प्रारंभिक परीक्षा – ट्राइकोलिम (Tricholime) मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
संदर्भ
भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (IISR) कोझिकोड ने सफलतापूर्वक एक नया दानेदार चूना-आधारित ट्राइकोडर्मा फॉर्मूलेशन, 'ट्राइकोलिम' विकसित किया।
प्रमुख बिंदु
- ‘ट्राइकोलिम’ का फॉर्मूलेशन ट्राइकोडर्मा और चूने को एक ही उत्पाद में एकीकृत करता है, जिससे किसानों के लिए इसका उपयोग आसान हो जाती है।
- ट्राइकोडर्मा एक फंगल बायोकंट्रोल एजेंट है, जो पौधों को रोगजनकों से बचाता है एवं जैव-कीटनाशक और जैव-उर्वरक के रूप में कार्य करता है।
- ट्राइकोडर्मा के महत्व और पारंपरिक चूने के अनुप्रयोगों से उत्पन्न चुनौतियों के समाधान के लिए आईआईएसआर के वैज्ञानिकों ने चूने और ट्राइकोडर्मा को एकीकृत कर ट्राइकोलिम विकसित किया है।
ट्राइकोलिम का महत्व
- यह समय लेने वाली दो-चरणीय प्रक्रिया की आवश्यकता को सफलतापूर्वक समाप्त कर सकता है।
- यह चूना-आधारित यह फॉर्मूलेशन पौधों के विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ मिट्टी की अम्लता को कम करता है।
- यह फसलों को मिट्टी-जनित रोगजनकों से बचाता है।
- यह फॉर्मूलेशन मिट्टी की भौतिक स्थिति में सुधार करके द्वितीयक पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है।
- यह मिट्टी में निहित सूक्ष्मजीवीय गतिविधि को बढ़ाकर फसल को लाभ पहुंचाता है।
- आईआईएसआर के अनुसार इस उत्पाद की तकनीकी को अन्य लाभकारी जैव-एजेंटों को शामिल करने के लिए भी बढ़ाया जा सकता है, जिससे टिकाऊ जैविक खेती का समर्थन करने के लिए उत्पाद विकसित करने हेतु नई संभावनाएं खुलेंगी।
भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Spices Research)
- यह भारत का एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है जो मसालों से सम्बन्धित अनुसंधान में संलग्न है।
- भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझिकोड (कालीकट) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का एक घटक निकाय है।
- वर्ष 1976 में इसकी शुरुआत मसालों पर अनुसंधान करने वाले कासरगोड स्थित केंद्रीय वृक्षारोपण फसल अनुसंधान संस्थान (CPCRI) के एक क्षेत्रीय स्टेशन के रूप में हुई थी।
- वर्ष 1986 में कोझिकोड में CPCRI के पूर्ववर्ती क्षेत्रीय स्टेशन और कर्नाटक के अप्पांगला में इलायची अनुसंधान केंद्र को मिलाकर एक राष्ट्रीय मसाला अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई।
- भारत में मसाला अनुसंधान के महत्व को देखते हुए इस अनुसंधान केंद्र को 1 जुलाई, 1995 को भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान के रूप में अपग्रेड किया गया।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।
- भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान(IISR) कोझिकोड ने सफलतापूर्वक एक नया दानेदार चूना-आधारित ट्राइकोडर्मा फॉर्मूलेशन, 'ट्राइकोलिम' विकसित किया।
- ट्राइकोडर्मा एक फंगल बायोकंट्रोल एजेंट है, जो पौधों को रोगजनकों से बचाता है एवं जैव-कीटनाशक और जैव-उर्वरक के रूप में कार्य करता है।
- यह फॉर्मूलेशन मिट्टी की भौतिक स्थिति में सुधार करके द्वितीयक पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
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स्रोत :the hindu