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त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, श्रीलंका सरकार ने घोषणा की है कि इंडियन ऑयल की सहायक इकाई ‘लंका इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन’ (LIOC) को त्रिंकोंमाली ऑयल टैंक फार्म के संयुक्त विकास में 49% हिस्सेदारी प्रदान की जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • भारत तथा श्रीलंका द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ‘त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म’ में सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (CPC) की हिस्सेदारी 51% होगी। 
  • सी.पी.सी. ने त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म के विकास हेतु ‘त्रिंको पेट्रोलियम लिमिटेड’ नामक विशेष प्रयोजन कंपनी (SPV) की स्थापना की है। 
  • भारत तथा श्रीलंका द्वारा संयुक्त रूप से 99 में से 61 टैंकों का नवीनीकरण किया जाएगा, जबकि शेष 38 टैंकों में से 24 का निर्माण सी.पी.सी. द्वारा तथा 14 का निर्माण एल.आई.ओ.सी. द्वारा किया जाएगा। 
  • सर्वप्रथम संयुक्त रूप से इस तेल टैंक के विकास हेतु 29 जुलाई, 1987 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी तथा जे.आर. जयवर्धने के मध्य समझौता हुआ था। परंतु श्रीलंका में गृहयुद्ध की स्थिति के कारण यह समझौता क्रियान्वित नहीं हो सका।
  • वर्ष 2015 में दोनों देश त्रिंकोमाली में एक पेट्रोलियम हब स्थापित करने पर सहमत हुए। इसे श्रीलंका में चीन द्वारा विकसित हंबनटोटा बंदरगाह के प्रत्युत्तर के रूप में देखा गया। 
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