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थ्वाइट्स ग्लेशियर ('डूम्सडे ग्लेशियर')

प्रारंभिक परीक्षा: थ्वाइट्स ग्लेशियर
मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3- संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन

सुर्खियों में क्यों 

  • हाल ही में हुए एक नए शोध के अनुसार, अंटार्कटिका में थवाइट्स ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है ।
  • इसे अक्सर 'डूम्सडे ग्लेशियर' के रूप में भी जाना जाता है 
  • शोधकर्ताओं ने इसके नीचे एक पनडुब्बी रोबोट तैनात किया है , जिससे यह  पता लगाया जा सके कि अंटार्कटिक बर्फ की चादर कैसे पिघल रही है। 

थ्वाइट्स ग्लेशियर के बारे मे

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  • थ्वाइट्स ग्लेशियर एक असामान्य रूप से चौड़ा और विशाल अंटार्कटिक ग्लेशियर है जो पाइन द्वीप की खाड़ी में बहता है।  
  • यह अमुंडसेन सागर का हिस्सा है।
  • वर्तमान में, थ्वाइट्स प्रति दशक 1.5 इंच की औसत समुद्री जल स्तर की वृद्धि में योगदान करते हैं। 

प्रभाव 

  • थवाइट्स ग्लेशियर सम्पूर्ण रूप से पिघलने के बाद आधे मीटर से अधिक के समुद्र के जल स्तर में वृद्धि हो सकती है । 
  • यह पास के ग्लेशियरों को और अधिक अस्थिर कर सकता है, जिससे समुद्र जल स्तर में वृद्धि हो सकती है।
  • इसे 'डूम्सडे ग्लेशियर' कहा जाता है, क्योंकि यह सबसे अस्थिर (मोटे तौर पर फ्लोरिडा (अमेरिका) के आकार का) में से एक है और इसके सम्पूर्ण रूप से पिघलने से समुद्र के जल स्तर में विनाशकारी परिवर्तन हो सकते हैं।
    • जैसे ; द्वीपीय देश डूब सकते हैं और साथ ही व्यापक जनधन की हानि हो सकती है।  

ग्लेशियरों के पिघलने का प्रभाव

  • बाढ़ की बारंबारता में वृद्धि, जिसके परिणामस्वरूप नदियों, झीलों और समुद्रों जैसे पानी के अन्य स्रोतों के जलस्तर में अचानक वृद्धि हो जाती है।
  • ग्लेशियरों के पिघलने से जैव विविधता को नुकसान पहुँचता है 
    • जैसे ; दिन - प्रतिदिन जीव-जंतुओं के आवासों का क्षरण हो रहा है।
  • पानी का बढ़ता तापमान और जलस्तर जलीय जंतुओं एवं जलीय पादपों को प्रभावित करता है, जो बदले में उन पक्षियों को प्रभावित करते हैं जो उन पर आश्रित होते हैं।
  • इसका प्रभाव प्रवाल भित्तियों (Coral Reefs) पर भी पड़ता है, जिन्हें प्रकाश संश्लेषण के लिये सूर्य की रोशनी की आवश्यकता होती है, लेकिन जब जलस्तर में वृद्धि होती है तो सूर्य का प्रकाश उन तक पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुँच पाता।
  • इससे वे जलीय जंतु भी प्रभावित होते हैं जो अपने भोजन के लिये प्रवाल भित्तियों पर निर्भर होते हैं।
  • ग्लेशियरों के पिघलने से ताज़े पानी की मात्रा में कमी आ सकती है, जो बढ़ती जनसंख्या की दृष्टि से बेहद चिंताजनक है।

ग्लेशियरों का महत्त्व

  • ग्लेशियरों की तलछट फसलों के लिये उपजाऊ मृदा प्रदान करती है।
  • ग्लेशियर मीठे पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। बहुत सी नदियाँ पानी के लिये ग्लेशियरों की बर्फ पर निर्भर हैं।
  • विश्व की अधिकांश झीलों के बेसिन का निर्माण ग्लेशियरों की वज़ह से ही होता है।
  • पृथ्वी और महासागरों के लिये बर्फ एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है। यह अतिरिक्त ऊष्मा को वापस अंतरिक्ष में भेजकर पृथ्वी को ठंडा रखती है।
  • ग्लेशियर कई सौ से लेकर कई हज़ार साल पुराने हो सकते हैं, जिससे इस बात का वैज्ञानिक रिकॉर्ड मिल जाता है कि समय के साथ जलवायु में किस प्रकार परिवर्तन हुए।
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