संदर्भ
प्रत्येक वर्ष 31 मई को तंबाकू से होने वाले नुकसान को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए ‘विश्व तंबाकू निषेध’ दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2024 के लिए इस दिवस की थीम ‘बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना’ है। यह थीम उन नीतियों और उपायों की वकालत करने पर केंद्रित है जो तंबाकू उद्योग को हानिकारक तंबाकू उत्पादों के साथ युवाओं को लक्षित करने से रोकते हैं। .
तंबाकू के उपभोग के दुष्परिणाम
- तंबाकू दुनिया में बीमारियों और मृत्यु का एक व्यापक कारण है जो रोकथाम योग्य है। यह न केवल उपभोक्ताओं में बीमारियों का कारण बनता है बल्कि इसकी खेती करने वालों को भी प्रभावित करता है।
- 2016-2017 के एक अनुमान के अनुसार, चीन के बाद, भारत में दुनिया में सबसे अधिक तंबाकू के लगभग 26 करोड़ उपभोक्ता हैं- इसके अतिरिक्त, तंबाकू उद्योग में कार्यरत 60 लाख से अधिक लोगों का स्वास्थ्य भी खतरे में है क्योंकि त्वचा के माध्यम से तंबाकू का अवशोषण विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकता है।
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
- WHO के अनुसार प्रतिवर्ष तंबाकू उपयोग के कारण 8 मिलियन से ज़्यादा लोगों की मौत होती है।
- तंबाकू कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे हृदय रोग, कैंसर, फेफड़ों की बीमारी और स्ट्रोक का प्रमुख कारण है।
कृषि पर
- यह एक अत्यधिक क्षरणकारी फसल है जो मिट्टी के पोषक तत्वों को तेजी से नष्ट कर देती है।
- अधिक उर्वरकों का उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता और खराब हो जाती है।
पर्यावरण पर
- वनों की कटाई में भी इस पौधे का प्रमुख योगदान क्योंकि 1 किलोग्राम तंबाकू को संसाधित करने के लिए 5.4 किलोग्राम तक लकड़ी की आवश्यकता होती है।
- भारत में तंबाकू के उत्पादन और उपभोग से हर साल लगभग 1.7 लाख टन कचरा उत्पन्न होता है।
आर्थिक प्रभाव
- 2021 के एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि वित्तीय वर्ष 2017-2018 में उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर तंबाकू के प्रभाव के परिणामस्वरूप देश को ₹1.7 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।
- जबकि वर्ष 2017-2018 में स्वास्थ्य के लिए केंद्रीय बजट में ₹48,000 करोड़ आवंटित किए गए थे।
- इसके अलावा, तंबाकू कचरे की सफाई पर प्रति वर्ष लगभग ₹6,367 करोड़ खर्च होने का अनुमान लगाया गया है।
भारत में तंबाकू उपयोग की स्थिति
- वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (GATS), वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण (GYTS) और भारत का राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) भारत में तंबाकू के उपयोग की स्थिति को दर्शातें है।
- वैश्विक युवा तंबाकू सर्वेक्षण 13 से 15 वर्ष की आयु के बीच के छात्रों में तंबाकू के उपयोग का आकलन करता है।
- जबकि वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के तंबाकू के सेवन का आकलन प्रस्तुत करता है।

- कुल मिलाकर, इन सर्वेक्षणों के परिणाम आशाजनक रहे हैं; इन सर्वेक्षणों द्वारा अध्ययन किए गए जनसंख्या समूहों में तंबाकू का उपयोग कम हुआ है।
- हालाँकि, अपवादस्वरूप वर्ष 2015-2016 से वर्ष 2019-2021 के बीच महिलाओं में तंबाकू के उपभोग में 2.1% की वृद्धि हुई है।
- कोविड-19 महामारी के बाद से कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है।
जागरूकता एवं नियंत्रण कार्यक्रम
- भारत वर्ष 2005 में लॉन्च WHO के तंबाकू नियंत्रण पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन (FCTC) के 168 हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है।
- इसका उद्देश्य देशों को मांग और आपूर्ति में कमी की रणनीति विकसित करने में मदद करके दुनिया भर में तंबाकू के उपयोग को कम करना है।
- भारत में तंबाकू की बिक्री को नियंत्रित करने संबंधी कानून 1975 से अस्तित्व में है और वर्ष 2003 में इसमें संशोधन किया गया था।
- सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 (COTPA) में 33 धाराएं हैं, जो तंबाकू के उत्पादन, विज्ञापन, वितरण और उपभोग को नियंत्रित करती हैं।
- वर्ष 2007 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP) शुरू किया गया था।
- एन.टी.सी.पी. को सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम और तंबाकू नियंत्रण पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन के कार्यान्वयन में सुधार करने, तंबाकू के उपयोग के नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को इसे छोड़ने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इन हस्तक्षेपों के अलावा, तंबाकू अधिक कर (tax) - तंबाकू के उपयोग को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए एक विश्व स्तर पर स्वीकृत तरीका है जो भारत में भी लागू किया जाता है।
- एक प्रगतिशील कदम में, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA), 2019 ने भारत में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
विनियमन की सीमाएं
- मौजूदा उपायों का उचित क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। धूम्ररहित तंबाकू उत्पाद (SLTs) मुख्य रूप से सीओटीपीए पैकेजिंग दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं करते हैं।
- धूम्र और धूम्ररहित तंबाकू उत्पादों की अनियंत्रित तस्करी और ख़राब विनियमन।
- वर्ष 2003 के बाद से COTPA नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने का अद्यतनीकरण नहीं किया गया है।
- उदाहरण के लिए, पहली बार पैकेजिंग प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर एक तंबाकू कंपनी पर अधिकतम ₹5,000 का जुर्माना लगाया जाता है।
- इसके अलावा, COTPA केवल प्रत्यक्ष विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है, अप्रत्यक्ष विज्ञापनों पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
निष्कर्ष
यद्यपि विभिन्न कानूनों और राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम भारत में तंबाकू उत्पादन और उपयोग को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करते हैं। लेकिन इन्हें और सख्ती से लागू करने की जरूरत है। इसके अलावा, एफसीटीसी की सिफारिशों, मुद्रास्फीति और जीडीपी वृद्धि के अनुरूप तंबाकू उत्पादों पर करों को भी बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही सरकारी सहायता से, तंबाकू किसानों को आजीविका के नुकसान से बचने के लिए वैकल्पिक फसलों की खेती के उपायों पर भी विचार किया जाना चाहिए।