चर्चा में क्यों
हाल ही में, केरल के कुछ हिस्सों में ‘टोमैटो फ्लू’ संक्रमण के कुछ मामले सामने आए हैं।
टोमैटो फ्लू
- टोमैटो फ्लू (Tomato Flu) एक तरह का बुखार है अत: इसे टोमैटो फीवर (Tomato Fever) भी कहा जाता है। यह फ्लू अधिकांशत: छोटे बच्चों (5 वर्ष से कम आयु के) को अधिक प्रभावित करता है।
- इससे संक्रमित होने वाले बच्चों के शरीर पर लाल रंग के चकत्ते एवं छाले हो जाते हैं, इसलिये इसे टोमैटो फ्लू कहा जाता है।
लक्षण
- त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते एवं छाले होने के अतिरिक्त त्वचा में जलन और निर्जलीकरण इसके मुख्य लक्षणों में शामिल हैं।
- कई रिपोर्टों के अनुसार, इससे संक्रमित बच्चों को तेज बुखार, शरीर दर्द, जोड़ों में दर्द, थकान, पेट में ऐंठन, मतली (Nausea) व उल्टी (Vomiting), दस्त, खांसी, छींकना और नाक बहने जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
- कुछ मामलों में यह पैरों एवं हाथों के रंग में परिवर्तन का भी कारण बन सकता है। इससे त्वचा का संक्रमण एवं अपच की समस्या भी हो सकती है।
समाधान
- इस बीमारी के वास्तविक कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। यह एक प्रकार से स्व-नियंत्रित (Self-Limiting) होने वाला फ्लू है और इसके लिये अब तक कोई विशिष्ट दवा उपलब्ध नहीं है।
- इसका तात्पर्य यह है कि उचित सहायक देखभाल से समय के साथ इसके लक्षण एवं संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है।
- ये फ्लू छाले के पानी, बलगम, मल और तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से फैलता है, अत: संक्रमण को रोकने के लिये संक्रमित व्यक्ति को अलग रखने की आवश्यकता है।
सावधानी
- फ्लू के कारण होने वाले फफोले व छालें को खरोंचने से रोकना।
- उचित आराम एवं स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान देना।
- संक्रमित व्यक्तियों द्वारा उपयोग किये जाने वाले बर्तन, कपड़े एवं अन्य वस्तुओं को सैनिटाइज करना।
- निर्जलीकरण को रोकने के लिये निरंतर तरल पदार्थों का सेवन करते रहना।