चर्चा में क्यों?
हाल ही में, प्रधानमंत्री ने इंदौर में ठोस अपशिष्ट आधारित ‘गोबर-धन (बायो-सी.एन.जी.) संयंत्र’ का उद्घाटन किया।
स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 और गोबर-धन संयंत्र
- अक्तूबर 2021 में ‘कचरा मुक्त शहर’ बनाने के समग्र दृष्टिकोण के साथ स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 का शुभारंभ किया गया। इसे ‘वेस्ट टू वेल्थ’ (Waste to Wealth) और ‘वृत्तीय अर्थव्यस्था’ (Circular Economy) के सिद्धांतों के अंतर्गत लागू किया जा रहा है ताकि अपशिष्ट से संपदा तथा संसाधनों की अधिकतम पुन: प्राप्ति की जा सके।
- विदित है कि स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में अधिकांश भारतीय शहरों को जल समृद्ध (वाटर प्लस) बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
- इंदौर के बायो-सी.एन.जी. संयंत्र में इन दोनों सिद्धांतों का प्रयोग किया जा रहा है। इसमें प्रतिदिन 550 टन अलग किये हुए गीले जैविक कचरे को संसाधित करने की क्षमता है। साथ ही, इससे प्रतिदिन लगभग 17,000 किग्रा. सी.एन.जी. और प्रतिदिन 100 टन जैविक खाद का उत्पादन होने की उम्मीद है।
- आने वाले दो वर्षों में 75 बड़े नगर निकायों में गोबर-धन (बायो-सी.एन.जी.) संयंत्र स्थापित किए जाएँगे।
- वर्ष 2014 से देश की कचरा निपटान क्षमता में 4 गुना वृद्धि हुई है।
ज़ीरो लैंडफिल मॉडल
- ये संयंत्र ‘ज़ीरो लैंडफिल मॉडल’ पर आधारित है, अर्थात् इसमें कोई रद्दी (रिजेक्ट्स) पैदा नहीं होगी। साथ ही, इस परियोजना से कई पर्यावरण संबंधी लाभ होने की उम्मीद है, जैसे- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी होने के साथ-साथ उर्वरक के रूप में जैविक खाद और हरित ऊर्जा प्राप्त होगी।
- इस परियोजना को लागू करने के लिये इंदौर क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड नामक एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) बनाया गया है। इसे निजी-सार्वजनिक भागीदारी मॉडल के तहत इंदौर नगर निगम और इंडो-एनवायरो इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस लिमिटेड ने स्थापित किया है।
- इंदौर नगर निगम इस संयंत्र द्वारा उत्पादित सी.एन.जी. का न्यूनतम 50% खरीदेगा और उसका प्रयोग 400 सी.एन.जी. आधारित सिटी बस चलाने में करेगा। जैविक खाद का प्रयोग कृषि और बागवानी जैसे उद्देश्यों के लिये रासायनिक उर्वरकों की जगह किया जाएगा।