(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय राजव्यवस्था और शासन- संविधान, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि )
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।)
संदर्भ
महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने, ‘व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, देखभाल और पुनर्वास) विधेयक, 2021 का मसौदा जारी कर सुझाव और टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं।
विधेयक की स्थिति
- उक्त विधेयक को संसद के समक्ष में प्रस्तुत किये जाने से पूर्व मंजूरी के लिये कैबिनेट को भेजा जाएगा।
- पिछला मसौदा वर्ष 2018 में प्रस्तुत किया गया था, जिसे विपक्षी सांसदों और विशेषज्ञों, दोनों के कड़े विरोध के बावजूद लोकसभा द्वारा पारित कर दिया गया था।
- इसके उपरांत इसे राज्यसभा के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने मसौदे में उठाई गई लगभग सभी चिंताओं को इस नए मसौदा विधेयक में संबोधित किया गया है।
विधेयक के प्रावधान
- इस विधेयक में अवैध व्यापार के अपराधों की प्रकृति के साथ-साथ अपराधों के पीड़ितों के प्रकार को और भी विस्तृत किया गया है। अपराध के लिये आजीवन कारावास और यहाँ तक कि कुछ मामलों में मृत्युदंड का भी प्रावधान किया गया है।
- उक्त कानून, एक बार अधिनियमित हो जाने के पश्चात् निम्नलिखित पर विस्तृत होगा-
- भारत के अंदर और भारत के बाहर सभी नागरिकों पर;
- भारत में पंजीकृत किसी भी जहाज़ या विमान पर व्यक्तियों पर, वे जहाँ कहीं भी हों; वह जहाज़ भारतीय नागरिकों को जहाँ कहीं भी ले जा सकता है;
- एक विदेशी नागरिक या एक राज्यविहीन व्यक्ति पर, जब वे इस अधिनियम के तहत अपराध किये जाने के समय भारत में निवासित हो:
- सीमा-पार व्यक्तियों की तस्करी से संबंधित हर अपराध पर लागू होगा।
- ऐसी आय के माध्यम से खरीदी गई संपत्ति के साथ-साथ तस्करी में प्रयुक्त संपत्ति को अब ‘धन शोधन अधिनियम’ के समान निर्धारित प्रावधानों के तहत ज़ब्त किया जा सकता है।
- अपराधियों के दायरे में रक्षाकर्मी, सरकारी कर्मचारी, डॉक्टर तथा पैरामेडिकल स्टाफ या प्राधिकार में शामिल अन्य कोई भी हो सकता है।
- एन.आई.ए., जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को संबोधित करती है, इस विधेयक के अधीन मुख्य जाँच एजेंसी होगी। साथ ही, वह सीमा पार अपराधों को भी देखेगी।
- बाल तस्करी के मामलों में, विशेषतया एक से अधिक बच्चों की तस्करी के मामले में, कम से कम 7 वर्ष का कारावास होगा, जिसे 10 वर्ष की कैद और 5 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। इस सज़ा को आजीवन कारावास तक बढ़ा दिया गया है।
शोषण/उत्पीड़न की परिभाषा
- शोषण की परिभाषा के अंतर्गत निम्नलिखित शामिल होंगे-
- वेश्यावृत्ति के रूप में शोषण
- अश्लील साहित्य के द्वारा यौन शोषण
- शारीरिक शोषण के द्वारा कोई भी कार्य
- बलात श्रम या सेवाएँ
- दासता
- दासता के समान प्रथाएँ
- अंग, अवैध नैदानिक दवा परीक्षण या अवैध जैव-चिकित्सा अनुसंधान।
विधेयक का विस्तार
- यह विधेयक पीड़ितों के रूप में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा से व्यापक स्तर पर विस्तृत है।
- इसमें ट्रांसजेंडर के साथ-साथ कोई भी अन्य व्यक्ति शामिल है, जो तस्करी का शिकार हो सकता है।
- इस प्रावधान को भी दूर कर दिया गया है कि ‘पीड़ित’ के रूप में चिह्नित करने के लिये एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की आवश्यकता है।