New
IAS Foundation Course (Pre. + Mains) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM | Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM | Call: 9555124124

प्रवाल भित्तियों पर खतरा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ’ (IUCN) ने पिछले 35 वर्षों के आँकड़ों का विश्लेषण कर अनुमान लगाया कि आगामी 50 वर्षों के दौरान समुद्री सतह के तापमान की स्थिति क्या रहेगी और इस आधार पर प्रवाल भित्तियों की दशा क्या रहने वाली है। इस अध्ययन में अफ्रीका के पूर्वी तट और पूर्व में सेशेल्स और मॉरीशस द्वीपों को शामिल किया गया। यहाँ दुनिया की लगभग 5% प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं।

प्रमुख बिंदु

  • पश्चिमी हिंद महासागर में द्वीपीय राष्ट्रों की प्रवाल भित्तियों के समक्ष ‘उच्च खतरा’ (HighThreat) है और महासागरीय तापन और अत्यधिक मत्स्यन के कारण आगामी पाँच दशकों में यहाँ की प्रवाल भित्तियाँ नष्ट हो जाएँगी।
  • पूर्वी व दक्षिणी मेडागास्कर, कोमोरोस और मस्कारेने द्वीप में ये ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ (Critically Endangered) है, जबकि पश्चिमी व उत्तरी मेडागास्कर तथा सेशेल्स के बाहरी क्षेत्रों में ये ‘लुप्तप्राय’ (Endangered) हैं।
  • उत्तरी सेशेल्स, दक्षिण अफ्रीका से केन्या तक की मुख्य भूमि तथा पूर्वी अफ्रीकी तट पर प्रवाल भित्तियाँ ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) हैं।
  • ‘आई.यू.सी.एन.’ (The International Union for Conservation of Nature) सरकारों व नागरिकों का संघ है। यह पादप व जीव प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण की स्थिति दर्शाता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR