New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

थियोसोफिकल सोसायटी (Theosophical Society)

प्रारंभिक परीक्षा थियोसोफिकल सोसायटी (Theosophical Society)
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-1 

चर्चा में क्यों

 1879 में हेलेना पेत्रोव्ना ब्लावात्स्की और हेनरी स्टील ओल्कोट ने मद्रास के अडयार में थियोसोफिकल सोसायटी का मुख्यालय बनाया।

Theosophical-society

प्रमुख बिंदु 

  • थियोसोफिकल समाज का उद्देश्य आध्यात्मिक विकास के माध्यम से अस्पष्टीकृत प्राकृतिक कानूनों और मानव शक्तियों की जांच करना था।
  • माना जाता है कि ब्लावात्स्की के पास ऐसी मानसिक शक्तियां(psychic powers) थीं जिनमें 'महात्माओं' के साथ सूक्ष्म स्तर पर पत्रों के माध्यम से संवाद करने की क्षमता थी जिन्होंने थियोसोफिकल समाज की स्थापना को प्रेरित किया।
  •  हालाँकि 1884 में इन शक्तियों की संदिग्ध प्रकृति के आरोपों ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया।

थियोसोफिकल सोसायटी

  • थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना न्यूयॉर्क (यूएसए) में 1875 में मैडम एच. पी. ब्लावात्स्की, एक रूसी महिला, और हेनरी स्टील ओलकोट द्वारा की गई थी।
  • 1893 में श्रीमती एनी बेसेंट भारत पहुंचीं और ओलकोट की मृत्यु के बाद सोसाइटी का नेतृत्व संभाला।
  • थियोसॉफी एक दर्शन है जो रहस्यवाद और अध्यात्मवाद को जोड़ता है।
  • थियोसोफी सार्वभौमिक भाईचारे और सामाजिक सुधार के मूल्यों को भी बढ़ावा देती है।
  • थियोसोफिकल सोसाइटी का मुख्यालय 1882 में भारत में मद्रास के पास अडयार में स्थापित किया गया था।
  • एनी बेसेंट ने भारत में इस आंदोलन को लोकप्रिय बनाया।
  • थियोसोफिकल सोसायटी ने हिंदू धार्मिक विचारों पर शोध किए और हिंदू शास्त्रों का अनुवाद  प्रकाशित करवाया ।
  • इस कारणवश भारत में बौद्धिक जागरूकता की प्रक्रिया में गतिशीलता उत्पन्न हुई।
  •  थियोसोफिकल सोसायटी ने हिंदू आध्यात्मिक सिद्धांतों की महानता को स्थापित किया।
  •  शिक्षित भारतीय युवाओं के दिमाग में राष्ट्रीय गौरव के प्रति आकर्षण उत्पन्न किया जिसने राष्ट्रवाद की आधुनिक अवधारणा को जन्म दिया।

थिओसोफिकल सोसाइटी’ का योगदान 

  • ‘थिओसोफिकल सोसाइटी’ के अनुसार चिंतन-मनन, प्रार्थना एवं श्रवण के माध्यम से ईश्वर और व्यक्ति के अंतःकरण के मध्य एक विशिष्ट सम्बन्ध की स्थापना की जा सकती है।
  • ‘थिओसोफिकल सोसाइटी’ ने पुनर्जन्म एवं कर्म जैसी हिन्दू मान्यताओं को स्वीकार किया और उपनिषद, सांख्य,योग एवं वेदांत दर्शनों से प्रेरणा ग्रहण की।
  • इसने प्रजाति,जाति,रंग एवं लालच जैसे भेदों से ऊपर उठकर विश्वबंधुत्व का आह्वाहन किया।
  • सोसाइटी प्रकृति के अव्याख्यायित नियमों और मानव के अन्दर छुपी हुई शक्ति की खोज करना चाहती थी।
  • इस सोसाइटी ने पाश्चात्य प्रबोधन के माध्यम से हिन्दू आध्यात्मिक ज्ञान की खोज करनी चाही। 
  • इस सोसाइटी ने हिन्दुओं के प्राचीन सिद्धांतों तथा दर्शनों का नवीनीकरण किया और उनसे सम्बंधित विश्वासों को मजबूती प्रदान की।
  • आर्य दर्शन व धर्मं का अध्ययन तथा प्रचार किया।
  • इस सोसाइटी ने उपनिषद परमसत्ता,ब्रह्माण्ड व जीवन के सत्य का उद्घाटन किया।
  • इसका दर्शन इतना सार्वभौम था कि धर्म के सभी रूपों तथा उपासना के सभी प्रकारों की प्रशंसा करता था ।
  • सोसाइटी ने आध्यात्मिक एवं दार्शनिक विमर्शों के अतिरिक्त अपनी अनुसन्धान तथा साहित्यिक गतिविधियों द्वारा हिन्दुओं के जागरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • इसने हिन्दू धर्म-ग्रंथों का प्रकाशन एवं अनुवाद भी किया।
  • सोसाइटी ने सुधारों को प्रेरित किया और उन पर कार्य करने के लिए शिक्षा-नीतियाँ भी तैयार की।

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना न्यूयॉर्क (यूएसए) में 1875 में मैडम एच. पी. ब्लावात्स्की और हेनरी स्टील ओलकोट द्वारा की गई थी।

  1. ‘थिओसोफिकल सोसाइटी’ के अनुसार चिंतन-मनन, प्रार्थना एवं श्रवण के माध्यम से ईश्वर और व्यक्ति के अंतःकरण के मध्य एक विशिष्ट सम्बन्ध की स्थापना की जा सकती है।
  2. थियोसोफिकल सोसायटी ने हिंदू आध्यात्मिक सिद्धांतों की महानता को स्थापित किया।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

 (a) केवल एक  

(b) केवल दो 

(c) सभी तीन  

(d) कोई भी नहीं 

उत्तर: (c)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : थिओसोफिकल सोसाइटी’ के प्रमुख योगदान  की विवेचना कीजिए

स्रोत: the hindu

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR