प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: प्रमुख अधिनियम, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान, ऊर्जा) |
संदर्भ
विषय |
वर्ष 1948 का अधिनियम |
वर्ष 2024 का विधेयक |
खनिज तेलों की परिभाषा का विस्तार |
वर्ष 1948 के अधिनियम में खनिज तेलों की परिभाषा में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस को शामिल किया गया है। |
वर्ष 2024 के विधेयक में परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें शामिल किया गया है :
यह स्पष्ट करता है कि खनिज तेलों में कोयला, लिग्नाइट या हीलियम शामिल नहीं होंगे। |
पेट्रोलियम पट्टे की अवधारणा |
अधिनियम में खनन पट्टे का प्रावधान है। पट्टे में खनिज तेलों की खोज, पूर्वेक्षण, उत्पादन, व्यापार योग्य बनाना और निपटान जैसी विभिन्न गतिविधियाँ शामिल हैं। |
विधेयक खनन पट्टे को पेट्रोलियम पट्टे से बदल देता है, जिसमें समान प्रकार की गतिविधियाँ शामिल हैं। अधिनियम के तहत दिए गए मौजूदा खनन पट्टे वैध बने रहेंगे। |
केंद्र सरकार की नियम बनाने की शक्तियाँ |
अधिनियम केंद्र सरकार को कई मामलों पर नियम बनाने का अधिकार देता है। इनमें शामिल हैं:
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विधेयक में इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है और इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार निम्नलिखित पर भी नियम बना सकती है :
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नियमों के उल्लंघन पर आर्थिक जुर्माना |
अधिनियम में नियमों का उल्लंघन करने पर छह महीने तक की कैद, 1,000 रुपए का जुर्माना या दोनों के रूप में दंड का प्रावधान है। |
विधेयक में प्रावधान है कि उपरोक्त अपराध पर 25 लाख रुपए का जुर्माना होगा और विधेयक में अन्य अपराधों को भी शामिल किया गया है:
इन पर भी 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। उपरोक्त सभी अपराधों के मामले में लगातार उल्लंघन करने पर प्रतिदिन 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। |
न्यायाधिकरण व अपीलीय प्राधिकरण |
केंद्र सरकार दंड के निर्णय के लिए संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी को नियुक्त करेगी। इसके निर्णयों के खिलाफ अपील पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड अधिनियम, 2006 में निर्दिष्ट अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष की जाएगी।
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