प्रारंभिक परीक्षा
(भारतीय राज्यतंत्र एवं शासन)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
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संदर्भ
लोकसभा में रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024 (The Railways (Amendment) Bill) पारित कर दिया है।
भारत में रेलवे बोर्ड का विकास
- भारत के रेलवे नेटवर्क का निर्माण स्वतंत्रता से पहले लोक निर्माण विभाग की एक शाखा के रूप में प्रारंभ हुआ था। इस नेटवर्क का विस्तार होने के साथ विभिन्न रेलवे इकाइयों के समुचित संचालन के लिए भारतीय रेलवे अधिनियम, 1890 लागू किया गया।
- बाद में रेलवे संगठन को लोक निर्माण विभाग से पृथक करके भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 को अधिनियमित किया गया, ताकि रेलवे बोर्ड को भारतीय रेलवे अधिनियम, 1890 के तहत कुछ शक्तियां या कार्य प्रदान किए जा सकें।
- यद्यपि 1989 में रेलवे अधिनियम लागू होने के बाद 1890 का अधिनियम निरस्त कर दिया गया किंतु रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 अस्तित्व में बना रहा तथा बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति इसी कानून के तहत होती रही।
रेलवे (संशोधन) विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- इस विधेयक का उद्देश्य भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 को निरस्त करना तथा इसके प्रावधानों को रेलवे अधिनियम, 1989 में एकीकृत करके कानून को सरल बनाना है। इस संशोधन से दो कानूनों का संदर्भ लेने की आवश्यकता कम हो जाएगी।
- यह विधेयक रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 2 में संशोधन करता है और रेलवे बोर्ड से संबंधित एक नया अध्याय 1ए जोड़ने का प्रावधान करता है। यह रेलवे बोर्ड को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित कुछ शक्तियाँ प्रदान करने का प्रावधान करता है।
- संशोधित विधेयक में जोड़े गए प्रावधान केंद्र सरकार को रेलवे बोर्ड की संरचना, सदस्यों की संख्या, उनकी सेवा शर्तें, उनकी योग्यताएँ और अनुभव आदि तय करने का अधिकार देते हैं।
- इसके अनुसार, केंद्र सरकार इस अधिनियम के तहत रेलवे बोर्ड को सभी या किसी रेलवे के संबंध में केंद्रीय सरकार की सभी या कोई भी शक्ति अथवा कार्य सौंप सकता है।
- साथ ही, 1905 के अधिनियम के तहत नियुक्त बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्य भी इस अधिनियम के तहत नियुक्त माने जाएंगे। रेलवे बोर्ड पहले से ही अस्तित्व में है और इस विधेयक में किसी नए बोर्ड या निकाय के गठन का प्रस्ताव नहीं है।
रेलवे (संशोधन) विधेयक के लाभ
- इस विधेयक में परिचालन दक्षता में सुधार और शक्तियों का विकेंद्रीकरण करने संबंधी प्रावधान शामिल किए गए हैं जिससे रेलवे जोन को अधिक स्वायत्तता मिलेगी।
- यह विधेयक से रेलवे बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के उद्देश्य को भी पूरा करता है जिसके परिणामस्वरूप रेलवे नेटवर्क का कुशल विकास हो सकेगा।
विधेयक से संबंधित आलोचनाएँ
- विशेषज्ञों के अनुसार, यह विधेयक रेलवे से संबंधित प्रमुख मुद्दों, जैसे- सुरक्षा, रिक्ति, क्षेत्रीय तथा मंडल स्तर पर सत्ता के विकेंद्रीकरण को संबोधित करने में विफल रहा है।
- कुछ सांसदों ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि और केंद्र में बोर्ड से संबंधित विभिन्न शक्तियों को शामिल करने से यह कानून रेलवे बोर्ड के स्वतंत्र कामकाज को प्रभावित करेगा।
- इसमें भारतीय रेलवे को परिचालन में देरी, दुर्घटना व सुरक्षा पहल, नौकरशाही की अकुशलता, धीमी तकनीकी प्रगति और पी.पी.ए. मॉडल एवं निवेश की जटिलता और ज़ोन को शक्तियों में छूट से संबंधित चुनौतियों का सामना करने को लेकर प्रश्नचिह्न है।
संबंधित सुझाव
- रेलवे बोर्ड को एक स्वतंत्र निकाय बनाया जाना चाहिए, जिसे निर्णय लेने का अधिकार हो तथा इसे सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए।
- रेलवे बोर्ड में अनुसूचित जातियों, जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्गों व महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्त्व प्रदान किया जाना चाहिए।
क्या आप जानते हैं?
वर्ष 1905 में रेलवे बोर्ड की स्थापना से पहले सर थॉमस रॉबर्टसन ने एक समिति गठित की थी, जिसके बाद बोर्ड की स्थापना की गयी।
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