चर्चा में क्यों
हाल ही में, अंकटाड ने अपनी ‘व्यापार एवं विकास रिपोर्ट-2022’ प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में वर्ष 2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर में कमी के संकेत दिये गए हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
भारत की स्थिति
- संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (UNCTAD) ने उच्च वित्तपोषण लागत और सार्वजनिक व्यय में कमी के आधार पर भारत की आर्थिक वृद्धि दर के वर्ष 2022 में 5.7% रहने का अनुमान व्यक्त किया है।
- साथ ही, अंकटाड ने वर्ष 2023 में भारत की जी.डी.पी. (GDP) वृद्धि दर कम होकर 4.7% रह जाने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है।
- उल्लेखनीय है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2021 में 8.2% रही, जो G-20 देशों में सर्वाधिक थी। हालाँकि, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कम होने के साथ-साथ घरेलू माँग में वृद्धि ने चालू खाता अधिशेष को घाटे में बदल दिया और विकास दर में गिरावट दर्ज़ की गई।
- यद्यपि सरकार द्वारा शुरू की गई उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) कॉर्पोरेट निवेश को प्रोत्साहित कर रही है, किंतु जीवाश्म ऊर्जा के लिये बढ़ते आयात बिल से व्यापार घाटे में वृद्धि हो रही है। यह विदेशी मुद्रा भंडार की आयात कवरेज क्षमता को कम कर रहा है।
दक्षिण एशिया की स्थिति
- अंकटाड के अनुसार, वर्ष 2022 में दक्षिण एशियाई क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि दर 4.9% रहने का अनुमान है क्योंकि ऊर्जा कीमतों में वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति में वृद्धि तथा भुगतान संतुलन बाधाओं के बदतर होने से कई सरकारें (बांग्लादेश, श्रीलंका) ऊर्जा खपत को प्रतिबंधित करने के लिये मज़बूर हुई हैं।
- इसके अलावा, टीके से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) में ढील देने में सीमित और विलंबित प्रगति इस क्षेत्र को भविष्य के प्रकोपों के लिये असुरक्षित बना रही है। इससे वर्ष 2023 में इस क्षेत्र की विकास दर गिरकर 4.1% हो जाएगी।
विशाल अर्थव्यवस्था के संबंध में अनुमान
अमेरिका और चीन
- अंकटाड के अनुसार, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वर्ष 2022 में 1.9% की दर से तथा वर्ष 2023 में 0.9% की दर से वृद्धि होगी। अमेरिका की वृद्धि दर वर्ष 2021 में 5.7% थी।
- अंकटाड ने चीन की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2022 में 3.9% तथा वर्ष 2023 में 5.3% रहने का अनुमान व्यक्त किया है। उल्लेखनीय है कि चीन की विकास दर वर्ष 2021 में 8.1% थी।
आयात में वस्तुओं की हिस्सेदारी
- रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और मिस्र के आयात में वस्तुओं की हिस्सेदारी 38% है जबकि भारत के आयात में 50% से अधिक प्राथमिक वस्तुएँ (खाद्य और ईंधन सहित) शामिल हैं।
- साथ ही, महामारी के कारण सामाजिक सुरक्षा पर अधिक व्यय और कराधान से कम राजस्व के कारण कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं को सार्वजनिक बजट घाटे में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है।