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टीमेसिप्टेरिस ओब्लांसेओलेटा (TMESIPTERIS OBLANCEOLATA):-दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात जीनोम

  • टीमेसिप्टेरिस ओब्लांसेओलेटा (Tmesipteris oblanceolata) नामक एक फर्न (फर्न पौधे की एक प्रजाति) का जीनोम अब तक खोजे गए सभी जीवों में सबसे बड़ा है।

Tmesipteris_oblanceolata

विशेषताएँ

  • सबसे बड़ा जीनोम – इसमें 160 अरब बेस पेयर्स (DNA बनाने वाले यूनिट्स) हैं, जो मानव जीनोम से 50 गुना अधिक है।
  • मानव जीनोम की तुलना – इंसानों में केवल 3.2 अरब बेस पेयर्स होते हैं।
  • प्राचीन पौधा – यह फर्न न्यूजीलैंड और प्रशांत महासागर के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में उगता है।
  • पुरातन वनस्पति समूह का हिस्सा – यह उन पौधों में शामिल है, जो डायनासोर के पृथ्वी पर आने से पहले विकसित हुए थे

वैज्ञानिक महत्व

  • सबसे बड़ा ज्ञात जीनोम – यह अब तक ज्ञात सभी पौधों और जीवों में सबसे बड़ा जीनोम है।
  • जीनोम आकार और विकास – वैज्ञानिकों के अनुसार, इसका बड़ा आकार जीन डुप्लीकेशन (Gene Duplication) और दोहराए जाने वाले DNA अनुक्रमों के कारण हो सकता है।
  • संदर्भ पौधा – इसका अध्ययन यह समझने में मदद करेगा कि लाखों वर्षों में पौधों के जीनोम का आकार कैसे बढ़ा।

पौधे के जीनोम के बड़े आकार का कारण

  • जीन डुप्लीकेशन (जीन दोहराव)– समय के साथ DNA की अतिरिक्त प्रतियां बनने से इसका आकार बढ़ गया।
  • ट्रांसपोजेबल एलिमेंट्स (Jumping Genes) – ये छोटे DNA खंड होते हैं, जो जीनोम में इधर-उधर घूमते हैं और कभी-कभी इसके आकार को बढ़ा देते हैं।
  • प्राकृतिक चयन और धीमा विकासयह फर्न बहुत धीमी गति से विकसित हुआ है, जिससे इसके जीनोम का आकार इतना बड़ा हो गया।

जैव विविधता और पारिस्थितिकी में भूमिका

  • यह फर्न वनों, नम पर्वतीय क्षेत्रों और वर्षा वनों में उगता है।
  • इसका अध्ययन यह समझने में मदद करेगा कि पर्यावरणीय परिस्थितियों ने पौधों के DNA को कैसे प्रभावित किया।
  • इसकी आनुवंशिक संरचना (Genomic Structure) का अध्ययन अन्य पौधों के विकास, अनुकूलन और जैव विविधता को समझने में मदद कर सकता है।

संभावित वैज्ञानिक उपयोग

  • DNA अनुक्रमण और आनुवंशिक शोध – इसके अध्ययन से आनुवंशिक संरचना और जीनोम विकास की जटिलताओं को समझा जा सकता है।
  • पारिस्थितिक अध्ययन – यह पौधा यह समझने में मदद कर सकता है कि पौधे अनुकूलन और विकास की प्रक्रियाओं से कैसे गुजरते हैं।
  • संरक्षण और जैव विविधता – बड़े जीनोम वाले पौधों के संरक्षण में इसका अध्ययन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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