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राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान में सुधार की आवश्यकता

(प्रारंभिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन : महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय संस्थान)
(मुख्य परीक्षा,सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास एवं अनुप्रयोग और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

  • वर्ष 2023 में संसद के दोनों सदनों ने अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान विधेयक, 2023 (Anusandhan National Research Foundation  Bill) पारित किया। 
  • यह भारत में, विशेष रूप से भारत के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में अनुसंधान को बढ़ावा देने, विकसित करने एवं सुविधा प्रदान करने की पहल की ऐतिहासिक शुरुआत को प्रदर्शित करता है।

अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान (Anusandhan National Research Foundation  Bill, 2023) विधेयक की मुख्य विशेषताएँ 

  • यह विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) अधिनियम, 2008 को निरस्त करने के साथ-साथ इसके तहत गठित विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड को भंग करता है। 
    • एस.ई.आर.बी. की स्थापना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के एक सांविधिक निकाय के रूप में की गई थी।
  • यह विधेयक विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी एवं गणित (STEM), पर्यावरण व पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य और कृषि सहित प्राकृतिक विज्ञान के क्षेत्रों में अनुसंधान, नवाचार व उद्यमिता के साथ-साथ मानविकी तथा सामाजिक विज्ञान के वैज्ञानिक एवं तकनीकी इंटरफेस के लिए उच्च स्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करेगा।
  • इस विधेयक में देश में अनुसंधान एवं विकास पर व्यय में वृद्धि का प्रस्ताव है।
    • इसमें पांच वर्षों के लिए 50,000 करोड़ रुपए व्यय करने का प्रस्ताव है, जिसमें से लगभग 36,000 करोड़ रुपए गैर-सरकारी स्रोतों, उद्योग व दानकर्ताओं, घरेलू एवं बाह्य स्रोतों से आएगा। 
  • यह विधेयक राज्य विश्वविद्यालयों व संस्थानों के लिए अलग से धनराशि निर्धारित करेगा।
  • यह अधिनियम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की सिफारिशों के अनुसार, देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को उच्च स्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए एक शीर्ष निकाय ‘राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान’ (National Research Foundation : NRF) की स्थापना करेगा। इसकी कुल अनुमानित लागत पांच वर्षों (2023-28) के दौरान 50,000 करोड़ रुपए होगी।

राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान (National Research Foundation : NRF)

  • क्या है : भारत सरकार द्वारा स्थापित एक प्रमुख संस्थान
  • स्थापना : वर्ष 2021 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (NEP, 2020) के तहत
  • उद्देश्य : 
    • शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान को बढ़ावा देना  
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित (STEM) के साथ-साथ सामाजिक विज्ञान व मानविकी में भी अनुसंधान को प्रोत्साहित करना 
    • राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक वैश्विक अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करना 
  • कार्य :
    • विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देना 
    • विभिन्न शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच संसाधनों व जानकारी का समन्वय करना 
    • उत्कृष्ट अनुसंधान परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता व अनुदान प्रदान करना 
    • सरकारी व निजी क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश को बढ़ावा देना 
    • विश्वविद्यालयों, कॉलेजों व अनुसंधान संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास और संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास को सुविधाजनक बनाना तथा वित्तपोषित करना
    • अनुसंधान प्रस्तावों के लिए अनुदान प्रदान करना
  • सरंचना : 
    • एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत 15 सदस्यीय गवर्निंग बोर्ड और 16 सदस्यीय कार्यकारी परिषद शामिल होंगे। 
    • एक शासी बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो उच्च स्तरीय शासी रणनीतिक दिशा प्रदान करेगा और फाउंडेशन के उद्देश्यों के कार्यान्वयन का निष्पादन व निगरानी करेगा। शासी बोर्ड में निम्नलिखित शामिल है : 
      • भारत के प्रधान मंत्री : पदेन अध्यक्ष
      • केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री : पदेन उपाध्यक्ष
      • केंद्रीय शिक्षा मंत्री  : पदेन उपाध्यक्ष
    • इसमें 10 प्रमुख निदेशालय शामिल होंगे, जो गणित सहित प्राकृतिक विज्ञान; इंजीनियरिंग; पर्यावरण एवं पृथ्वी विज्ञान; सामाजिक विज्ञान; कला एवं मानविकी; भारतीय भाषाएँ एवं ज्ञान प्रणाली; स्वास्थ्य; कृषि; नवाचार तथा उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करेंगे। 
      • एन.आर.एफ. बोर्ड इन निदेशालयों के कार्यों की देखरेख करेगा, जिनमें से प्रत्येक में एक नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सचिवालय होगा।
    • शासी बोर्ड का अध्यक्ष इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए एक कार्यकारी परिषद का गठन करेगा।
    • कार्यकारी परिषद में शासी बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा नामित निम्नलिखित शामिल होंगे, अर्थात्:-
      • पदेन अध्यक्ष : भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार 
      • कार्यकारी परिषद् में सदस्य :
      • सभी विज्ञान विभागों के सचिव (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग)
      • जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR), पृथ्वी विज्ञान, कृषि, स्वास्थ्य अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा एवं रक्षा अनुसंधान व विकास, भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक 
      • टाटा मौलिक अनुसंधान संस्थान के निदेशक
      • भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष

राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान संबंधी समस्याएँ 

  • विश्वविद्यालय एवं उद्योग प्रतिनिधित्व का अभाव : NRF में 15 सदस्यीय गवर्निंग बोर्ड और 16 सदस्यीय कार्यकारी परिषद की घोषणा की गयी है। इसमें उन संगठनों का प्रतिनिधित्व नहीं है जिनकी सहायता एवं सुविधा की परिकल्पना ANRF विधेयक में की गयी है।
    • ए.एन.आर.एफ. का लक्ष्य विश्वविद्यालयों के अनुसंधान बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। भारत में 95% से अधिक छात्र राज्य विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में जाते हैं जबकि बोर्ड व कार्यकारी परिषद में केंद्रीय या राज्य विश्वविद्यालयों या कॉलेजों का कोई सदस्य नहीं है। 
    • उद्योग जगत के पर्याप्त प्रतिनिधित्व और विविधता की कमी मौजूदा बोर्ड व परिषद की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, खासकर तब जब ए.एन.आर.एफ. अपने वित्तपोषण का 70% से अधिक गैर-सरकारी स्रोतों व उद्योग से जुटाने की योजना बना रहा है। 
  • अनुसंधान एवं विकास में अपर्याप्त वित्तपोषण : शोध प्रतिष्ठानों को पर्याप्त वित्तीय समर्थन नहीं मिल पाता है, जिससे उनकी अनुसंधान क्षमताएं सीमित हो जाती हैं। अनुसंधान के लिए अत्याधुनिक उपकरणों व सुविधाओं की आवश्यकता होती है, जिसके लिए पर्याप्त धनराशि की जरूरत होती है।
    • भारत का अनुसंधान एवं विकास व्यय 2008-2009 में 0.8% और 2017-2018 में 0.7% से घटकर जी.डी.पी. का 0.64% रह गया है।
  • प्रशासनिक बाधाएं : प्रशासनिक ढाँचे में जटिलता और नौकरशाही समस्याओं के कारण शोधकर्ताओं को अपने काम में बाधाएं आती हैं। इससे उनकी उत्पादकता व शोध की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • अपर्याप्त सहयोग : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की कमी से अनुसंधान एवं विकास में बाधा आती है। शोधकर्ताओं के बीच संवाद और विचारों का आदान-प्रदान सीमित हो जाता है।
  • सार्वजनिक धन पर निर्भरता : वित्तीय वर्ष 2020-2021 में निजी क्षेत्र के उद्योग ने अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय (GERD) में 36.4% का योगदान किया, जबकि केंद्र सरकार का हिस्सा 43.7% था। राज्य सरकारें (6.7%), उच्च शिक्षा (8.8%) एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग (4.4%) अन्य प्रमुख योगदानकर्ता थे। 
    • आर्थिक रूप से विकसित देशों में अनुसंधान एवं विकास निवेश का एक बड़ा हिस्सा औसतन 70% निजी क्षेत्र से आता है।

संबंधित सुझाव

  • एन.आर.एफ. में पर्याप्त स्टाफ होना और एक मजबूत अनुदान प्रबंधन प्रणाली लागू करना 
  • समीक्षकों के लिए प्रोत्साहन के साथ एक आंतरिक सहकर्मी-समीक्षा मानक प्रणाली का निर्माण करना 
  • आवेदन एवं निधि वितरण के बीच त्वरित टर्न-अराउंड समय (छह महीने से कम) के साथ अनुसंधान अनुदान और छात्र फैलोशिप का समय पर वितरण सुनिश्चित करना
  • वित्तपोषण निकाय एवं अनुदान प्राप्त करने वाले संस्थानों में नौकरशाही बाधाओं से मुक्त प्रणाली का निर्माण करना 
  • सरकार के कड़े सामान्य वित्तीय नियमों (General Financial Rules : GFR) का पालन किए बिना धन खर्च करने की लचीलापन प्रदान करना
  • सरकारी ई-मार्केटप्लेस (Government e-marketplace : GeM) पोर्टल के बिना खरीद की अनुमति देना 
  • एन.आर.एफ. को किसी भी अन्य मौजूदा सरकारी विज्ञान विभाग से अलग तरीके से काम करने पर बल देना 
  • विश्वविद्यालय प्रणाली से अभ्यासरत प्राकृतिक एवं सामाजिक वैज्ञानिकों का अधिक विविध प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना 
  • समिति में अधिक महिलाओं एवं युवा उद्यमी को शामिल करना 

आगे की राह 

  • एन.आर.एफ. के लिए किसी अन्य सरकारी विभाग की तरह बनने से बचने और विश्वविद्यालयों में अनुसंधान एवं शिक्षण को जोड़ने के लिए पूर्ण बदलाव की आवश्यकता है। 
  • एन.आर.एफ. के भावी मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पास उद्योग एवं शिक्षा दोनों पृष्ठभूमि के होने की आवश्यकता है।
  • NRF को कई समितियों से उत्पन्न होने वाले भ्रम से बचना चाहिए। इसलिए, जमीनी स्तर पर रणनीति बनाने और उसे लागू करने के लिए एक ही समिति बनाना महत्वपूर्ण है। 
  • अनुसंधान एवं विकास बजट को सकल घरेलू उत्पाद के 4% तक बढ़ाने के अलावा, अनुसंधान को बढ़ावा देने और भारतीय संगठनों के नवाचारों को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए वर्तमान वित्तपोषण प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव की आवश्यकता है।
  • वर्ष 2047 तक भारत को विज्ञान शक्ति बनने के लिए विज्ञान परियोजनाओं का मूल्यांकन करने और आवंटन के बाद उपयोग की निगरानी करने के लिए नौकरशाही क्षमता की आवश्यकता है। 
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