त्रिशूर पूरम केरल के त्रिशूर में आयोजित एक वार्षिक हिंदू मंदिर उत्सव है, जिसे वर्ष 2024 में 20 अप्रैल को मनाया गया।
यह दुनिया भर में मनाए जाने वाले सबसे बड़े मंदिर त्योहारों में से एक है।
आयोजन:
यह त्रिशूर के वडक्कुनाथन मंदिर में प्रत्येक वर्ष पूरम दिवस, जब मलयालम कैलेंडर के मेडोम (Medom) महीने (अप्रैल मई) में चंद्रमा पूरम तारे के साथ उगता है, पर आयोजित किया जाता है।
त्रिशूर पूरम सात दिवसीय त्योहार है और इसका छठा दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि उसी दिन ‘त्रिशूर पूरम’ होता है।
शुरुआत:
कोच्चि के शासक (1790 से 1805 तक) शक्तन थंपुरन ने वर्ष 1796 में त्रिशूर पूरम की शुरुआत की थी।
उद्देश्य:
इस समारोह में त्रिशूर और उसके आसपास के दस मंदिर वडक्कुनाथन मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने के लिए एक साथ आते हैं।
आकर्षण:
इस दिन त्रिशूर के थेक्किंकडु मैदान में 50 सजे-धजे हाथी पारंपरिक संगीत के साथ मार्च करते हैं। इस मैदान के मध्य में ही प्रसिद्ध वडक्कुनाथन मंदिर है।
वेदिककेट्टू में आतिशबाजी का प्रदर्शन इस त्योहार का मुख्य आकर्षण है।
महत्व:
यह भारत के सभी पूरमों में सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध है।
यह त्योहार सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है क्योंकि यह केरल के सभी धार्मिक और सांस्कृतिक वर्गों को शामिल करता है।