प्रारंभिक परीक्षा- नोबेल पुरस्कार |
संदर्भ-
- अक्टूबर महीने की शुरुआत से ही नोबेल समितियाँ स्टॉकहोम और ओस्लो में वार्षिक पुरस्कारों के विजेताओं की घोषणा करना शुरू करती हैं।

मुख्य बिंदु-
- नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) पूरी दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में गिने जाते हैं।
- स्वीडन के राजा हर साल यह पुरस्कार स्टॉकहोम में आयोजित भव्य समारोह में देते हैं।
- ये पुरस्कार 6 क्षेत्रों में हर साल दिए जाते हैं।
- भौतिकी विज्ञान (Physics) – रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ़ साइंसेज द्वारा
- रसायन विज्ञान (Chemistry) – रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ़ साइंसेज द्वारा
- चिकित्सा विज्ञान (Physiology and Medicine) – कारोलिंसका इंस्टिट्यूट द्वारा
- साहित्य (Literature)– स्वीडिश अकादमी द्वारा
- शांति (Peace)– नार्वेजियन नोबेल कमिटी ओस्लो द्वारा
- आर्थिक विज्ञान (Economic Science) – रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ़ साइंसेज द्वारा
- दूसरे विश्व युद्ध के समय दो वर्ष तक यह पुरस्कार नहीं दिए गए थे।
अल्फ्रेड नोबेल के बारे में (About Alfred Nobel)-
- डायनामाइट के आविष्कारक के नाम से मशहूर प्रसिद्द वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 1833 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में हुआ था।
- अल्फ्रेड नोबेल जब 18 साल के थे तो उन्हें रसायन विज्ञान की पढ़ाई के लिए अमेरिका भेजा गया था।
- उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में कुल 355 आविष्कार (innovations) किए थे।
- हालाँकि उनकी सबसे क्रांतिकारी खोज 1867 में डायनामाइट के रूप में थी। उन्होंने डायनामाइट का आविष्कार करके बहुत दौलत और शोहरत कमाई थी।
- अपनी पढाई पूरी करने के बाद वह अपने पिता के स्वीडन स्थित कारखाने में विस्फोटकों और खासकर “नाइट्रोग्लिसरीन” के अध्ययन में लग गए।
- 3 सितंबर, 1864 को भयानक विस्फोट के कारण पिता का कारखाना नष्ट हो गया और इस घटना में अल्फ्रेड के छोटे भाई की भी मौत हो गयी थी।
नोबेल पुरस्कार शुरू होने के पीछे की घटना-
- दरअसल नोबेल पुरस्कार को शुरू करने के पीछे एक अखबार में गलती से छपी एक खबर थी।
- सन 1888 में एक अखबार ने गलती से छाप दिया "मौत के सौदागर की मृत्यु" अर्थात अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हो गयी है।
- अख़बार ने अल्फ्रेड को डाइनामाइट का आविष्कार करने के कारण हजारों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार भी ठहराया था। अपनी मौत की यह झूठी खबर खुद अल्फ्रेड ने भी पढ़ी।
- लेकिन इस अख़बार में उनके लिए इस्तेमाल किये गए शब्द "मौत के सौदागर" ने अल्फ्रेड नोबेल को बुरी तरह से झकझोर दिया था।
- सहसा उन्होंने सोचा कि उनकी मौत की यह खबर कभी ना कभी तो सच अवश्य होगी; तो क्या दुनिया उन्हें इसी नाम से जानेगी ? उन्होंने निश्चय किया कि वह अपने व्यक्तित्व पर लगने वाले इस दाग को मिटा देंगे।

- अल्फ्रेड नोबेल ने 27 नवंबर 1895 को अपनी वसीयत लिखी जिसमें उन्होंने अपनी संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट बनाने के लिए अलग कर दिया।
- सभी करों को काटने के बाद अल्फ्रेड नोबेल की कुल संपत्ति का 94% हिस्सा अर्थात 31,225,000 स्वीडिश क्रोनोर को पांच नोबेल पुरस्कार की स्थापना के लिए आवंटित कर दिया गया था।
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अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा थी कि इस रकम पर मिलने वाले ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानवजाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया जाए।
नोबेल पुरस्कार की स्थापना-
- वसीयत के मुताबिक जून 1900 में नोबेल फाउंडेशन की स्थापना की गई और पहली बार 1901 में नोबेल पुरस्कार दिए गए।
- सबसे पहले चिकित्सा फिर भौतिकी, रसायन विज्ञान, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र में पुरस्कारों की घोषणा की जाती है।
- पुरस्कार विजेता को एक मेडल, एक डिप्लोमा और मोनेटरी अवार्ड दिया जाता है।
- पहला नोबेल पुरस्कार उनकी मृत्यु के पांच साल बाद 1901 में प्रदान किया गया था।
- 1968 में, स्वीडन के केंद्रीय बैंक द्वारा अर्थशास्त्र के लिए छठा पुरस्कार बनाया गया था।
- इस पुरस्कार के लिए फंड बैंक देता है लेकिन बाकी चीजें नोबेल फाउंडेशन की ओर से बनाई गई कमेटी देखती है।
- हालाँकि नोबेल शुद्धतावादी इस बात पर जोर देते हैं कि अर्थशास्त्र पुरस्कार तकनीकी रूप से नोबेल पुरस्कार नहीं है।
- अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में घोषणा की गई कि नोबेल शांति पुरस्कार नॉर्वेजियन स्टॉर्टिंग (संसद) द्वारा चयनित पांच व्यक्तियों की एक समिति द्वारा प्रदान किया जाएगा।
- स्टॉर्टिंग ने अप्रैल 1897 में कार्यभार स्वीकार कर लिया और उसी वर्ष अगस्त में नॉर्वेजियन स्टॉर्टिंग की नोबेल समिति की स्थापना की गई।
- हालाँकि, स्वीडन में, नोबेल की वसीयत ने नोबेल परिवार के कुछ हिस्सों के साथ एक लंबी कानूनी लड़ाई शुरू कर दी।
- जब तक यह संघर्ष हल नहीं हो गया था और 1900 में स्वीडन में नोबेल फाउंडेशन की स्थापना के माध्यम से वित्तीय मामलों को संतोषजनक ढंग से व्यवस्थित नहीं किया गया था, तब तक नॉर्वेजियन नोबेल समिति और अन्य पुरस्कार देने वाले निकाय अपना काम शुरू नहीं कर सके थे।
शांति का नोबेल पुरस्कार-
- नोबेल शांति पुरस्कार पूरी तरह से नॉर्वेजियन मामला है, जिसमें विजेताओं का चयन और घोषणा नॉर्वेजियन समिति द्वारा की जाती है।
- शांति पुरस्कार का अपना स्वयं का समारोह 10 दिसंबर को नोबेल की मृत्यु की सालगिरह के दिन नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में होता है , जबकि अन्य पुरस्कार स्टॉकहोम में प्रदान किए जाते हैं।
- यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं कि क्यों नोबेल फाउंडेशन ने निर्णय लिया कि शांति पुरस्कार नॉर्वे में और अन्य पुरस्कार स्वीडन में दिए जाने चाहिए। नोबेल इतिहासकारों का अनुमान है कि स्वीडन का सैन्यवाद का इतिहास एक कारक हो सकता है।
- नोबेल के जीवनकाल के दौरान स्वीडन और नॉर्वे एक संघ में थे, जिसमें 1814 में स्वीडन के उनके देश पर आक्रमण के बाद नॉर्वेजियन अनिच्छा से शामिल हो गए थे।
- यह संभव है कि नोबेल ने सोचा था कि नॉर्वे "राष्ट्रों के बीच फैलोशिप" को प्रोत्साहित करने वाले पुरस्कार के लिए अधिक उपयुक्त स्थान होगा।
महात्मा गांधी को क्यों नहीं मिला शांति का नोबेल पुरस्कार-

- प्रत्येक वर्ष नोबेल पुरस्कारों की घोषणा के पहले या बाद में भारत में यह बहस आम होती है कि महात्मा गांधी को यह पुरस्कार क्यों नहीं दिया गया जो आधुनिक युग के शांति के सबसे बड़े दूत माने जाते हैं।
- जब मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला जैसे लोगों को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया, जिन्होंने अहिंसक संघर्ष का मार्ग गांधी से सीखा था।
गांधी 5 बार नामांकित हुए-
- महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 5 बार नामांकित किया गया था।
- इन्हें लगातार 1937, 1938 और 1939 में नामांकित किया गया था. इसके बाद 1947 में भी उनका नामांकन हुआ।
- फिर आख़िरी बार इन्हें 1948 में नामांकित किया गया लेकिन महज़ चार दिनों के बाद उनकी हत्या कर दी गई।
- लेकिन तब समस्या यह थी कि उस समय तक मरणोपरांत किसी को नोबेल पुरस्कार नहीं दिया जाता था।
- हालांकि इस समय इस तरह की क़ानूनी गुंजाइश थी कि विशेष हालात में यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।
- लेकिन कमेटी के समक्ष तब यह समस्या थी कि पुरस्कार की रक़म किसे अदा की जाए क्योंकि गांधी का कोई संगठन या ट्रस्ट नहीं था। उनकी कोई जायदाद भी नहीं थी और न ही इस संबंध में उन्होंने कोई वसीयत ही छोड़ी थी।
नोबेल कमेटी ने गंवा दिया मौका-
- कमेटी में अपनी प्रतिक्रिया में जो कुछ लिखा है उससे यह आभास होता है कि अगर गांधी की अचानक मौत नहीं होती तो उस वर्ष का नोबेल पुरस्कार उन्हें ही मिलता।
- कमेटी ने कहा था कि किसी भी जीवित उम्मीदवार को वह इस लायक़ नहीं समझती इसलिए इस साल का नोबेल पुरस्कार किसी को भी नहीं दिया जाएगा।
- आज यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि क्या गांधी जैसी महान शख़्सियत नोबेल पुरस्कार की मोहताज थी।
- इस सवाल का सिर्फ़ एक ही जवाब है कि गांधी की इज़्ज़त और महानता नोबेल पुरस्कार से भी बड़ी थी।
- अगर नोबेल कमेटी उन्हें यह पुरस्कार देती तो इससे उसी की शान बढ़ जाती। लेकिन नोबेल कमेटी ने यह अवसर गंवा दिया।
महत्वपूर्ण तथ्य-
- पहली बार 1901 में जब यह पुरस्कार दिए गए तब राशि 150782 स्वीडिश क्रोन थी।
- समय के साथ यह रकम बढ़ती गई और इस समय यह एक करोड़ स्वीडिश क्रोन है।
- साल 1901 से 2022 तक कुल 989 लोग एवं संस्थाओं को नोबेल पुरस्कार मिले हैं।
- एक श्रेणी में पुरस्कार अधिकतम तीन लोगों को दिया जा सकता है।
- यह पुरस्कार जीवित व्यक्तियों को ही देने का प्रावधान है, हालांकि घोषित होने के बाद अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो भी पुरस्कार दिया जाएगा।
- इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेडक्रॉस को तीन बार शांति का नोबल पुरस्कार क्रमशः 1917, 1944 एवं 1963 में दिया गया।
- सबसे कम उम्र में नोबेल पाने वालों में पाकिस्तान की मलाला यूसुफ जई हैं, जिन्हें भारत के कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से यह पुरस्कार मिला था।
- दो बार नोबेल जीतने वालों में मैडम क्यूरी, लीनस पौलिङ्ग, जान बार्डिन, फ्रेडरिक संगेर के नाम शामिल हैं।
- दो विजेताओं ने अपने नोबेल पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया. फ्रांसीसी लेखक जीन-पॉल सार्त्र, जिन्होंने 1964 में साहित्य पुरस्कार ठुकरा दिया था और वियतनामी राजनेता ले डक थो, जिन्होंने शांति पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था, उन्हें 1973 में इस पुरस्कार को अमेरिकी राजनयिक हेनरी किसिंजर के साथ साझा करना था।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- भारतीयों को मिले नोबेल पुरस्कारों के बारे में निम्नलिखित युग्मों पर विचार करें।
विजेता क्षेत्र
- हरगोविंद खुराना भौतिकी
- अभिजीत बनर्जी रसायन
- कैलाश सत्यार्थी शांति
उपर्युक्त में से कितना/कितने युग्म सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीनों
- कोई नहीं
उत्तर- (a)
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