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डेलाइट सेविंग की आवश्यकता

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ।) 

संदर्भ

वर्तमान दिन की लंबी अवधि के कारण ऑस्ट्रेलिया डे लाइट सेविंग टाइम पर विचार कर रहा है। 

क्या है डेलाइट सेविंग टाइम (DST) 

  • गर्म मौसम आने पर घड़ियों को आगे बढ़ाने और ठंड मौसम में इसे पीछे करने की प्रथा को डेलाइट सेविंग टाइम या DST के रूप में जाना जाता है।
  • डेलाइट सेविंग टाइम का उद्देश्य हमें दिन के उजाले का बेहतर उपयोग करने में मदद करना है।
  • इसमें उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में अलग-अलग महीनों में घड़ी के समय का समायोजन किया जाता है।

डेलाइट सेविंग टाइम की शुरुआत 

  • न्यूजीलैंड के कीटविज्ञानी जॉर्ज हडसन ने 19वीं सदी के आखिर में मौसम के हिसाब से घड़ियों को बदलने का विचार सबसे पहले पेश किया था। 
  • उनका उद्देश्य ऊर्जा बचाना और गर्मियों में दिन के उजाले के घंटों को बढ़ाना था।
  • यह अवधारणा प्रथम विश्व युद्ध के बाद ही सामने आई जब यूरोपीय देशों ने गैसोलीन बचाने के तरीके तलाशने शुरू किए। 
  • वर्ष 1916 में, जर्मनी डेलाइट सेविंग टाइम का उपयोग करने वाला पहला देश बना।  
  • वर्ष 1918 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी डेलाइट सेविंग टाइम का अनुसरण किया।
    • वर्ष 1966 में पारित यूनिफ़ॉर्म टाइम एक्ट से पहले अमेरिकी राज्यों को डेलाइट सेविंग टाइम के उपयोग के चयन की अनुमति थी। 
  • आम धारणा  के विपरीत कई किसान डेलाइट सेविंग टाइम को नापसंद करते हैं क्योंकि यह उनकी दिनचर्या में बाधा डालती है।

दिन की अवधि में परिवर्तन के कारण

  • पृथ्वी सूर्य के चारों ओर लगभग वृत्ताकार कक्षा में घूमती है। पृथ्वी की धुरी सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा के सापेक्ष 23.44 डिग्री झुकी हुई है। 
    • यह अक्षीय झुकाव ही गर्मियों में लंबे और सर्दियों में छोटे दिन के लिए उत्तरदायी है। 

उत्तरी अयनांत

  • 21 जून को उत्तरी गोलार्ध सूर्य की तरफ झुका होने के कारण सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं। 
    • इसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में अधिक ऊष्मा जबकि ध्रुवों के पास वाले क्षेत्रों में कम ऊष्मा प्राप्त होती है। 
  • इस दौरान उत्तरी ध्रुव रेखा के समीप वाले भागों पर लगभग 6 महीने तक लगातार दिन रहता है।
  •  चूँकि, उत्तरी गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है इसलिए विषुवत् वृत्त के उत्तरी भाग में गर्मी का मौसम होता है। 
  • 21 जून को इन क्षेत्रों में सबसे लंबा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है। पृथ्वी की इस अवस्था को उत्तरी अयनांत कहते हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 2024 का सबसे छोटा दिन 21 जून था

दक्षिणी अयनांत

  • 22 दिसंबर को दक्षिण ध्रुव के सूर्य की ओर झुके होने के कारण मकर रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। 
  • इस दौरान दक्षिणी गोलार्ध में लंबे दिन तथा छोटी रातों वाली ग्रीष्म ऋतु होती है। पृथ्वी की इस अवस्था को दक्षिण अयनांत कहा जाता है। 
  • 22 सितंबर के बाद से दक्षिणी गोलार्ध में दिन की अवधि में वृद्धि होती है।
  • ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी गोलार्द्ध में अवस्थित होने के कारण इस दौरान ऑस्ट्रेलिया में सबसे लंबा दिन होगा। 

विषुव

  • 21 मार्च एवं 23 सितंबर को सूर्य की किरणें विषुवत् वृत्त पर सीधी पड़ती हैं। इसलिए पूरी पृथ्वी पर रात एवं दिन बराबर होते हैं। इसे विषुव कहा जाता है।
  • 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्ध में शरद् ऋतु होती है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में वसंत ऋतु होती है। 21 मार्च को दोनों गोलार्धों में स्थिति इसके विपरीत होती है। 

विभिन्न देशों द्वारा डे लाइट सेविंग की स्वीकार्यता

  • दुनिया भर के ज़्यादातर देश खास तौर पर भूमध्य रेखा के समीप स्थित देश DST का पालन नहीं करते। यह विशेषरूप से उत्तरी अमेरिका एवं यूरोप के ज़्यादातर देशों में प्रचलित है। 
    • संयुक्त राज्य अमेरिका में भी हवाई और एरिज़ोना डेलाइट सेविंग टाइम का पालन नहीं करते हैं। 
    • अमेरिकी समोआ, गुआम, उत्तरी मारियाना द्वीप, प्यूर्टो रिको और वर्जिन द्वीप भी स्थायी मानक समय का ही पालन करते हैं।
    • अमेरिका में घड़ियाँ आधिकारिक तौर पर रविवार, 10 मार्च, 2024 को सुबह 2 बजे आगे बढ़ा दी गई हैं।
    • यूनाइटेड किंगडम में हर साल मार्च के आखिरी रविवार को घड़ियाँ एक घंटे आगे बढ़ जाती हैं।
  • यह ब्रिटिश समर टाइम (BST) की शुरुआत का प्रतीक है।वर्ष  2024 में घड़ियाँ 31 मार्च को सुबह 1 बजे आगे बढ़ गई।
    • ऊर्जा की खपत को कम करने के प्रयास में, मिस्र ने मार्च में घोषणा की कि वह सात साल के अंतराल के बाद डेलाइट सेविंग टाइम को फिर से शुरू करेगा। 
  • जापान ने वर्ष 2020 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए इस प्रथा को लागू करने पर चर्चा की, लेकिन अंततः तकनीकी एवं सार्वजनिक समर्थन दोनों मुद्दों के कारण यह लागू नहीं हुआ।
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