त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने राज्य में जात्रा उत्सव का उद्घाटन किया।
जात्रा उत्सव के बारे में
- यह बंगाल एवं ओडिशा का एक लोकप्रिय लोक रंगमंच है।
- इसकी उत्पत्ति 16वीं सदी में वैष्णववाद और भक्ति आंदोलन के उदय से मानी जा सकती है जिसका नेतृत्व श्री चैतन्य महाप्रभु ने किया था।
- चैतन्य महाप्रभु ने भक्ति एवं प्रेम के संदेश का प्रसार करने के लिए संगीत व नृत्य का उपयोग किया तथा इसी आधार पर जात्रा का विकास हुआ।
- यह उत्सव मूलतः वैष्णव धर्म से जुड़ा हुआ है किंतु इसमें अन्य धार्मिक व सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा होती है।
जात्रा उत्सव की विशेषताएँ
- इस जात्रा में धार्मिक एवं पौराणिक कथाओं का अभिनय होता है। ये कथाएँ प्राय: भगवान श्रीकृष्ण, राम, शिव और अन्य पौराणिक पात्रों से संबंधित होती हैं।
- जात्रा में पौराणिक कथाओं के अलावा धर्मनिरपेक्ष एवं सामाजिक विषयों पर भी प्रदर्शन होते हैं। इनमें हास्य, वीरता, प्रेम एवं युद्ध जैसे विभिन्न जटिल विषयों को भी बड़े आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।