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भारतीय शहरों में परिवहन उन्मुख विकास

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ 

एक हालिया अध्ययन के अनुसार, परिवहन अवसंरचना आर्थिक गतिविधि का प्रमुख चालक (कारक) है। सुरक्षित एवं कुशल परिवहन साधनों के माध्यम से नौकरियों तक पहुँच में सुधार से कार्यबल उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। 

क्या है परिवहन उन्मुख विकास 

पारगमन-उन्मुख विकास (Transit Oriented Development : TOD) एक नियोजन दृष्टिकोण है जो पारगमन स्टेशनों एवं गलियारों के आसपास विकास को केंद्रित करता है। इसे एक ‘स्मार्ट विकास’ रणनीति माना जाता है। 

परिवहन उन्मुख विकास के लाभ

सतत विकास को बढ़ावा

  • भूमि उपयोग एवं परिवहन के एकीकरण के सिद्धांत पर आधारित TOD कॉम्पैक्ट, मिश्रित-उपयोग विकास (Mixed-use Development) एवं टिकाऊ परिवहन मोड, जैसे- पैदल गमन, साइकिल चलाना आदि को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देता है। 
  • TOD शहरी सुविधाओं के पास उच्च घनत्व वाले अधिवास वातावरण में सहायक है। यह भूमि एवं बुनियादी ढांचे दोनों का कुशल उपयोग करने के लिए भूमि उपयोग तथा परिवहन का समन्वय करता है।
  • TOD भीड़ एवं वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है जो भारत की निम्न कार्बन विकास महत्वाकांक्षाओं में सकारात्मक योगदान के लिए आवश्यक है। 

आर्थिक क्षमता का विकास 

  • यह सार्वजनिक परिवहन के उपयोग एवं किराए से प्राप्त राजस्व में वृद्धि करता है। परिवहन क्षेत्र में निवेश शहरी गतिशीलता में वृद्धि के साथ ही व्यापक आर्थिक क्षमता के अवसर भी सृजित कर सकते हैं। 
  • विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, सार्वजनिक परिवहन में निवेश से बड़ी मात्रा में रोज़गार सृजन के साथ ही शुरुआती परिव्यय से 5-7 गुना अधिक आर्थिक लाभ मिल सकता है। 
  • सुरक्षित एवं कुशल परिवहन साधनों के माध्यम से नौकरियों तक पहुँच में सुधार कार्यबल की उत्पादकता व भागीदारी को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है।

भारत में परिवहन उन्मुख विकास 

  • वर्तमान में भारतीय शहरों में परिवहन क्रांति तीव्र गति से हो रही है। स्वीकृत मेट्रो रेल परियोजनाओं पर 3 ट्रिलियन रुपए (वर्ष 2022-2027 के मध्य) व्यय किए जाने का अनुमान है। 
  • बेंगलुरु दुनिया के सबसे ज़्यादा यातायात भीड़भाड़ वाले शहरों में से एक है, जहाँ वर्ष 2018 के आँकड़ों के अनुसार सामाजिक लागत लगभग 38,000 करोड़ (शहर के सकल घरेलू उत्पाद का 5%) प्रतिवर्ष है।

सरकार के प्रयास 

  • जन परिवहन में निवेश का लाभ उठाने और आर्थिक लाभ को अधिकतम करने के साथ-साथ शहरों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2017 में राष्ट्रीय पारगमन उन्मुख विकास (TOD) नीति और मेट्रो रेल नीति को मंजूरी दी। 
    • इससे TOD को एक प्रमुख शहरी नियोजन एवं विकास प्रबंधन रणनीति के रूप में अपनाने को बढ़ावा मिला।
  • इस राष्ट्रीय नीति और वित्त पोषण के साथ 27 भारतीय शहर मेट्रो रेल प्रणाली, अन्य रेल एवं बस आधारित तीव्र जन परिवहन प्रणाली के रूपों का निर्माण कर रहे हैं।

आगे की राह 

  • लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के वर्ष 2013 के आंकड़ों के अनुसार, हांगकांग जैसे उच्च-कार्यशील वैश्विक शहरों में 57% नौकरियाँ ट्रांजिट स्टेशन के 500 मीटर के भीतर जबकि 96% नौकरियाँ 2 किमी. के भीतर हैं।
    • इस शहर में सार्वजानिक परिवहन के उपयोग का स्तर उच्चतम (90% मोटर चालित यात्राएँ) और कार रखने की दर निम्नतम (प्रति 1,000 लोगों पर 56 कारें) है।
      • इससे वर्ष 1993 से वर्ष 2011 के बीच प्रति व्यक्ति सकल मूल्य वर्धन में 50% की वृद्धि हुई है, जबकि प्रति व्यक्ति ईंधन की खपत  एवं कार्बन उत्सर्जन में 10% की कमी आई है।
  • भारत में भी शहर के मास्टर प्लान का संशोधन ट्रांजिट के आस-पास नौकरियों के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्य निर्धारित करने और मौजूदा एवं उभरते उच्च घनत्व वाले नौकरी समूहों को जोड़ने के लिए एक मूल्यवान अवसर प्रदान करता है।
  • संसाधन एवं आर्थिक दक्षताओं को अनुकूलतम बनाने के लिए इस योजना में परिवहन द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले क्षेत्रों की पहचान एवं प्राथमिकता भी निर्धारित की जानी चाहिए।  
    • नवीनीकरण व सघनता के माध्यम से रोजगार घनत्व को बढ़ाया जा सकता है तथा पर्यावरणीय एवं सामुदायिक लक्ष्यों के साथ बाजार की मांग को संतुलित किया जा सकता है।
  • सार्वजनिक नीतियाँ व्यवसायों को पारगमन के निकट या आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अतिरिक्त विकास अधिकार या शुल्क/कर सब्सिडी जैसे प्रोत्साहन निर्धारित कर सकती हैं। 
  • पारंपरिक वित्तपोषण स्रोतों के अलावा सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी और मूल्य कैप्चर वित्तपोषण तंत्र के अवसर को तलाश सकती है। 
  • विभिन्न हितधारकों के मध्य बातचीत को सुविधाजनक बनाने और TOD नियोजन एवं कार्यान्वयन का समन्वय करने के लिए एक नोडल एजेंसी भी नामित की जानी चाहिए।
  • निजी क्षेत्र (व्यवसाय, डेवलपर्स, वित्तपोषण संस्थान) पारगमन स्टेशनों के पास वाणिज्यिक एवं औद्योगिक निवेशों को निर्देशित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सक्रिय भागीदारी, अधिक सुविधाएँ, सार्वजनिक क्षेत्र में वृद्धि और कार्यस्थलों एवं पारगमन स्टेशनों के बीच अंतिम-मील कनेक्टिविटी के साथ उत्प्रेरक विकास को सक्षम कर सकती है।
  • परिवहन अवसंरचना आर्थिक गतिविधि का एक प्रमुख चालक है और भारत जैसे विकासशील देश द्वारा इसमें निवेश जारी रखने की संभावना है। 
  • भारतीय महानगरों को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनने के लिए सरकार को नीति-नियोजन-नियामक ढांचे में पारगमन के समीप नौकरी घनत्व को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
    • इसमें सार्वजनिक अवसंरचना के उन्नयन के साथ-साथ समावेशी, निम्न कार्बन, कॉम्पैक्ट एवं कनेक्टेड विकास को आकार देने के लिए समन्वित कार्रवाई को संस्थागत बनाना शामिल होना चाहिए।

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