हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा की है कि भारत ने एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रैकोमा का उन्मूलन कर दिया है।
दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में नेपाल और म्यांमार के बाद भारत इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने वाला तीसरा देश बन गया है।
साथ ही विश्व स्तर पर यह उन 19 अन्य देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने पहले यह उपलब्धि हासिल की है।
ट्रेकोमा उन्मूलन हेतु भारत सरकार के प्रयास
भारत सरकार ने वर्ष 1963 में राष्ट्रीय ट्रेकोमा नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया जिसे भारत के राष्ट्रीय अंधता नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीबी) में एकीकृत कर दिया गया।
WHO की‘SAFE’ रणनीति को पूरे देश में लागू किया गया।
‘SAFE’ का अर्थ है-सर्जरी, एंटीबायोटिक्स (एजिथ्रोमाइसिन), चेहरे की स्वच्छता, वातावरण की स्वच्छता (विशेष रूप से जल और स्वच्छता तक पहुंच में सुधार) आदि को अपनाना।
वर्ष 1971 में, ट्रेकोमा के कारण अंधापन 5 % था जो वर्तमान में घटकर 1%से भी कम रह गया है।
वर्ष 2017 में, भारत को संक्रामक ट्रेकोमा रोग से मुक्त घोषित कर दिया गया।
WHO के अनुसार ट्रेकोमा एक उष्णकटिबंधीय रोग है। WHO द्वारा वर्ष 2021-2030 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग रोड मैप का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 21 रोगों और रोग समूहों की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन करना है।
ट्रेकोमा के बारे में
क्या है : एक जीवाणुजनित संक्रमण है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Chlamydia Trachomatis) नामक जीवाणु के कारण होता है।
यह आंखों को प्रभावित करता है।
संक्रमण :यह संक्रमित लोगों की आंखों, पलकों, नाक या गले के स्राव के संपर्क में आने से फैलता है।
पर्यावरणीय जोखिम कारकों में निम्न स्वच्छता, भीड़भाड़ वाले घर तथा जल एवं स्वच्छता सुविधाओं तक अपर्याप्त पहुँच शामिल है।
गंभीरता :समय से इलाज नहीं किए जाने पर हमेशा के लिए अंधेपन का कारण बन सकता है।
WHO के अनुसार, विश्व भर में 150 मिलियन लोग ट्रेकोमा से प्रभावित हैं।
उनमें से 6 मिलियन दृष्टिबाधित हैं या उन्हें दृष्टि संबंधी जटिलताओं का खतरा है।