- इस योजना के तहत उत्तराखंड से 4 बाघों को राजस्थान स्थानांतरित किया जाएगा
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अनुसार, राजस्थान भेजे जाने वाले बाघों को संरक्षित वन क्षेत्र से नहीं बल्कि बफर जोन से पकड़ा जाएगा।
- हाल ही में उत्तराखंड में 4 बाघों को कॉर्बेट बाघ अभयारण्य से राजाजी बाघ अभयारण्य स्थानांतरित किया गया था
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण(NTCA)
- यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है।
- इसका गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 L (1) के तहत वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों पर किया गया था
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व
- यह भारत का पहला राष्ट्रीय पार्क है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1936 की गई
- पहले इसका नाम हैली नेशनल पार्क था।
- यह उत्तराखंड के नैनीताल, पौड़ी और अल्मोड़ा जिले में फैला हुआ है।
- इस अभयारण्य से वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी।
- इसमें बहने वाली मुख्य नदियां:- रामगंगा, सोनानदी, मंडल और पलायन हैं।
राजाजी टाइगर रिज़र्व
- यह हरिद्वार (उत्तराखंड) में शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में स्थित है।
- यह राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1983 में उत्तराखंड में तीन अभयारण्यों राजाजी, मोतीचूर और चीला को मिलाकर की गई।
- इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया है।
- इसे वर्ष 2015 में देश का 48वाँ बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
भारत में बाघ संरक्षण
- भारत में भारतीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा वर्ष 1972 में शेर के स्थान पर बाघ को राष्ट्रीय पशु के रूप में स्वीकार किया गया।
- वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी।
- केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया के तहत बाघों की स्मार्ट निगरानी के लिये एक कार्यक्रम ‘मोनीटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर्स इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस’ (MSTrIPES) शुरू किया गया।
- बाघों के संरक्षण को प्रोत्साहन देने हेतु प्रति वर्ष 29 जुलाई को ‘विश्व बाघ दिवस’ मनाया जाता है।
बाघ की संरक्षण स्थिति
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 - अनुसूची I
- प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) रेड लिस्ट - लुप्तप्राय
- वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) - परिशिष्ट I