य रखने का एकमात्र उपाय प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन को त्यागना और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित ऊर्जा संक्रमण में वृद्धि करना है।
  • जलवायु कार्रवाई, ऊर्जा सुरक्षा और वंचित वर्गों को स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा एक बेहतर विकल्प है।
  • जलवायु संकट से निपटने के लिये नवीकरणीय ऊर्जा के साथ-साथ वनों की कटाई और भूमि क्षरण में कमी लाने जैसे प्रकृति-आधारित समाधान भी आवश्यक हैं।
  • ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के अतिरिक्त तीव्र नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण प्राथमिकता होनी चाहिये।

निष्कर्ष 

  • तेल और गैस की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा के मूल्य में कमी आ रही है अत: अक्षय ऊर्जा क्रांति की ओर कदम बढ़ाना आवश्यक है।
  • पिछले एक दशक में सौर ऊर्जा और बैटरी की लागत में 85% की गिरावट आई है, जबकि पवन ऊर्जा की लागत में 55% की गिरावट आई है। 
  • साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश जीवाश्म ईंधन की तुलना में तीन गुना अधिक रोजगार पैदा करने में सक्षम है।
  • जीवाश्म ईंधन का त्याग न केवल जलवायु के अनुकूल है बल्कि इससे खाद्य एवं आर्थिक सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने के साथ-साथ ऊर्जा की कीमतें भी कम होंगी। 
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR